पर्थ:
वर्तमान टेस्ट श्रृंखला के शुरुआती दो मैचों में बुरी तरह से हारने वाली भारतीय क्रिकेट टीम के विस्फोटक सलामी बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग पर ऑस्ट्रेलियाई मीडिया ने टीम में फूट डालने का आरोप लगाया है।
समाचार पत्र 'कूरियर मेल' में छपी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय टीम के कोच डंकन फ्लेचर को ड्रेसिंग रूम में सौहार्द बनाने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सहवाग ऐसे खिलाड़ी हैं जो टीम में एक खेमा बना रहे हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, "टीम के कुछ खिलाड़ियों को लगता है कि महेंद्र सिंह धौनी की बजाय सहवाग को कप्तान होना चाहिए जबकि उनके विरोधियों का कहना है कि सहवाग में जुझारूपन की कमी है, जैसा कि उनकी कई पारियों में देखने को मिला है।"
उल्लेखनीय है कि सिडनी में खेले गए दूसरे टेस्ट मैच में सहवाग आठ गेंदों का सामना कर पवेलियन लौट गए थे।
रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय टीम में सद्भाव की कमी है क्योंकि ड्रेसिंगरूम में गुटबाजी के साथ खिलाड़ियों की भाषा और संस्कृति भी अलग-अलग है।"
इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अंग्रेजी के अलावा ड्रेसिंग रूम में कम से कम छह अलग-अलग भाषाओं में बात की जाती है।
उल्लेखनीय है कि भारतीय टीम के पूर्व कोच ग्रेग चैपल भी कह चुके हैं किजब वह कोच थे उस समय टीम में शामिल युवा खिलाड़ी अपने विचारों को व्यक्त करने से डरते थे क्योंकि टीम अलग-अलग गुटों में बंटी हुई है।
समाचार पत्र 'कूरियर मेल' में छपी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय टीम के कोच डंकन फ्लेचर को ड्रेसिंग रूम में सौहार्द बनाने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सहवाग ऐसे खिलाड़ी हैं जो टीम में एक खेमा बना रहे हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, "टीम के कुछ खिलाड़ियों को लगता है कि महेंद्र सिंह धौनी की बजाय सहवाग को कप्तान होना चाहिए जबकि उनके विरोधियों का कहना है कि सहवाग में जुझारूपन की कमी है, जैसा कि उनकी कई पारियों में देखने को मिला है।"
उल्लेखनीय है कि सिडनी में खेले गए दूसरे टेस्ट मैच में सहवाग आठ गेंदों का सामना कर पवेलियन लौट गए थे।
रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय टीम में सद्भाव की कमी है क्योंकि ड्रेसिंगरूम में गुटबाजी के साथ खिलाड़ियों की भाषा और संस्कृति भी अलग-अलग है।"
इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अंग्रेजी के अलावा ड्रेसिंग रूम में कम से कम छह अलग-अलग भाषाओं में बात की जाती है।
उल्लेखनीय है कि भारतीय टीम के पूर्व कोच ग्रेग चैपल भी कह चुके हैं किजब वह कोच थे उस समय टीम में शामिल युवा खिलाड़ी अपने विचारों को व्यक्त करने से डरते थे क्योंकि टीम अलग-अलग गुटों में बंटी हुई है।
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