रवींद्र जडेजा फाइल फोटो
रणजी ट्राफी में सौराष्ट्र की ओर से जबर्दस्त प्रदर्शन करते हुए आलराउंडर रवींद्र जडेजा ने टीम इंडिया की टेस्ट टीम में वापसी की है। दो मैचों में उन्होंने न सिर्फ 24 विकेट झटके, बल्कि 74.5 के औसत से 149 रन भी बनाए। उनके इस प्रदर्शन ने लोअर-मिडिल ऑर्डर को मजबूत बनाने की दिशा में कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को अधिक विकल्प उपलब्ध कराए हैं।
मेरे बारे में काफी निगेटिव बातें कही गईं
लगातार चोटों और खराब फॉर्म के चलते जडेजा के लिए यह साल कोई खास नहीं रहा और उन्हें टीम इंडिया में अपना स्थान गंवाना पड़ा। वर्ल्डकप-2015 के तुरंत बाद कंधे पर लगी चोट के कारण बल्ले और गेंद, दोनों से उनके प्रदर्शन में गिरावट आई। वे अपनी गेंदबाजी से बल्लेबाजों पर दबाव नहीं बना पा रहे थे। बहरहाल, टीम से बाहर होने के बाद मिले समय को जडेजा ने अपनी खेल क्षमता को बेहतर बनाने में किया। टीम से बाहर होने से संबंधित प्रश्न पर जडेजा ने एक इंटरव्यू में कहा, 'कोई भी टीम से बाहर नहीं रहना चाहता। टीम से बाहर होने के बाद मेरे बारे में काफी कुछ निगेटिव बातें कही गईं।' जडेजा के अनुसार, टीम से बाहर रहने के दौरान मिले ब्रेक का इस्तेमाल उन्होंने खुद को आगामी चुनौतियों से मानसिक तौर पर मजबूत बनाने के लिए किया। रणजी सत्र के पहले वे क्रिकेट से पूरी तरह दूर रहे।
खेल कौशल को बेहतर करना लक्ष्य
अपने खेल के बारे में विचार करते हुए उन्होंने अपने नैसर्गिक खेल पर ध्यान केंद्रित किया। जडेजा बताते हैं, 'मैंने खेल में जरा भी बदलाव नहीं किया है। मेरा मानना है कि यदि में अपने स्वाभाविक खेल को मजबूत करूंगा, खेल कौशल को विकसित करूंगा, यह मेरे लिए मददगार होगा। मेरा मानना है कि मैं इसी तरीके से पिछले कई सालों से खेल रहा हूं, मुझसे इसे और बेहतर करना है।'
100 फीसदी देना चाहता हूं
'सौराष्ट्र के इस क्रिकेटर का रणजी ट्रॉफी का हाल का प्रदर्शन टेस्ट टीम में स्थान बनाने के लिहाज से भी मददगार रहा है। वे अपनी पुरानी गलतियों को भुलाते हुए अपने खेल के जरिये 18 माह के अंतराल के बाद अपने पहले घरेलू टेस्ट मैच में छाप छोड़ना चाहते हैं। उन्होंने कहा, 'मुझे अपना बेहद सरल योजना बनाते हुए इस पर काम करना होगा। बल्लेबाजी करते हुए मुझे 100 फीसदी देते अपने शॉट्स खेलने होंगे। इसलिए मैं हर छोटी से छोटी चीज पर काम कर रहा हूं। '
मेरे बारे में काफी निगेटिव बातें कही गईं
लगातार चोटों और खराब फॉर्म के चलते जडेजा के लिए यह साल कोई खास नहीं रहा और उन्हें टीम इंडिया में अपना स्थान गंवाना पड़ा। वर्ल्डकप-2015 के तुरंत बाद कंधे पर लगी चोट के कारण बल्ले और गेंद, दोनों से उनके प्रदर्शन में गिरावट आई। वे अपनी गेंदबाजी से बल्लेबाजों पर दबाव नहीं बना पा रहे थे। बहरहाल, टीम से बाहर होने के बाद मिले समय को जडेजा ने अपनी खेल क्षमता को बेहतर बनाने में किया। टीम से बाहर होने से संबंधित प्रश्न पर जडेजा ने एक इंटरव्यू में कहा, 'कोई भी टीम से बाहर नहीं रहना चाहता। टीम से बाहर होने के बाद मेरे बारे में काफी कुछ निगेटिव बातें कही गईं।' जडेजा के अनुसार, टीम से बाहर रहने के दौरान मिले ब्रेक का इस्तेमाल उन्होंने खुद को आगामी चुनौतियों से मानसिक तौर पर मजबूत बनाने के लिए किया। रणजी सत्र के पहले वे क्रिकेट से पूरी तरह दूर रहे।
खेल कौशल को बेहतर करना लक्ष्य
अपने खेल के बारे में विचार करते हुए उन्होंने अपने नैसर्गिक खेल पर ध्यान केंद्रित किया। जडेजा बताते हैं, 'मैंने खेल में जरा भी बदलाव नहीं किया है। मेरा मानना है कि यदि में अपने स्वाभाविक खेल को मजबूत करूंगा, खेल कौशल को विकसित करूंगा, यह मेरे लिए मददगार होगा। मेरा मानना है कि मैं इसी तरीके से पिछले कई सालों से खेल रहा हूं, मुझसे इसे और बेहतर करना है।'
100 फीसदी देना चाहता हूं
'सौराष्ट्र के इस क्रिकेटर का रणजी ट्रॉफी का हाल का प्रदर्शन टेस्ट टीम में स्थान बनाने के लिहाज से भी मददगार रहा है। वे अपनी पुरानी गलतियों को भुलाते हुए अपने खेल के जरिये 18 माह के अंतराल के बाद अपने पहले घरेलू टेस्ट मैच में छाप छोड़ना चाहते हैं। उन्होंने कहा, 'मुझे अपना बेहद सरल योजना बनाते हुए इस पर काम करना होगा। बल्लेबाजी करते हुए मुझे 100 फीसदी देते अपने शॉट्स खेलने होंगे। इसलिए मैं हर छोटी से छोटी चीज पर काम कर रहा हूं। '
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं