हीरो कप सेमीफाइनल का आखिरी ओवर सचिन तेंदुलकर ने फेंका था...
कोलकाता:
महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर ने शनिवार को पुराने दिनों को याद करते हुए बताया कि कैसे 1993 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ हीरो कप सेमीफाइनल में आखिरी ओवर में मिली जीत में एक नेवला भारत के लिए भाग्यशाली साबित हुआ था. तेंदुलकर आखिरी ओवर फेंक रहे थे और दक्षिण अफ्रीका को जीत के लिए छह रन की जरूरत थी. भारत ने ईडन गार्डन पर यादगार जीत दर्ज की थी. उस मैच में सचिन तेंदुलकर बल्ले से कमाल नहीं दिखा पाए थे लेकिन आखिरी ओवर में केवल 4 रन देकर 2 रन से यह जीतकर फाइनल में अपनी आमद दर्ज कराई थी.
आईडीबीआई फेडरल लाइफ इंश्योरेंस कोलकाता फुल मैराथन के ब्रांड दूत तेंदुलकर ने दौड़ से एक दिन पहले कहा, "मुझे नहीं पता कि आपमें से कितनों ने इस पर गौर किया होगा क्योंकि यह पहला दिन रात का मैच था. मैच के दूसरे हाफ में बार-बार एक नेवला आ रहा था." उन्होंने कहा, "जब भी वह मैदान पर आता, हमें विकेट मिलता था. उसके बाद रन बनने लगते और फिर वह नेवला आता तो हमें विकेट मिलता. मैं उस नेवले के आने का इंतजार कर रहा था जब मुझे आखिरी ओवर डालना था."
तेंदुलकर बल्ले से नाकाम रहे थे और कप्तान मोहम्मद अजहरूद्दीन ने उन्हें आखिरी ओवर फेंकने का जिम्मा सौंपा था. यह एक जुआ था जो चल निकला. तेंदुलकर ने तीन गेंदें खाली डाली जिसके बाद एलेन डोनाल्ड रन आउट हो गए और आखिरी गेंद पर ब्रायन मैकमिलन चौका नहीं लगा सके. उन्होंने कहा ,"कोलकाता में हम हमेशा एक लतीफा सुनते सुनाते थे कि पहले दो विकेट ले लो, बाकी के आठ विकेट दर्शक ही ले लेते हैं."
कुछ ऐसा था उस मैच का रोमांच
24 नवंबर 1993 को हीरो कप का पहला सेमीफाइनल भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच ईडन गार्डन पर खेला गया. भारत ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 50 ओवर में कप्तान मोहम्म्द अजहरुद्दीन के शानदार 90 रनों की मदद से 195 रन बनाए थे. आमरे ने भी 48 रनों की पारी खेली थी. सचिन तेंदुलकर इस मैच में कुछ खास नहीं कर सके थे और केवल 15 रनों का योगदान दे सके थे. जवाब में दक्षिण अफ्रीका की टीम 193 रन ही बना सकी थी.
भारत ने जीता था हीरो कप
दूसरा सेमीफाइनल श्रीलंका और वेस्टइंडीज के बीच 25 नवंबर 1993 को हुआ था. बाद में फाइनल मुकाबला वेस्टइंडीज और भारत के बीच खेला गया था जिसमें भारत ने वेस्टइंडीज को 102 रनों से हराकर हीरो कप पर कब्जा जमाया था.
(इनपुट भाषा से भी)
आईडीबीआई फेडरल लाइफ इंश्योरेंस कोलकाता फुल मैराथन के ब्रांड दूत तेंदुलकर ने दौड़ से एक दिन पहले कहा, "मुझे नहीं पता कि आपमें से कितनों ने इस पर गौर किया होगा क्योंकि यह पहला दिन रात का मैच था. मैच के दूसरे हाफ में बार-बार एक नेवला आ रहा था." उन्होंने कहा, "जब भी वह मैदान पर आता, हमें विकेट मिलता था. उसके बाद रन बनने लगते और फिर वह नेवला आता तो हमें विकेट मिलता. मैं उस नेवले के आने का इंतजार कर रहा था जब मुझे आखिरी ओवर डालना था."
तेंदुलकर बल्ले से नाकाम रहे थे और कप्तान मोहम्मद अजहरूद्दीन ने उन्हें आखिरी ओवर फेंकने का जिम्मा सौंपा था. यह एक जुआ था जो चल निकला. तेंदुलकर ने तीन गेंदें खाली डाली जिसके बाद एलेन डोनाल्ड रन आउट हो गए और आखिरी गेंद पर ब्रायन मैकमिलन चौका नहीं लगा सके. उन्होंने कहा ,"कोलकाता में हम हमेशा एक लतीफा सुनते सुनाते थे कि पहले दो विकेट ले लो, बाकी के आठ विकेट दर्शक ही ले लेते हैं."
कुछ ऐसा था उस मैच का रोमांच
24 नवंबर 1993 को हीरो कप का पहला सेमीफाइनल भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच ईडन गार्डन पर खेला गया. भारत ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 50 ओवर में कप्तान मोहम्म्द अजहरुद्दीन के शानदार 90 रनों की मदद से 195 रन बनाए थे. आमरे ने भी 48 रनों की पारी खेली थी. सचिन तेंदुलकर इस मैच में कुछ खास नहीं कर सके थे और केवल 15 रनों का योगदान दे सके थे. जवाब में दक्षिण अफ्रीका की टीम 193 रन ही बना सकी थी.
भारत ने जीता था हीरो कप
दूसरा सेमीफाइनल श्रीलंका और वेस्टइंडीज के बीच 25 नवंबर 1993 को हुआ था. बाद में फाइनल मुकाबला वेस्टइंडीज और भारत के बीच खेला गया था जिसमें भारत ने वेस्टइंडीज को 102 रनों से हराकर हीरो कप पर कब्जा जमाया था.
(इनपुट भाषा से भी)
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