मुंबई:
भारतीय क्रिकेट टीम के महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर ने रविवार को कहा कि वह इस बात की कोशिश करेंगे कि 2015 विश्व कप खेल सकें लेकिन इस सम्बंध में वह कोई वादा नहीं करना चाहते। सचिन ने कहा कि इसके लिए लोगों की दुआओं की भी उन्हें जरूरत पड़ेगी।
अपने करियर का 100वां शतक पूरा करने के उपलक्ष्य में आयोजित सम्मान समारोह में संवाददाताओं से मुखातिब सचिन ने कहा, "यह सवाल मुझसे 2007 में (2011 विश्व कप के लिए) भी पूछा गया था। इसका जवाब कठिन है। इस बार भी बिल्कुल वही हालात हैं। मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि 2015 को लेकर मैं क्या कहूं।"
"अगर लोग मेरे लिए प्रार्थना करते रहेंगे तो यह मेरे लिए काफी मायने रखेगा। अपना सातवां विश्व कप खेलने के लिए मैं कोशिश जारी रखूंगा, बाकी ईश्वर के हाथ में है। मैं बस खेल का लुत्फ लेना चाहता हूं। इस मुकाम पर मैं कोई लक्ष्य निर्धारित नहीं करना चाहता।"
टेस्ट और एकदिवसीय क्रिकेट के अनेकों कीर्तिमान अपने नाम कर चुके सचिन ने कहा कि उन्हें पूरी उम्मीद है कि उनका 100 शतकों का रिकार्ड कोई भारतीय खिलाड़ी ही तोड़ेगा।
सचिन ने कहा, "इस बारे में मैं क्या कहूं। सभी रिकार्ड टूटने के लिए बनते हैं। ऐसे में मैं बस यही उम्मीद कर सकता हूं कि मेरा रिकार्ड कोई भारतीय ही तोड़े।"
"इस बारे में मैं कोई अनुमान नहीं लगाना चाहता या फिर किसी का नाम नहीं लेना चाहता लेकिन मुझे इतना यकीन है कि मेरा रिकार्ड जब भी टूटेगा, उसके पीछे किसी भारतीय का हाथ होगा।"
अपने 100वें शतक के लिए एक साल तक इंतजार करने और आलोचकों के शब्दवाण झेलने वाले सचिन ने अपने आलोचकों को करारा जवाब देते हुए कहा है कि वह अपने संन्यास का फैसला खुद करेंगे। तेंदुलकर के मुताबिक उनका ध्यान रिकॉर्ड पर नहीं बल्कि खेल पर है।
सचिन ने कहा कि उन्हें अब कुछ साबित करने की जरूरत नहीं है। बकौल तेंदुलकर, "यहां पहुंचने में मुझे 23 वर्ष लगे हैं। मैं अपने संन्यास का फैसला खुद करूंगा। अभी मैं खेल का आनंद उठा रहा हूं। मुझे अब कुछ भी साबित करने की जरूरत नहीं है।"
सचिन ने हाल में बांग्लादेश में सम्पन्न एशिया कप के दौरान मेजबान टीम के खिलाफ शतक लगाकर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में सौंवा शतक पूरा किया था। तेंदुलकर का कहना है कि उनका दो बड़ा सपना अब पूरा हो गया है।
सचिन ने कहा, "भारत के लिए खेलना और विश्व कप जीतना बड़ा ख्वाब था जो पूरा हो गया है। मुझे किसी की सलाह की जरूरत नहीं है।" तेंदुलकर ने कहा कि उनका रोल मॉडल उनके पिता हैं।
सचिन ने खुलासा किया कि एक तरफ जहां पूरा देश उनके 100वें शतक के जश्न में डूबा था वहीं दूसरी ओर उनके साथी इसमें शामिल नहीं हुए थे क्योंकि उस मैच में भारतीय टीम बांग्लादेश से हार गई थी।
भारत को एशिया कप के अपने दूसरे लीग मैच में बांग्लादेश से पांच विकेट से हार मिली थी। उस मैच में सचिन ने 114 रन बनाए थे। यह उनके करियर का 100वां शतक था।
सचिन बोले, "हमने उस शतक का जश्न नहीं मनाया था क्योंकि हम वह मैच हार गए थे। मैं अपनी उपलब्धियों की श्रेणी में एक मैच को शामिल नहीं करता। मेरे लिए 23 साल मायने रखते हैं। हमारे लिए बांग्लादेश से हारना निराशा की बात थी। यही कारण है कि हम जिस दिन हारे थे, उस दिन कोई जश्न नहीं हुआ था।"
अपने खेल जीवन में मिली सबसे बड़ी प्रशंसा को लेकर सचिन ने कहा कि सर डॉन ब्रैडमैन द्वारा उन्हें अपने अंतिम-11 टीम में शामिल करने को वह सबसे बड़ी प्रशंसा मानते हैं।
अपने करियर का 100वां शतक पूरा करने के उपलक्ष्य में आयोजित सम्मान समारोह में संवाददाताओं से मुखातिब सचिन ने कहा, "यह सवाल मुझसे 2007 में (2011 विश्व कप के लिए) भी पूछा गया था। इसका जवाब कठिन है। इस बार भी बिल्कुल वही हालात हैं। मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि 2015 को लेकर मैं क्या कहूं।"
"अगर लोग मेरे लिए प्रार्थना करते रहेंगे तो यह मेरे लिए काफी मायने रखेगा। अपना सातवां विश्व कप खेलने के लिए मैं कोशिश जारी रखूंगा, बाकी ईश्वर के हाथ में है। मैं बस खेल का लुत्फ लेना चाहता हूं। इस मुकाम पर मैं कोई लक्ष्य निर्धारित नहीं करना चाहता।"
टेस्ट और एकदिवसीय क्रिकेट के अनेकों कीर्तिमान अपने नाम कर चुके सचिन ने कहा कि उन्हें पूरी उम्मीद है कि उनका 100 शतकों का रिकार्ड कोई भारतीय खिलाड़ी ही तोड़ेगा।
सचिन ने कहा, "इस बारे में मैं क्या कहूं। सभी रिकार्ड टूटने के लिए बनते हैं। ऐसे में मैं बस यही उम्मीद कर सकता हूं कि मेरा रिकार्ड कोई भारतीय ही तोड़े।"
"इस बारे में मैं कोई अनुमान नहीं लगाना चाहता या फिर किसी का नाम नहीं लेना चाहता लेकिन मुझे इतना यकीन है कि मेरा रिकार्ड जब भी टूटेगा, उसके पीछे किसी भारतीय का हाथ होगा।"
अपने 100वें शतक के लिए एक साल तक इंतजार करने और आलोचकों के शब्दवाण झेलने वाले सचिन ने अपने आलोचकों को करारा जवाब देते हुए कहा है कि वह अपने संन्यास का फैसला खुद करेंगे। तेंदुलकर के मुताबिक उनका ध्यान रिकॉर्ड पर नहीं बल्कि खेल पर है।
सचिन ने कहा कि उन्हें अब कुछ साबित करने की जरूरत नहीं है। बकौल तेंदुलकर, "यहां पहुंचने में मुझे 23 वर्ष लगे हैं। मैं अपने संन्यास का फैसला खुद करूंगा। अभी मैं खेल का आनंद उठा रहा हूं। मुझे अब कुछ भी साबित करने की जरूरत नहीं है।"
सचिन ने हाल में बांग्लादेश में सम्पन्न एशिया कप के दौरान मेजबान टीम के खिलाफ शतक लगाकर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में सौंवा शतक पूरा किया था। तेंदुलकर का कहना है कि उनका दो बड़ा सपना अब पूरा हो गया है।
सचिन ने कहा, "भारत के लिए खेलना और विश्व कप जीतना बड़ा ख्वाब था जो पूरा हो गया है। मुझे किसी की सलाह की जरूरत नहीं है।" तेंदुलकर ने कहा कि उनका रोल मॉडल उनके पिता हैं।
सचिन ने खुलासा किया कि एक तरफ जहां पूरा देश उनके 100वें शतक के जश्न में डूबा था वहीं दूसरी ओर उनके साथी इसमें शामिल नहीं हुए थे क्योंकि उस मैच में भारतीय टीम बांग्लादेश से हार गई थी।
भारत को एशिया कप के अपने दूसरे लीग मैच में बांग्लादेश से पांच विकेट से हार मिली थी। उस मैच में सचिन ने 114 रन बनाए थे। यह उनके करियर का 100वां शतक था।
सचिन बोले, "हमने उस शतक का जश्न नहीं मनाया था क्योंकि हम वह मैच हार गए थे। मैं अपनी उपलब्धियों की श्रेणी में एक मैच को शामिल नहीं करता। मेरे लिए 23 साल मायने रखते हैं। हमारे लिए बांग्लादेश से हारना निराशा की बात थी। यही कारण है कि हम जिस दिन हारे थे, उस दिन कोई जश्न नहीं हुआ था।"
अपने खेल जीवन में मिली सबसे बड़ी प्रशंसा को लेकर सचिन ने कहा कि सर डॉन ब्रैडमैन द्वारा उन्हें अपने अंतिम-11 टीम में शामिल करने को वह सबसे बड़ी प्रशंसा मानते हैं।
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