
- इंग्लैंड के खिलाफ केनिंगटन ओवल में मोहम्मद सिराज का प्रदर्शन विश्व क्रिकेट में एक मिसाल बन गया है
- पूर्व भारतीय कोच ग्रेग चैपल ने सिराज को बुमराह के बाद टीम के बॉलिंग अटैक का आध्यात्मिक और वास्तविक लीडर बताया
- चैपल ने सिराज के केनिंगटन ओवल प्रदर्शन को आने वाले सालों तक याद रखने वाला उल्लेखनीय बताया है
सोमवार को मेजबान इंग्लैंड के खिलाफ केनिंगटन ओवल में खत्म हुए पांचवें और आखिरी टेस्ट (Eng vs Ind) के आखिरी दिन इंग्लैंड की बत्ती गुल करने वाले भारतीय पेसर मोहम्मद सिराज (Mohammed Siraj) दुनिया भर के पूर्व दिग्गजों के बीच चर्चा का विषय बन गए हैं. और आखिर ऐसा हो भी क्यों न? सिराज के इस प्रदर्शन को सिर्फ असाधारण प्रदर्शन में नहीं बांधा जा सकता, बल्कि यह अपने आप में एक मिसाल है, जिसका जिक्र हमेशा होता रहेगा. और अब सिराज के लिए बड़े बोल महान कंगारू बल्लेबाज और पूर्व भारतीय कोच गुरु ग्रेग चैपल के मुंह से निकले हैं. चैपल ने कहा कि बुमराह आगे इस टीम का हिस्सा बनते हैं या नहीं, वह इस बॉलिंग अटैक के 'आध्यात्मिक' और वास्तविक लीडर हैं.
'आने वाले सालों तक याद किया जाएगा'
चैपल ने एक वेबसाइट के लिए लिखे कॉलम में कहा, 'ईमानदारी से कहूं, तो सिराज पहले भी एमसीजी, गाबा, पर्थ, लॉर्ड्स, केपटाउन और बर्मिंघम में बेहतर प्रदर्शन कर चुके हैं, लेकिन जो कुछ भी उन्होंने केनिंगटन ओवल में किया, वह आने वाले सालों तक याद किया जाएगा. इस प्रदर्शन के बाद अब बुमराह उनके साथ होते हैं या नहीं भी होते, सिराज टीम गिल के बॉलिंग अटैक के आध्यात्मिक और वास्तविक लीडर बनने के लिए तैयार हैं.'
'यह है सीरीज की सबसे बड़ी योग्यता'
चैपल ने कहा, 'मैं नहीं सोचता कि यह कहना अनुचित होगा कि कई शानदार बैटिंग परफॉरमेंस के के बावजूद सिराज एक मुख्य वजह रहे जिससे भारत इस सीरीजी में प्रतिस्पर्धात्मक बना रहा.' 31 साल के सिराज शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक तीनों ही पहलू से लचीले हैं, लेकिन चैपल के हिसाब से भारतीय पेसर की सबसे बड़ी योग्यता उन पलों को पहचानना है, जब उन्हें अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना होता है.
'यही खिलाड़ी और लीडर के बीच का अंतर'
चैपल ने कहा, 'सिराज ने किसी सनकी शख्स की तरह बॉलिंग की, लेकिन उनमें ऐसा शख्स भी दिखा, जो खुद को गति देने की कला और महत्वपूर्ण पलों को पढ़ने की कला सीख चुका था.' उन्होंने लिखा, 'उनकी जिस बात ने मुझे सबसे ज्यादा प्रभावित किया, वह उनके प्रयास नहीं थे. प्रयास थोक के भाव में थे. मुझे उनके विकास ने प्रभावित किया है. उन्होंने जुनून के साथ शुरुआत की, लेकिन इसका समापन जुनून और उद्देश्य के साथ किया. खिलाड़ी और लीडर के बीच यही अंतर है.
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