मुंबई:
भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान और महान सलामी बल्लेबाज सुनील गावस्कर का कहना है कि भारतीय टीम के मौजूदा कप्तान महेंद्र सिंह धोनी अंदर से क्या हैं और क्रिकेट को लेकर उनकी सोच की सीमा क्या है, इस बात को कोई नहीं जानता।
धोनी ने वेस्ट इंडीज में समाप्त त्रिकोणीय शृंखला के फाइनल में श्रीलंका के खिलाफ विपरीत परिस्थितियों में भारत को जिस अंदाज में जीत दिलाई, उसके गावस्कर कायल हो गए हैं और एक समाचार पत्र में प्रकाशित अपने लेख में उन्होंने लिखा है कि धोनी को समझना असंभव है।
गावस्कर ने लिखा है, धोनी क्या चीज हैं, इसे समझ पाना असंभव है। उनके करीबी दोस्त मानते होंगे कि वे उन्हें जानते हैं, लेकिन मेरी समझ से वे उन्हें बिल्कुल नहीं जानते। असल में धोनी क्या हैं, यह किसी को नहीं पता। पोर्ट ऑफ स्पेन के क्वींस पार्क ओवल मैदान पर बीते गुरुवार को खेले गए फाइनल मुकाबले में धोनी ने असीम साहस का परिचय देते हुए भारत को जीत दिलाई।
अपनी पारी से धोनी ने साबित किया कि वह विश्व क्रिकेट के महानतम फिनिशर हैं। अंतिम ओवर में भारत को जीत के लिए 15 रनों की जरूरत थी और धोनी ने शमिंदा इरांगा द्वारा फेंके गए पारी के अंतिम ओवर में चार गेंदों पर 16 रन जुटाकर भारत को रोमांच से भरपूर फाइनल मुकाबले में एक विकेट के अंतर से जीत दिला दी। धोनी ने 152 रनों पर सात विकेट गिर जाने के बाद भुवनेश्वर कुमार, विनय कुमार और इशांत शर्मा के साथ बड़े सुनियोजित तरीके से भारतीय पारी को आगे बढ़ाया।
विनय के 182 के कुल योग पर आउट होने के बाद लगा कि भारत यह मैच हार जाएगा, लेकिन धोनी ने इशांत को अपना विकेट बचाए रखने के लिए प्रेरित किया और इस तरह से हालात को अपने पक्ष में किया कि उन्हें इरांगा द्वारा फेंके जाने वाले अंतिम ओवर में बल्ले का जौहर दिखाने का मौका मिले। अंतिम ओवर में भारत को जीत के लिए 15 रनों की जरूरत थी।
शमिंदा इरांगा द्वारा फेंके गए उस ओवर की पहली गेंद बेकार चली गई, लेकिन स्ट्राइकर पर जमे धोनी ने आपा नहीं खोया और दूसरी गेंद पर शानदार छक्का लगाया। इसके बाद धोनी ने इरांगा की तीसरी गेंद पर एक और चौका लगाया और फिर चौथी गेंद पर छक्का लगाकर दो गेंदें शेष रहते ही अपनी टीम को नामुमकिन सी दिखने वाली जीत दिला दी।
कप्तान को इस शानदार पारी के लिए मैन ऑफ द मैच चुना गया। वह जांघ की मांसपेशियों में खिंचाव के कारण दो मैचों में नहीं खेले थे, लेकिन फाइनल के लिए मैदान में उतरकर धोनी ने अपनी फिटनेस के साथ जोखिम उठाया। उनका जोखिम भारत के काम आया, क्योंकि कप्तान अगर विकेट पर नहीं होते, तो भारत यह मैच जरूर हार जाता।
अपने लेख के अंत में गावस्कर ने धोनी को शानदार भावांजलि देते हुए लिखा है, कल को अगर धोनी को क्रिकेट को अलविदा कहना होगा, तो वह चुपके से अपनी मोटरसाइकिल पर बैठेंगे और दूर चले जाएंगे। वह ऐसे महान खिलाड़ी हैं, जो हार और जीत की बराबर कद्र करते हैं। वह सिर्फ खेलने पर यकीन करते हैं।
धोनी ने वेस्ट इंडीज में समाप्त त्रिकोणीय शृंखला के फाइनल में श्रीलंका के खिलाफ विपरीत परिस्थितियों में भारत को जिस अंदाज में जीत दिलाई, उसके गावस्कर कायल हो गए हैं और एक समाचार पत्र में प्रकाशित अपने लेख में उन्होंने लिखा है कि धोनी को समझना असंभव है।
गावस्कर ने लिखा है, धोनी क्या चीज हैं, इसे समझ पाना असंभव है। उनके करीबी दोस्त मानते होंगे कि वे उन्हें जानते हैं, लेकिन मेरी समझ से वे उन्हें बिल्कुल नहीं जानते। असल में धोनी क्या हैं, यह किसी को नहीं पता। पोर्ट ऑफ स्पेन के क्वींस पार्क ओवल मैदान पर बीते गुरुवार को खेले गए फाइनल मुकाबले में धोनी ने असीम साहस का परिचय देते हुए भारत को जीत दिलाई।
अपनी पारी से धोनी ने साबित किया कि वह विश्व क्रिकेट के महानतम फिनिशर हैं। अंतिम ओवर में भारत को जीत के लिए 15 रनों की जरूरत थी और धोनी ने शमिंदा इरांगा द्वारा फेंके गए पारी के अंतिम ओवर में चार गेंदों पर 16 रन जुटाकर भारत को रोमांच से भरपूर फाइनल मुकाबले में एक विकेट के अंतर से जीत दिला दी। धोनी ने 152 रनों पर सात विकेट गिर जाने के बाद भुवनेश्वर कुमार, विनय कुमार और इशांत शर्मा के साथ बड़े सुनियोजित तरीके से भारतीय पारी को आगे बढ़ाया।
विनय के 182 के कुल योग पर आउट होने के बाद लगा कि भारत यह मैच हार जाएगा, लेकिन धोनी ने इशांत को अपना विकेट बचाए रखने के लिए प्रेरित किया और इस तरह से हालात को अपने पक्ष में किया कि उन्हें इरांगा द्वारा फेंके जाने वाले अंतिम ओवर में बल्ले का जौहर दिखाने का मौका मिले। अंतिम ओवर में भारत को जीत के लिए 15 रनों की जरूरत थी।
शमिंदा इरांगा द्वारा फेंके गए उस ओवर की पहली गेंद बेकार चली गई, लेकिन स्ट्राइकर पर जमे धोनी ने आपा नहीं खोया और दूसरी गेंद पर शानदार छक्का लगाया। इसके बाद धोनी ने इरांगा की तीसरी गेंद पर एक और चौका लगाया और फिर चौथी गेंद पर छक्का लगाकर दो गेंदें शेष रहते ही अपनी टीम को नामुमकिन सी दिखने वाली जीत दिला दी।
कप्तान को इस शानदार पारी के लिए मैन ऑफ द मैच चुना गया। वह जांघ की मांसपेशियों में खिंचाव के कारण दो मैचों में नहीं खेले थे, लेकिन फाइनल के लिए मैदान में उतरकर धोनी ने अपनी फिटनेस के साथ जोखिम उठाया। उनका जोखिम भारत के काम आया, क्योंकि कप्तान अगर विकेट पर नहीं होते, तो भारत यह मैच जरूर हार जाता।
अपने लेख के अंत में गावस्कर ने धोनी को शानदार भावांजलि देते हुए लिखा है, कल को अगर धोनी को क्रिकेट को अलविदा कहना होगा, तो वह चुपके से अपनी मोटरसाइकिल पर बैठेंगे और दूर चले जाएंगे। वह ऐसे महान खिलाड़ी हैं, जो हार और जीत की बराबर कद्र करते हैं। वह सिर्फ खेलने पर यकीन करते हैं।
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