सचिन ने बहुत ज्यादा दर्द के साथ वे दो ऐतिहासक पारियां खेली थीं, रॉबिन उथप्पा का खुलासा, Video

रॉबिन बोले कि मुझे याद है कि हम सीरीज में पाजी से बात किया करते थे. तब उन्होंने कहा था कि रॉबिन 32, 33 या 34 की उम्र के बाद खुद को फिट रखना मुश्किल काम होता है क्योंकि तब यह ज्यादा चुनौतीपूर्ण हो जात है. चोटें ज्यादा असर डालना शुरू कर देती हैं. जब मेरी उनसे बात हुयी, तब मैं 21 या 22 साल का था और मैंने उन्हें जवाब दिया, 'नहीं पाजी, आप यह बात ऐसे ही कह रहे हो.

सचिन ने बहुत ज्यादा दर्द के साथ वे दो ऐतिहासक पारियां खेली थीं, रॉबिन उथप्पा का खुलासा, Video

रॉबिन उथप्पा इन दिनों खुलासे पर खुलासे कर रहे हैं

नई दिल्ली:

लॉकडाउन के दिनों में क्रिकेटर ऐसे खुलासे कर रहे हैं, जो वे आम दिनों में नहीं ही करते. रॉबिन उथप्पा ने अब कहा है कि साल 2008 में ऑस्ट्रेलिया में खेली गयी ऐतिहासक कॉमनवेल्थ सरीज में सचिन तेंदुलकर शारीरिक रूप से अच्छा महसूस नहीं कर रहे थे. याद दिला दें कि तब ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ बेस्ट ऑफ थ्री फाइनल में ये  सचिन की दो बेहतरीन पारियां ही थीं, जिसके बूते भारत ने जीत दर्ज की थी. और सचिन ने ये पारियां ऐसे समय खेलीं, जब वह दर्द से लड़ाई लड़ रहे थे. सचिन ने तब सीरीज के 10 मैचों में 399 रन बनाए थे. रॉबिन उथप्पा भी उसी टीम का हिस्सा थे और उन्होंने सचिन के साथ 50 और 94 रन की दो अहम साझेदारियां निभायी थीं. 

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रॉबिन ने एक पोस्टकाड मंच पर बोलते हुए कहा कि मुझे अभी भी विश्वास नहीं होता कि सचिन ने इतने ज्यादा दर्द के बीच कैसे बल्लेबजी की. मैं उन्हें पाजी कहकर बुलाता हूं. वह कॉमनवेल्थ सीरीज में बहुत ज्यादा दर्द के साथ खेले. वह शारीरिक तौर पूरी तरह से ठीक नहीं थे और उन्होंने बहुत ज्यादा दर्द के साथ बल्लेबाजी की. ऐसा भी हुआ जब कई बार दर्द उनके चेहरे या प्रतिक्रिया में झलका. और जब हमने पूछा कि क्या आप ठीक हैं, तो उन्होंने जवाब दिया, 'मैं बढ़िया हूं.'

रॉबिन ने कहा कि उन्हें हमेशा टीम की जरूरत को सबसे ऊपर रखा और अपने करियर में हमेशा ही इसी भाव के साथ खेले. वह बहुत ही ज्यादा दर्द के साथ खेले. निश्चित ही, सीरीज परिणाम में सचिन एक बड़ा अंतर हे थे. सिडनी में सचिन की 117 रन की पारी ने भारत को सीरीज में बढ़त लेने का मौका दिया था. इसके बाद उन्होंने एमसीजी में दूसरे फाइनल में भी अपनी फॉर्म को बरकरार रखा और 91 रन की पारी खेली.

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रॉबिन बोले कि मुझे याद है कि हम सीरीज में पाजी से बात किया करते थे. तब उन्होंने कहा था कि रॉबिन 32, 33 या 34 की उम्र के बाद खुद को फिट रखना मुश्किल काम होता है क्योंकि तब यह ज्यादा चुनौतीपूर्ण हो जात है. चोटें ज्यादा असर डालना शुरू कर देती हैं. जब मेरी उनसे बात हुयी, तब मैं 21 या 22 साल का था और मैंने उन्हें जवाब दिया, 'नहीं पाजी, आप यह बात ऐसे ही कह रहे हो. इस पर पाजी ने कहा कि जब तुम 35 साल के होंगे, तब बात करेंगे. देखते हैं कि तुम मुझसे समहत होते हो या नहीं. और जब आज मैं 35 साल का हूं, तो मैं कहना चाहता हूं कि वह दो सौ फीसदी सही थे. 

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