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This Article is From Nov 06, 2012

भारत-इंग्लैंड के बीच सीरीज का नाम पटौदी ट्रॉफी हो : शर्मिला

टीम इंडिया को क्रिकेट जगत में एक नई पहचान दिलवाने वाले टाइगर, यानि नवाब मंसूर अली खान पटौदी, के परिवार को उनकी मौत के बाद उनकी पहचान को ज़िन्दा रखने के लिए क्रिकेट बोर्ड से लड़ाई लड़नी पड़ रही है।
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नई दिल्ली: क्रिकेट जगत ने उन्हें उनकी उपलब्धियों की वजह से उन्हें टाइगर के खिताब से भी नवाजा, लेकिन टीम इंडिया को क्रिकेट जगत में एक नई पहचान दिलवाने वाले टाइगर, यानि नवाब मंसूर अली खान पटौदी, के परिवार को उनकी मौत के बाद उनकी पहचान को ज़िन्दा रखने के लिए क्रिकेट बोर्ड से लड़ाई लड़नी पड़ रही है। विदेशी पिचों पर जब भारतीय क्रिकेट टीम एक जीत को तरस रही थी तब टाइगर ने यह कारनामा करने में अहम भूमिका निभाई थी।

भारत और इंग्लैंड के बीच टेस्ट सीरीज शुरू होने वाली है, और टाइगर की पत्नी शर्मिला टैगोर चाहती हैं कि बोर्ड अपना वायदा निभाते हुए इस सीरीज को आधिकारिक तौर पर पटौदी ट्रॉफी का नाम दे।

दरअसल भारत और इंग्लैंड के बीच पिछले पांच साल से हो रही टेस्ट सीरीज को ईसीबी ने भी पटौदी ट्रॉफी का नाम दे रखा है, लेकिन बीसीसीआई की इस नाम को आधिकारिक मंजूरी अब भी बाकी है। इस बाबत शर्मिला टैगोर ने बीसीसीआई अध्यक्ष एन श्रीनिवासन को एक खत लिखा है, जिसमें उन्होंने भारत-इंग्लैंड सीरीज का आधिकारिक नामकरण पटौदी ट्रॉफी करने की मांग की है। इस बाबत उन्होंने बोर्ड से एक साल पहले हुई बातचीत का हवाला भी दिया है, और इसके अलावा खत में शर्मिला ने टाइगर पटौदी के नाम पर सालाना लेक्चर शुरू नहीं होने पर भी नाराज़गी जताई है।

खत में बीसीसीआई और टाइगर पटौदी के बीच चल रहे कानूनी विवाद के लंबा खिंचने का भी ज़िक्र है, क्यों कि मामला एक साल से अटका पड़ा है। खत के मुताबिक बोर्ड के कई बड़े आधिकारियों से शर्मिला की बात दिसंबर, 2011 में ही हो चुकी थी, लेकिन अभी तक बात आगे नहीं बढ़ी है।

टीम इंडिया और ऑस्ट्रेलिया के बीच होने वाली टेस्ट सीरीज़ को गावस्कर-बार्डर ट्रॉफी कहा जाता है, और इसे बीसीसीआई की मंजूरी मिली हुई है। यह सालाना सीरीज है, और इसके लिए एक बार टीम इंडिया ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर जाती है, और अगले साल ऑस्ट्रेलिया की टीम हिन्दुस्तान के दौरे पर आती है। जबकि पटौदी ट्रॉफी के साथ ऐसा नहीं है। वह साल-दर-साल नहीं खेली जाती, इसलिए शर्मिला टैगोर इसे सालाना सीरीज बनाना चाहती हैं।

साल 2011 में खेली गई पटौदी ट्रॉफी में खुद नवाब पटौदी ने आखिरी बार हिस्सा लिया था, लेकिन इसके कुछ ही दिन बाद मंसूर अली खान पटौदी ने आखिरी सांस ली। अब उनके परिवार की कोशिश है कि पटौदी ट्रॉफी के साथ टाइगर का नाम हमेशा क्रिकेट से जुड़ा रहे।

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