यह ख़बर 18 नवंबर, 2013 को प्रकाशित हुई थी

सचिन तेंदुलकर का संन्यास एक युग का अंत है : हनीफ मोहम्मद

हनीफ मोहम्मद (बाएं) व सचिन तेंदुलकर का फाइल चित्र

पाकिस्तान क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान हनीफ मोहम्मद, जिन्होंने वर्ष 1952 और 1969 के बीच 55 टेस्ट मैच खेले, याद कर रहे हैं सचिन तेंदुलकर के खेल, उनके साथ हुई मुलाकात से जुड़ी यादों को, और बता रहे हैं कि सचिन तेंदुलकर का संन्यास एक युग का अंत है...

सचिन तेंदुलकर को अपने यादगार करियर का आखिरी पड़ाव पार करते देखना मेरे लिए जज़्बाती पल था... मुझे नहीं लगता कि कोई भी उनके रिकॉर्ड तोड़ पाएगा... उनके जाने से एक युग का अंत हो गया, लेकिन 'लिटिल जीनियस' ने जो कुछ हासिल किया, वह युवा पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्रोत बना रहेगा...

मैंने किसी और क्रिकेटर के करियर को इतने लगाव और दिलचस्पी से नहीं देखा... भारतीय क्रिकेट को सचिन ने बहुत कुछ दिया है... भारत को सचिन का शुक्रगुजार होना चाहिए, जिन्होंने विराट कोहली, रोहित शर्मा और शिखर धवन जैसी प्रतिभाओं को प्रेरित किया...

भारतीय क्रिकेट को नई ऊंचाइयों तक ले जाने में उनका हाथ रहा... अपनी प्रतिबद्धता, एकाग्रता, आत्मविश्वास और महानता से उन्होंने युवा प्रतिभाओं को प्रेरित किया... 24 साल का करियर इस खेल की जानिब उनकी मोहब्बत की बानगी देने के लिए काफी है... वह युवा पीढ़ी का सही रोल-मॉडल हैं... सिर्फ खेल के लिए नहीं, बल्कि मैदान के बाहर आचरण के लिए भी... आखिरी मैच के बाद लोगों का उनके प्रति प्यार देखकर मेरी आंख में आंसू आ गए...

आंसू इसलिए आए, क्योंकि आखिरी बार उनकी बल्लेबाजी को हम लाइव देख रहे थे... मुझे लगता है कि उन्होंने उन लोगों के लिए रिटायर होने का फैसला किया, जिन्हें लग रहा था कि अब उन्हें नई भारतीय टीम से चले जाना चाहिए... मेरा मानना है कि वह दो-तीन साल और खेल सकते थे... मैं तीन बार इस लिटिल मास्टर से मिला हूं... आखिरी बार जब मरहूम राजसिंह डूंगरपूर ने मुझे और मेरे परिवार को क्रिकेट क्लब आफ इंडिया के रजत जयंती समारोह में मुंबई बुलाया था... मैं एक टीवी शो पर गया था और यह सुनकर स्तब्ध रह गया कि लोग भारतीय टीम में सचिन तेंदुलकर के भविष्य पर सवाल कर रहे थे... उनकी फिटनेस और फॉर्म पर सवाल उठाए जा रहे थे...

यह 10 साल पहले की बात है और मुझे याद है कि मैंने कहा था, ''आपके पास एक नगीना है और इसे बर्बाद मत करिए...'' सचिन तेंदुलकर का भारतीय टीम में रहना जरूरी है और जब तक वह चाहें, उन्हें खेलते रहने दीजिए...'' मेरे लिए फख्र की बात है कि मैं गलत नहीं था... सचिन ने नए कीर्तिमान बनाए और बल्लेबाजी में नए आयामों तक पहुंचे...

मैं खुशकिस्मत हूं कि डॉन ब्रैडमेन के युग में खुद खेला और सचिन तेंदुलकर की महानता को भी देखा... मुझसे पूछा जाता है कि दोनों में से कौन महानतम है... ब्रैडमेन, जिनका टेस्ट औसत 99 था या तेंदुलकर, जिन्होंने 100 अंतरराष्ट्रीय शतक बनाए हैं... निश्चित तौर पर डॉन ब्रैडमेन महानतम हैं, लेकिन ऐसी तुलना करना कठिन है, क्योंकि मेरे लिए उन दोनों में कोई तुलना नहीं है, क्योंकि जब आप अधिक मैच खेलते हैं तो औसत कम हो ही जाता है...

आज हम पाकिस्तान क्रिकेट में बल्लेबाजी को लेकर समस्याओं की बात करते हैं कि उन्हें दूर करने के लिए क्या किया जाए... मैं हमारे खिलाड़ियों को यही राय दूंगा कि सिर्फ सचिन तेंदुलकर की बल्लेबाजी के वीडियो देखें तो उन्हें पता चल जाएगा कि इस खेल में कुछ भी नामुमकिन नहीं है... देखें कि बदलते समय और चलन के साथ कैसे उन्होंने अपनी तकनीक में बदलाव किया... तकनीक के साथ उन्होंने मानसिक दृढता और इच्छाशक्ति का भी परिचय दिया...

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मैं तेंदुलकर को 200 टेस्ट मैच खेलने के लिए बधाई देता हूं और उन्हें तथा उनके परिवार को शुभकामनाएं देता हूं... मुझे इसमें कोई शक नहीं कि जब-जब क्रिकेट के बारे में बात होगी, सचिन तेंदुलकर का नाम सबसे पहले लिया जाएगा... वह भले ही कुल 24 साल खेले, लेकिन उनकी विरासत हमेशा बनी रहेगी...