मुरली कार्तिक ने टेस्ट में 24 और वनडे में 37 विकेट हासिल किए थे (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
भारतीय पिचों या कहें एशियाई मैदानों में इस समय विकेटों का अंबार लगा रहे ऑफ स्पिनर आर. अश्विन क्या एशिया के बाहर भी इतने ही कामयाब हो पाएंगे, यह सवाल इन दिनों हर किसी के दिमाग में घूम रहा है. इसके पीछे कारण यह है कि ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका या इंग्लैड में पिचें आमतौर पर तेज गेंदबाजी के लिए मददगार होती हैं और यहां स्पिनरों को उतना टर्न नहीं मिलता जितना आमतौर पर भारत की पिचों पर मिलता हैं. अपनी विविधिता और सटीकता से अश्विन विदेशी मैदानों पर भी यह कामयाबी दोहरा सकते हैं लेकिन भारत के पूर्व स्पिनर मुरली कार्तिक की राय में यह समय ही यह तय करेगा कि अश्विन विदेशी सरजमीं पर यह सफलता दोहराने में सक्षम हैं या नहीं.
लेग स्पिनर के तौर पर भारत के लिए खेल चुके मुरली कार्तिक ने कहा कि अश्विन बेहतरीन फार्म से गुजर रहे हैं लेकिन समय ही बताएगा कि वह विदेश में इस कामयाबी को आगे ले जा पाते हैं, या नहीं. कार्तिक का तर्क सामान्य है. उनका कहना है कि इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका जैसी जगहों पर हालात बिलकुल अलग हैं और ऐसे में सफलता की गारंटी नहीं है. 2000 से 2007 के बीच टीम इंडिया का प्रतिनिधित्व करने वाले कार्तिक ने पीटीआई से कहा, ‘मैं इस पर (विदेशों में अश्विन सफल रहेगा या नहीं) टिप्पणी करने वाला कोई नहीं होता. विदेशों में हालात बिलकुल अलग हैं इसलिए समय ही बताएगा.’ अश्विन ने विराट कोहली के साथ मिलकर हाल में भारत की जीत में अहम भूमिका निभाई है जिससे दुनिया की नंबर एक टीम लगातार पांच सीरीज जीत चुकी है.
महान बल्लेबाज रहे सचिन तेंदुलकर ने हाल में घरेलू क्रिकेट दो अलग पिचों पर दोनों पारियों में दो अलग गेंदों (कूकाबूरा और एसजी) से खेलने का प्रस्ताव रखा था. इस विचार को हाल में एमसीसी ने नकार दिया. कार्तिक का मानना है कि दुनियाभर में सिर्फ एक ब्रांड (एसजी, ड्यूक्स या कूकाबूरा) का इस्तेमाल होना चाहिए.
उन्होंने कहा, ‘निजी तौर पर मेरा मानना है कि कूकाबूरा भारतीय हालात में काम नहीं करेगी. यहां की पिचें गेंद के अनुकूल नहीं हैं और 15 ओवर के बाद स्पिनर हों या तेज गेंदबाज, उन्हें कोई मदद नहीं मिलेगी.’ कार्तिक ने कहा, ‘निजी तौर पर मेरा मानना है कि दुनिया भर में सिर्फ एक गेंद का इस्तेमाल होना चाहिए जो प्रत्येक हालात में सभी के अनुकूल हो. मुझे नहीं पता कि सचिन ने किस परिदृश्य में बोला लेकिन यह इस विषय पर मेरा नजरिया है.’
लेग स्पिनर के तौर पर भारत के लिए खेल चुके मुरली कार्तिक ने कहा कि अश्विन बेहतरीन फार्म से गुजर रहे हैं लेकिन समय ही बताएगा कि वह विदेश में इस कामयाबी को आगे ले जा पाते हैं, या नहीं. कार्तिक का तर्क सामान्य है. उनका कहना है कि इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका जैसी जगहों पर हालात बिलकुल अलग हैं और ऐसे में सफलता की गारंटी नहीं है. 2000 से 2007 के बीच टीम इंडिया का प्रतिनिधित्व करने वाले कार्तिक ने पीटीआई से कहा, ‘मैं इस पर (विदेशों में अश्विन सफल रहेगा या नहीं) टिप्पणी करने वाला कोई नहीं होता. विदेशों में हालात बिलकुल अलग हैं इसलिए समय ही बताएगा.’ अश्विन ने विराट कोहली के साथ मिलकर हाल में भारत की जीत में अहम भूमिका निभाई है जिससे दुनिया की नंबर एक टीम लगातार पांच सीरीज जीत चुकी है.
महान बल्लेबाज रहे सचिन तेंदुलकर ने हाल में घरेलू क्रिकेट दो अलग पिचों पर दोनों पारियों में दो अलग गेंदों (कूकाबूरा और एसजी) से खेलने का प्रस्ताव रखा था. इस विचार को हाल में एमसीसी ने नकार दिया. कार्तिक का मानना है कि दुनियाभर में सिर्फ एक ब्रांड (एसजी, ड्यूक्स या कूकाबूरा) का इस्तेमाल होना चाहिए.
उन्होंने कहा, ‘निजी तौर पर मेरा मानना है कि कूकाबूरा भारतीय हालात में काम नहीं करेगी. यहां की पिचें गेंद के अनुकूल नहीं हैं और 15 ओवर के बाद स्पिनर हों या तेज गेंदबाज, उन्हें कोई मदद नहीं मिलेगी.’ कार्तिक ने कहा, ‘निजी तौर पर मेरा मानना है कि दुनिया भर में सिर्फ एक गेंद का इस्तेमाल होना चाहिए जो प्रत्येक हालात में सभी के अनुकूल हो. मुझे नहीं पता कि सचिन ने किस परिदृश्य में बोला लेकिन यह इस विषय पर मेरा नजरिया है.’
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