नई दिल्ली:
श्रीलंकाई दौरे के लिए चुनी गई टीम इंडिया में तीन स्पेशलिस्ट स्पिनरों को जगह दी गई है। टीम मैनेजमेंट की सोच है कि उप महाद्वीप की पिचों पर ये स्पिनर टीम की ताक़त बन सकेंगे और टी-20 वर्ल्ड कप के लिए भी इनकी परख हो जाएगी।
हालांकि बड़ी बात यह है कि तीनों ही स्पिनर्स के पास बहुत ज्यादा अनुभव हासिल नहीं है। ऐसे में लंकाई पिच पर ये क्या कर पाते हैं, इस पर सेलेक्टर्स की निगाह ज़रूर रहेगी।
पूर्व कप्तान और मुख्य चयनकर्ता दिलीप वेंगसरकर टीम की बेंच स्ट्रेंथ को लेकर सवाल उठाते हैं और टीम के स्पिन डिपार्टमेंट पर उनका सवाल बिल्कुल फ़िट बैठता है।
पूर्व कप्तान अनिल कुंबले (वनडे में 337 विकेट) 1990 से लेकर 2007−08 तक इस ज़िम्मेदारी को बखूबी निभाते रहे, तो हरभजन सिंह वनडे में 259 विकेट 1998 से लेकर पिछले साल तक स्पिन डिपार्टमेंट के किंग बने रहे।
लेकिन हरभजन का फ़ॉर्म टीम के लिए बड़ा सवाल बन गया और फिर इसका जवाब सेलेक्टर्स सही वक्त पर ढूंढने में नाकाम रहे। श्रीलंकाई दौरे से पहले टीम के सामने फिरकी को लेकर कई सवाल हैं। क्या ये स्पिनर्स टी-20 वर्ल्ड कप के लिए भी तैयार हो सकेंगे? क्या हरभजन सिंह जैसे सीनियर खिलाड़ी की कमी नहीं खलेगी?
टीम में चुने गए तीनों स्पिनर्स को कुल मिलाकर 54 वनडे मैच खेलने का अनुभव हासिल है, जिसमें इनके नाम सिर्फ 76 विकेट हैं। लंबे आराम के बाद यह वक्त है फिरकी की आज़माइश का। चयनकर्ताओं ने टीम में तीन बिल्कुल अलग तरह के स्पिनर्स को जगह देकर उन्हें खुद को साबित करने का मौका दिया है।
अश्विन का आक्रमण
अश्विन की पहचान आक्रामक ऑफ स्पिनर की है। वर्ल्ड कप की जीत के बाद दाएं हाथ के इस आक्रामक स्पिनर को 26 वनडे मैच में खेलने का मौका मिला है। इसमें उन्होंने अपने करियर के 51 में से 33 विकेट झटके। बड़ी बात यह है कि सोडुकु गेंद डालने वाले अश्विन से टीम इंडिया और ख़ासकर कप्तान धोनी को बहुत उम्मीदें हैं।
अश्विन के करियर शुरू करते ही वर्ल्ड का ख़िताब हासिल हो चुका है। लेकिन 2011 वर्ल्ड कप में उन्हें सिर्फ दो मैच खेलने का मौका मिल पाया। उन्हें ज़ाहिर तौर पर बड़ी खुशी तब होगी, जब उनके प्रदर्शन के दम पर टीम इंडिया टी-20 वर्ल्ड कप में अपना परचम लहराये।
ओझा का जवाब
बाएं हाथ के इस स्पिन गेंदबाज़ को अब तक सिर्फ 16 वनडे मैच खेलने का मौका मिल पाया है, लेकिन ओझा इस सीज़न की शुरुआत कुछ अलग इरादों के साथ करना चाहते हैं। उन्होंने कहा है कि उनका प्रदर्शन ही उनका जवाब होगा।
25 साल के इस स्पिनर ने 16 मैचों में 20 विकेट झटके हैं, लेकिन इस बार वह टी-20 वर्ल्ड कप में अपनी जगह बनाने को बेताब दिख रहे हैं। ओझा को करीब 2 साल बाद वनडे खेलने का मौका मिल सकता है और वह इस मौके को ज़रूर हाथ से नहीं जाने देना चाहेंगे।
राहुल शर्मा का इम्तिहान
टीम इंडिया के बाक़ी खिलाड़ियों के लिए पिछला महीना भले ही आराम का रहा हो, विवाद पंजाब के इस लेग स्पिनर का पीछा कर उनके आराम में खलल डालते रहे। राहुल शर्मा को अब तक सिर्फ तीन वनडे मैच खेलने का मौका मिल पाया है, जिसमें उन्होंने 5 विकेट झटके हैं। अगर उन्हें प्लेइंग इलेवन में जगह मिलती है, तो खुद को साबित करने के लिए उन्हें जद्दोजहद करनी होगी।
हालांकि बड़ी बात यह है कि तीनों ही स्पिनर्स के पास बहुत ज्यादा अनुभव हासिल नहीं है। ऐसे में लंकाई पिच पर ये क्या कर पाते हैं, इस पर सेलेक्टर्स की निगाह ज़रूर रहेगी।
पूर्व कप्तान और मुख्य चयनकर्ता दिलीप वेंगसरकर टीम की बेंच स्ट्रेंथ को लेकर सवाल उठाते हैं और टीम के स्पिन डिपार्टमेंट पर उनका सवाल बिल्कुल फ़िट बैठता है।
पूर्व कप्तान अनिल कुंबले (वनडे में 337 विकेट) 1990 से लेकर 2007−08 तक इस ज़िम्मेदारी को बखूबी निभाते रहे, तो हरभजन सिंह वनडे में 259 विकेट 1998 से लेकर पिछले साल तक स्पिन डिपार्टमेंट के किंग बने रहे।
लेकिन हरभजन का फ़ॉर्म टीम के लिए बड़ा सवाल बन गया और फिर इसका जवाब सेलेक्टर्स सही वक्त पर ढूंढने में नाकाम रहे। श्रीलंकाई दौरे से पहले टीम के सामने फिरकी को लेकर कई सवाल हैं। क्या ये स्पिनर्स टी-20 वर्ल्ड कप के लिए भी तैयार हो सकेंगे? क्या हरभजन सिंह जैसे सीनियर खिलाड़ी की कमी नहीं खलेगी?
टीम में चुने गए तीनों स्पिनर्स को कुल मिलाकर 54 वनडे मैच खेलने का अनुभव हासिल है, जिसमें इनके नाम सिर्फ 76 विकेट हैं। लंबे आराम के बाद यह वक्त है फिरकी की आज़माइश का। चयनकर्ताओं ने टीम में तीन बिल्कुल अलग तरह के स्पिनर्स को जगह देकर उन्हें खुद को साबित करने का मौका दिया है।
अश्विन का आक्रमण
अश्विन की पहचान आक्रामक ऑफ स्पिनर की है। वर्ल्ड कप की जीत के बाद दाएं हाथ के इस आक्रामक स्पिनर को 26 वनडे मैच में खेलने का मौका मिला है। इसमें उन्होंने अपने करियर के 51 में से 33 विकेट झटके। बड़ी बात यह है कि सोडुकु गेंद डालने वाले अश्विन से टीम इंडिया और ख़ासकर कप्तान धोनी को बहुत उम्मीदें हैं।
अश्विन के करियर शुरू करते ही वर्ल्ड का ख़िताब हासिल हो चुका है। लेकिन 2011 वर्ल्ड कप में उन्हें सिर्फ दो मैच खेलने का मौका मिल पाया। उन्हें ज़ाहिर तौर पर बड़ी खुशी तब होगी, जब उनके प्रदर्शन के दम पर टीम इंडिया टी-20 वर्ल्ड कप में अपना परचम लहराये।
ओझा का जवाब
बाएं हाथ के इस स्पिन गेंदबाज़ को अब तक सिर्फ 16 वनडे मैच खेलने का मौका मिल पाया है, लेकिन ओझा इस सीज़न की शुरुआत कुछ अलग इरादों के साथ करना चाहते हैं। उन्होंने कहा है कि उनका प्रदर्शन ही उनका जवाब होगा।
25 साल के इस स्पिनर ने 16 मैचों में 20 विकेट झटके हैं, लेकिन इस बार वह टी-20 वर्ल्ड कप में अपनी जगह बनाने को बेताब दिख रहे हैं। ओझा को करीब 2 साल बाद वनडे खेलने का मौका मिल सकता है और वह इस मौके को ज़रूर हाथ से नहीं जाने देना चाहेंगे।
राहुल शर्मा का इम्तिहान
टीम इंडिया के बाक़ी खिलाड़ियों के लिए पिछला महीना भले ही आराम का रहा हो, विवाद पंजाब के इस लेग स्पिनर का पीछा कर उनके आराम में खलल डालते रहे। राहुल शर्मा को अब तक सिर्फ तीन वनडे मैच खेलने का मौका मिल पाया है, जिसमें उन्होंने 5 विकेट झटके हैं। अगर उन्हें प्लेइंग इलेवन में जगह मिलती है, तो खुद को साबित करने के लिए उन्हें जद्दोजहद करनी होगी।
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