शिखर धवन ईडन गार्डंस में दोनों पारियों में बड़ा स्कोर नहीं कर सके (फाइल फोटो)
कोलकाता टेस्ट में ओपनर के रूप में शिखर धवन को गौतम गंभीर की जगह प्राथमिकता देने का भारतीय टीम प्रबंधन का फैसला सवालों के घेरे में है. टेस्ट क्रिकेट में बुरे फॉर्म से गुजर रहे धवन पहली पारी के बाद रविवार को भी नाकाम रहे. भारत की दूसरी पारी के दौरान धवन अच्छे टच में दिख रहे थे. न्यूजीलैंड की तेज गेंदबाज जोड़ी ट्रेंट बोल्ट और मैट हेनरी को उन्होंने दो-दो चौके लगाए लेकिन बड़ी पारी नहीं खेल पाए. उन्हें बोल्ट ने 17 रन (32 रन, चार चौके) पर एलबीडब्ल्यू किया. गौरतलब है कि पहली पारी में भी धवन एक रन ही बना पाए थे.
दरअसल, भारत और न्यूजीलैंड के बीच दूसरे टेस्ट मैच के पहले 'इन फॉर्म' केएल राहुल का चोटग्रस्त होना टीम इंडिया के लिए झटके की तरह रहा. राहुल की जगह गौतम गंभीर को टीम में स्थान दिया गया जबकि एक अन्य ओपनर शिखर धवन पहले ही टीम में मौजूद थे. ऐसे में विजय के जोड़ीदार के रूप में धवन और गंभीर में से किसी एक को चुनना टीम मैनेजमेंट के लिए आसान नहीं था.
धवन और गंभीर, दोनों के अपने 'प्लस' और 'माइनस' प्वाइंट थे. गौतम गंभीर ने दलीप ट्रॉफी में हाल ही में बल्ले से अच्छा प्रदर्शन किया था.टेस्ट क्रिकेट में उनका औसत भी बेहतरीन (42.58) है. वहीं अगस्त 2014 के बाद कोई टेस्ट नहीं खेलना तथा 35 वर्ष की उम्र होना उनके खिलाफ जा रहा था. धवन के लिहाज से बात करें तो गौतम के मुकाबले कम उम्र का होना और कप्तान कोहली का भरोसा हासिल होना उनके पक्ष में गया. यही कारण रहा कि धवन को उनके हाल के कमजोर प्रदर्शन के बावजूद गंभीर पर तरजीह दी गई.
वेस्टइंडीज के खिलाफ, कैरेबियन मैदानों पर हुई सीरीज के पहले टेस्ट में उन्होंने 84 रन बनाकर अच्छी शुरुआत की थी लेकिन इसके बाद अगली तीन पारियों में वे 54 रन ही बना पाए थे. रन बनाने में नाकामी से कहीं अधिक धवन के आउट होने का तरीका प्रबंधन के लिए चिंता का कारण बन रहा था. उन्होंने ज्यादातर बार सेट होने के बाद विकेट गंवाया.
वैसे भी अपने करियर के पहले टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 187 रनों की धमाकेदार पारी खेलने के बाद धवन के प्रदर्शन में स्थिरता का अभाव रहा है. उनका बल्लेबाजी प्रदर्शन 'कभी अच्छे और कभी कमजोर' के बीच झूलता रहा है. 2015 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ सीरीज में भी धवन बड़ा स्कोर नहीं बना पाए थे और सेट होने के बाद विकेट गंवाने की चूक उन्हें भारी पड़ी थी. मोहाली में हुए सीरीज के पहले टेस्ट में तो वे दोनों पारियों में 0 पर आउट हुए थे. बहरहाल, कोलकाता में प्लेइंग इलेवन में जगह मिलने के बाद शिखर के पास अपना स्थान 'सील' करने का अच्छा मौका था लेकिन वे इसे चूक गए...
दरअसल, भारत और न्यूजीलैंड के बीच दूसरे टेस्ट मैच के पहले 'इन फॉर्म' केएल राहुल का चोटग्रस्त होना टीम इंडिया के लिए झटके की तरह रहा. राहुल की जगह गौतम गंभीर को टीम में स्थान दिया गया जबकि एक अन्य ओपनर शिखर धवन पहले ही टीम में मौजूद थे. ऐसे में विजय के जोड़ीदार के रूप में धवन और गंभीर में से किसी एक को चुनना टीम मैनेजमेंट के लिए आसान नहीं था.
धवन और गंभीर, दोनों के अपने 'प्लस' और 'माइनस' प्वाइंट थे. गौतम गंभीर ने दलीप ट्रॉफी में हाल ही में बल्ले से अच्छा प्रदर्शन किया था.टेस्ट क्रिकेट में उनका औसत भी बेहतरीन (42.58) है. वहीं अगस्त 2014 के बाद कोई टेस्ट नहीं खेलना तथा 35 वर्ष की उम्र होना उनके खिलाफ जा रहा था. धवन के लिहाज से बात करें तो गौतम के मुकाबले कम उम्र का होना और कप्तान कोहली का भरोसा हासिल होना उनके पक्ष में गया. यही कारण रहा कि धवन को उनके हाल के कमजोर प्रदर्शन के बावजूद गंभीर पर तरजीह दी गई.
वेस्टइंडीज के खिलाफ, कैरेबियन मैदानों पर हुई सीरीज के पहले टेस्ट में उन्होंने 84 रन बनाकर अच्छी शुरुआत की थी लेकिन इसके बाद अगली तीन पारियों में वे 54 रन ही बना पाए थे. रन बनाने में नाकामी से कहीं अधिक धवन के आउट होने का तरीका प्रबंधन के लिए चिंता का कारण बन रहा था. उन्होंने ज्यादातर बार सेट होने के बाद विकेट गंवाया.
वैसे भी अपने करियर के पहले टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 187 रनों की धमाकेदार पारी खेलने के बाद धवन के प्रदर्शन में स्थिरता का अभाव रहा है. उनका बल्लेबाजी प्रदर्शन 'कभी अच्छे और कभी कमजोर' के बीच झूलता रहा है. 2015 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ सीरीज में भी धवन बड़ा स्कोर नहीं बना पाए थे और सेट होने के बाद विकेट गंवाने की चूक उन्हें भारी पड़ी थी. मोहाली में हुए सीरीज के पहले टेस्ट में तो वे दोनों पारियों में 0 पर आउट हुए थे. बहरहाल, कोलकाता में प्लेइंग इलेवन में जगह मिलने के बाद शिखर के पास अपना स्थान 'सील' करने का अच्छा मौका था लेकिन वे इसे चूक गए...
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