
मुरली विजय की फाइल फोटो
नई दिल्ली:
श्रीलंका के ख़िलाफ़ चोट की वजह से टेस्ट सीरीज़ से मुरली विजय को बाहर होना पड़ा। दौरे पर विजय सिर्फ़ एक टेस्ट ही खेल सके। विजय ने दक्षिण अफ़्रीकी सीरीज़ से पहले वापसी का भरोसा जताया है।
श्रीलंका पहुंचने से पहले ही विजय की मांसपेशियों में खिंचाव था और वो पहले टेस्ट में नहीं खेल पाए। दूसरे टेस्ट में विजय ने वापसी की लेकिन तीसरे टेस्ट में चोट दोबारा से ऊभरी और वो बाहर हो गए। फिलहाल विजय चोट से ऊबरने की कोशिश कर रहे हैं और उन्हें वापसी की भरोसा है। विजय ने कहा, 'वो पहले से बेहतर महसूस कर रहे हैं और नेट्स में थोड़ी बल्लेबाज़ी भी शुरू कर चुके हैं।'
दक्षिण अफ़्रीका के ख़िलाफ़ विजय की वापसी टीम इंडिया के लिए भी ज़रूरी है। ओपनिंग में विजय के होने से टीम इंडिया की आधी परेशानी कम हो सकती है। विजय ने पिछले दो साल में भारत के लिए 17 टेस्ट खेले हैं। इस दौरान उन्होंने 31 पारियों में 44.54 की औसत से 1381 रन बनाए। विजय ने 17 टेस्ट में 3 शतक और 8 अर्द्धशतक बनाए।
विजय की सफलता का मंत्र सीधा है। विजय गेंद को उसकी मैरिट के हिसाब से खेलते हैं। विजय ने अपनी सफलता पर बात करते हुए कहा, 'जो गेंद मेरे ज़ोन में नहीं होती वो मैं नहीं खेलता। मैंने हाल के दिनों में गेंद को छोड़ना सीखा है। क्रिकेट के किसी भी फ़ॉर्मेट में सफल होने के लिए आपको तकनीकी रूप से मज़बूत होना होता है, क्योंकि गेंदबाज़ हमेशा आपको आउट करने की कोशिश में लगे रहते हैं।'
विजय के मुताबिक वो जब बल्लेबाज़ी नहीं कर रहे होते हैं तो दूसरे छोर पर बल्लेबाज़ी कर रहे अपने पॉर्टनर की बल्लेबाज़ी को देखते हैं।
श्रीलंका पहुंचने से पहले ही विजय की मांसपेशियों में खिंचाव था और वो पहले टेस्ट में नहीं खेल पाए। दूसरे टेस्ट में विजय ने वापसी की लेकिन तीसरे टेस्ट में चोट दोबारा से ऊभरी और वो बाहर हो गए। फिलहाल विजय चोट से ऊबरने की कोशिश कर रहे हैं और उन्हें वापसी की भरोसा है। विजय ने कहा, 'वो पहले से बेहतर महसूस कर रहे हैं और नेट्स में थोड़ी बल्लेबाज़ी भी शुरू कर चुके हैं।'
दक्षिण अफ़्रीका के ख़िलाफ़ विजय की वापसी टीम इंडिया के लिए भी ज़रूरी है। ओपनिंग में विजय के होने से टीम इंडिया की आधी परेशानी कम हो सकती है। विजय ने पिछले दो साल में भारत के लिए 17 टेस्ट खेले हैं। इस दौरान उन्होंने 31 पारियों में 44.54 की औसत से 1381 रन बनाए। विजय ने 17 टेस्ट में 3 शतक और 8 अर्द्धशतक बनाए।
विजय की सफलता का मंत्र सीधा है। विजय गेंद को उसकी मैरिट के हिसाब से खेलते हैं। विजय ने अपनी सफलता पर बात करते हुए कहा, 'जो गेंद मेरे ज़ोन में नहीं होती वो मैं नहीं खेलता। मैंने हाल के दिनों में गेंद को छोड़ना सीखा है। क्रिकेट के किसी भी फ़ॉर्मेट में सफल होने के लिए आपको तकनीकी रूप से मज़बूत होना होता है, क्योंकि गेंदबाज़ हमेशा आपको आउट करने की कोशिश में लगे रहते हैं।'
विजय के मुताबिक वो जब बल्लेबाज़ी नहीं कर रहे होते हैं तो दूसरे छोर पर बल्लेबाज़ी कर रहे अपने पॉर्टनर की बल्लेबाज़ी को देखते हैं।
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