पार्थिव पटेल का फाइल फोटो...
नई दिल्ली:
2002 में पार्थिव पटेल को जब भारतीय टीम में मौक़ा मिला, तब वह भारत के लिए टेस्ट मैच में पदार्पण करने वाले सबसे कम उम्र के विकेटकीपर बन गए. किस्मत की बात यह है पार्थिव ने अपने टेस्ट करियर का पहला मैच इंग्लैंड के खिलाफ खेला और आज आठ साल और 107 दिन के बाद इंग्लैंड के खिलाफ भारतीय टीम में उनकी वापसी हुई है. इस वापसी के साथ पार्थिव ने भारत के लिए दो शानदार रिकॉर्ड कायम किए हैं. रिकॉर्ड के बारे में जानने से पहले चलिए पार्थिव के टेस्ट करियर पर एक नज़र डालते हैं...
ख़राब प्रदर्शन की वजह से टीम से हुए बाहर : टेस्ट खिलाड़ी के रूप में पार्थिव का रिकॉर्ड इतना अच्छा नहीं रहा. इंग्लैंड के खिलाफ अपने पहले मैच की पहली पारी में वह शून्य पर आउट गए और 11 मैच के बाद वह अपना पहला अर्धशतक बना पाए थे. ख़राब प्रदर्शन की वजह से पार्थिव को 2004 में टीम से बाहर होना पड़ा. पार्थिव की जगह दिनेश कार्तिक को टीम में मौक़ा मिला. नवंबर 2004 लेकर 20 सिंतबर 2005 तक कार्तिक लगातार भारत के तरफ से विकेटकीपिंग करते रहे.
2008 में सिर्फ एक मैच के लिए हुई वापसी : लेकिन दिसंबर 2005 कार्तिक को टीम से बाहर बैठना पड़ा और टीम में महेंद्र सिंह धोनी को मौक़ा मिला. धोनी एक अच्छे विकेट कीपर के रूप में टीम में अपना स्थान पक्का करते गए. ऐसे में पार्थिव पटेल का टीम में चयन नहीं हुआ. इस बीच जब-जब धोनी को आराम दिया जा रहा था टीम में कार्तिक की चयन होता था. 8 अगस्त 2008 में श्रीलंका के खिलाफ पार्थिव पटेल की टीम में वापसी हुई. इस सीरीज के आखिरी मैच में उन्हें खेलने का मौक़ा मिला और दोनों पारियों में वह कुल मिलाकर सिर्फ 14 रन बना पाए थे. इस मैच के बाद पार्थिव को टीम में मौक़ा नहीं मिला पाया था.
धोनी के कप्तानी में पार्थिव एक भी टेस्ट मैच नहीं खेल पाए : महेंद्र सिंह की कप्तानी में पार्थिव पटेल एक भी टेस्ट मैच नहीं खेल पाए. 11 अप्रैल 2008 से 26 दिसंबर 2014 के बीच धोनी ने 60 टेस्ट मैचों की कप्तानी की, लेकिन इन 60 टेस्ट मैचों में पार्थिव पटेल को मौक़ा नहीं मिला. 8 अगस्त 2008 में श्रीलंका के खिलाफ जिस मैच में पार्थिव को मौक़ा मिला था, उस मैच के कप्तान अनिल कुंबले था. सिर्फ कप्तान नहीं, जिस टेस्ट मैच में धोनी खेले हैं, उस मैच में भी पार्थिव को मौक़ा नहीं मिल पाया है. हां, यह कहा जा सकता है कि जब धोनी खुद विकेटकीपर थे तो पार्थिव की जरूरत नहीं थी, लेकिन धोनी की कप्तानी में दिनेश कार्तिक को एक बल्लेबाज के रूप में मौक़ा मिला है. राहुल द्रविड़ और अनिल कुंबले की कप्तानी में धोनी को विकेटकीपर के रूप में और कार्तिक को बल्लेबाज के रूप में मौका मिला है.
वह दो रिकॉर्ड जो पार्थिव पटेल ने कायम किए हैं : चलिए अब उस रिकॉर्ड की बात करते हैं, जो पार्थिव पटेल ने भारत के लिए कायम किए. आज इंग्लैंड के खिलाफ पार्थिव पटेल को जब टीम में मौक़ा मिला तो उन्होंने भारत के लिए दो रिकॉर्ड कायम किए. पहला लगातार दो टेस्ट के बीच सबसे ज्यादा टेस्ट मैच मिस करने का रिकॉर्ड और दूसरा दो टेस्ट के बीच सबसे ज्यादा अंतराल का रिकॉर्ड. लगातार दो मैच के बीच अगर सबसे ज्यादा टेस्ट मिस करने की बात की जाए तो पार्थिव पटेल 83 टेस्ट के साथ पहला स्थान पर हैं. दूसरे स्थान पर पीयूष चावला हैं, जबकि तीसरे स्थान पर फिर पार्थिव पटेल हैं. आंकड़ों पर एक नज़र...
अगर दूसरे रिकॉर्ड की बात की जाए तो दो टेस्ट के बीच सबसे ज्यादा साल के अंतर के रिकॉर्ड के मामले में पार्थिव पटेल पहले स्थान पर पहुंच गए हैं. 8 साल 105 दिन के साथ पार्थिव पटेल पहले स्थान पर हैं. इस मामले में 6 साल 25 दिन के साथ मोहिंदर अमरनाथ दूसरे स्थान पर है, जबकि 6 साल 7 दिन के अंतर के साथ विजय मेहरा तीसरे स्थान पर हैं. चलिए, रिकॉर्ड पर एक नज़र डालते हैं...
ख़राब प्रदर्शन की वजह से टीम से हुए बाहर : टेस्ट खिलाड़ी के रूप में पार्थिव का रिकॉर्ड इतना अच्छा नहीं रहा. इंग्लैंड के खिलाफ अपने पहले मैच की पहली पारी में वह शून्य पर आउट गए और 11 मैच के बाद वह अपना पहला अर्धशतक बना पाए थे. ख़राब प्रदर्शन की वजह से पार्थिव को 2004 में टीम से बाहर होना पड़ा. पार्थिव की जगह दिनेश कार्तिक को टीम में मौक़ा मिला. नवंबर 2004 लेकर 20 सिंतबर 2005 तक कार्तिक लगातार भारत के तरफ से विकेटकीपिंग करते रहे.
2008 में सिर्फ एक मैच के लिए हुई वापसी : लेकिन दिसंबर 2005 कार्तिक को टीम से बाहर बैठना पड़ा और टीम में महेंद्र सिंह धोनी को मौक़ा मिला. धोनी एक अच्छे विकेट कीपर के रूप में टीम में अपना स्थान पक्का करते गए. ऐसे में पार्थिव पटेल का टीम में चयन नहीं हुआ. इस बीच जब-जब धोनी को आराम दिया जा रहा था टीम में कार्तिक की चयन होता था. 8 अगस्त 2008 में श्रीलंका के खिलाफ पार्थिव पटेल की टीम में वापसी हुई. इस सीरीज के आखिरी मैच में उन्हें खेलने का मौक़ा मिला और दोनों पारियों में वह कुल मिलाकर सिर्फ 14 रन बना पाए थे. इस मैच के बाद पार्थिव को टीम में मौक़ा नहीं मिला पाया था.
धोनी के कप्तानी में पार्थिव एक भी टेस्ट मैच नहीं खेल पाए : महेंद्र सिंह की कप्तानी में पार्थिव पटेल एक भी टेस्ट मैच नहीं खेल पाए. 11 अप्रैल 2008 से 26 दिसंबर 2014 के बीच धोनी ने 60 टेस्ट मैचों की कप्तानी की, लेकिन इन 60 टेस्ट मैचों में पार्थिव पटेल को मौक़ा नहीं मिला. 8 अगस्त 2008 में श्रीलंका के खिलाफ जिस मैच में पार्थिव को मौक़ा मिला था, उस मैच के कप्तान अनिल कुंबले था. सिर्फ कप्तान नहीं, जिस टेस्ट मैच में धोनी खेले हैं, उस मैच में भी पार्थिव को मौक़ा नहीं मिल पाया है. हां, यह कहा जा सकता है कि जब धोनी खुद विकेटकीपर थे तो पार्थिव की जरूरत नहीं थी, लेकिन धोनी की कप्तानी में दिनेश कार्तिक को एक बल्लेबाज के रूप में मौक़ा मिला है. राहुल द्रविड़ और अनिल कुंबले की कप्तानी में धोनी को विकेटकीपर के रूप में और कार्तिक को बल्लेबाज के रूप में मौका मिला है.
वह दो रिकॉर्ड जो पार्थिव पटेल ने कायम किए हैं : चलिए अब उस रिकॉर्ड की बात करते हैं, जो पार्थिव पटेल ने भारत के लिए कायम किए. आज इंग्लैंड के खिलाफ पार्थिव पटेल को जब टीम में मौक़ा मिला तो उन्होंने भारत के लिए दो रिकॉर्ड कायम किए. पहला लगातार दो टेस्ट के बीच सबसे ज्यादा टेस्ट मैच मिस करने का रिकॉर्ड और दूसरा दो टेस्ट के बीच सबसे ज्यादा अंतराल का रिकॉर्ड. लगातार दो मैच के बीच अगर सबसे ज्यादा टेस्ट मिस करने की बात की जाए तो पार्थिव पटेल 83 टेस्ट के साथ पहला स्थान पर हैं. दूसरे स्थान पर पीयूष चावला हैं, जबकि तीसरे स्थान पर फिर पार्थिव पटेल हैं. आंकड़ों पर एक नज़र...
अगर दूसरे रिकॉर्ड की बात की जाए तो दो टेस्ट के बीच सबसे ज्यादा साल के अंतर के रिकॉर्ड के मामले में पार्थिव पटेल पहले स्थान पर पहुंच गए हैं. 8 साल 105 दिन के साथ पार्थिव पटेल पहले स्थान पर हैं. इस मामले में 6 साल 25 दिन के साथ मोहिंदर अमरनाथ दूसरे स्थान पर है, जबकि 6 साल 7 दिन के अंतर के साथ विजय मेहरा तीसरे स्थान पर हैं. चलिए, रिकॉर्ड पर एक नज़र डालते हैं...
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं