यह ख़बर 30 मार्च, 2013 को प्रकाशित हुई थी

पिछले 14 साल में सबसे नीचे पहुंचा सचिन तेंदुलकर का औसत

खास बातें

  • पिछले दो साल में कोई शतक नहीं लगा पाने और लगभग 32 रन प्रति पारी की दर से रन बनाने के कारण सचिन तेंदुलकर के ओवरऑल औसत में भी गिरावट आई है, जो पिछले 14 साल में पहली बार 54 रन प्रति पारी से नीचे आ गया है।
नई दिल्ली:

पिछले दो साल में कोई शतक नहीं लगा पाने और लगभग 32 रन प्रति पारी की दर से रन बनाने के कारण सचिन तेंदुलकर के ओवरऑल औसत में भी गिरावट आई है, जो पिछले 14 साल में पहली बार 54 रन प्रति पारी से नीचे आ गया है।

ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ हाल में समाप्त हुई चार मैचों की शृंखला के दिल्ली में खेले गए चौथे और अंतिम मैच में 32 और एक रन बनाने के कारण तेंदुलकर का औसत गिरकर 53.86 हो गया। यह पिछले चौदह सालों में पहला अवसर है, जबकि इस स्टार बल्लेबाज का औसत इस स्तर पर पहुंचा है।

इससे पहले फरवरी, 1999 में पाकिस्तान के खिलाफ कोलकाता में खेले गए मैच के बाद तेंदुलकर का औसत 54 रन प्रति पारी से कम हुआ था। यह वही मैच था, जिसमें पहली पारी में उन्हें शोएब अख्तर ने शून्य पर आउट किया था, जबकि दूसरी पारी में वह विवादास्पद तरीके से नौ रन बनाकर रन आउट हो गए थे। इससे तेंदुलकर का औसत 53.19 पर पहुंच गया था।

तेंदुलकर ने हालांकि इसके बाद श्रीलंका के खिलाफ कोलंबो में जो अगला मैच खेला था, उसमें 53 और नाबाद 124 रन की दो शानदार पारियां खेली थीं, जिससे उनका औसत बढ़कर 54.49 पर पहुंच गया था। इसके बाद मास्टर ब्लास्टर ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और अगले 14 वर्ष तक अपने औसत को कभी 54 से कम नहीं आने दिया।

इस बीच, फरवरी, 2002 में जिम्बाब्वे के खिलाफ नागपुर में 176 रन बनाने से उनका औसत 58.87 पर भी पहुंचा था, जो तेंदुलकर के करियर का सर्वश्रेष्ठ औसत है। जून, 2001 से दिसंबर 2002 तक तेंदुलकर का औसत 57 और 58 रन प्रति पारी के करीब रहा, लेकिन दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ जनवरी, 2011 में आखिरी बार शतक जड़ने के बाद उनके औसत में लगातार गिरावट आने लगी।

तेंदुलकर ने इसके बाद 38 पारियां खेली हैं, जिनमें वह सैकड़ा नहीं जड़ पाये। इन पारियों में उन्होंने 32.19 की औसत से 1159 रन बनाए हैं, जिसमें आठ अर्धशतक शामिल हैं। तेंदुलकर ने 4 जनवरी, 2011 को केपटाउन में 146 रन की पारी खेली थी। इस मैच के बाद उनका औसत 56.94 पर पहुंच गया था, लेकिन लगातार बड़ी पारी नहीं खेल पाने के कारण इसके ठीक एक साल बाद जनवरी, 2012 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पर्थ में खेले गये टेस्ट मैच में से सचिन का औसत 56 से नीचे गिर गया था।

ऑस्ट्रेलिया के दौरे में तेंदुलकर ने 35.87 की औसत से 287 रन बनाए। इस शृंखला के आखिर में उनका औसत 55.44 पर पहुंच गया। इसके बाद वह न्यूजीलैंड के खिलाफ दो मैच की तीन पारियों में केवल 63 रन बना पाए। इसका बुरा असर उनके ओवरऑल औसत पर भी पड़ा, जो 55 से भी नीचे पहुंचने की स्थिति में आ गया। इंग्लैंड के खिलाफ अहमदाबाद में खेले गए पहले टेस्ट मैच में केवल 13 रन बनाने के कारण उनका औसत 54.93 तक लुढ़क गया था।

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तेंदुलकर ने इंग्लैंड के खिलाफ घरेलू शृंखला में 18.66 की औसत से 112 रन बनाए थे। स्वाभाविक था कि उनका औसत इससे बुरी तरह प्रभावित हुआ। भारत ने यह सीरीज 1-2 से गंवाई थी और इसके आखिर में तेंदुलकर का औसत भी 54.32 पर पहुंच गया था। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ हाल में समाप्त हुई शृंखला के चेन्नई में खेले गए पहले मैच में तेंदुलकर ने 81 और नाबाद 13 रन बनाकर अपना औसत 54.46 पर पहुंचाया, लेकिन इसके बाद अगली पांच पारियों में वह 7, 37, 21, 32 और 1 रन ही बना पाए। इस तरह से वह शृंखला में 32 की औसत से 192 रन ही बना पाए थे, जिससे उनका औसत 21वीं सदी में पहली बार 54 से नीचे खिसक गया।