नई दिल्ली:
एमएस धोनी जब से भारतीय क्रिकेट के फलक पर आए हैं, तभी से उन्होंने एक से बढ़कर एक कई यादगार पारियां खेली हैं। उन्होंने कई मौकों पर हार के मुंह से जीत छीनकर भारत की झोली में डाली हैं। उन्हीं यादगार पारियों में से 5 ये हैं।
टेस्ट में धोनी की सबसे बड़ी पारी
2012-13 सत्र में बॉर्डल-गावस्कर सीरीज के पहले मैच में धोनी ने चेन्नई में एमए चिदम्बरम के मैदान पर 224 रन की पारी खेली। टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करते हुए ऑस्ट्रेलिया 380 रन पर ऑलआउट हो गई। धोनी ने कप्तानी पारी खेलते हुए 224 रन बनाए और कोहली ने उनका भरपूर साथ दिया। भारत ने 5वें दिन आसानी से मैच जीत लिया।
वनडे क्रिकेट में लंबी छलांग
2005-06 सीजन में जयपुर के सवाई माधोसिंह स्टेडियम में खेले गए इस मुकाबले में श्रीलंका ने टॉस जीतकर संगाकार के 138 रन की बदौलत 299 रन का लक्ष्य भारत के सामने रखा। सचिन तेंदुलकर के रूप में पहला विकेट जल्दी गिरने पर कप्तान धोनी सबको चौंकाते तीसरे नंबर पर बल्लेबाजी के लिए उतरे। इसके बाद उन्होंने 10 छक्के और 15 चौके जड़ते हुए 183 रन की पारी खेली। धोनी के बाद भारत की ओर से इस मैच में सबसे ज्यादा 39 रन सहवाग ने बनाए।
पाकिस्तान को जमकर धोया
2004-05 सीजन में पाकिस्तान के साथ विशाखापट्टनम में खेले गए इस मुकाबले में सौरव गांगुली कप्तानी कर रहे थे। भारत ने टॉस जीतकर बल्लेबाजी की और पहला विकेट जल्दी गिरने के बाद धोनी मैदान पर आए। इसके बाद उन्होंने मैदान के चारों ओर पाकिस्तानी खिलाड़ियों को खूब दौड़ाया। ये वही दौर था जब धोनी के बड़े-बड़े बाल उनकी पहचान हुआ करते थे। उनके 148 रन की बदौलत भारत ने 356 रन का विशाल स्कोर खड़ा किया। जवाब में पाकिस्तानी टीम ने 298 रन पर ही हथियार डाल दिए।
ऑस्ट्रेलिया को दिया करारा जवाब
2009-10 सीजन में भारत-ऑस्ट्रेलिया सीरीज का दूसरा मैच नागपुर में खेला गया। ऑस्ट्रेलिया ने टॉस जीता और भारत को बल्लेबाजी के लिए कहा। पांचवे नंबर पर बल्लेबाजी करने उतरे धोनी ने 107 गेंदों में 124 रन की पारी खेली और भारत का स्कोर 354 रन तक पहुंचा दिया। जवाब में पूरी ऑस्ट्रेलियाई टीम 255 रन पर ढेर हो गई।
श्रीलंका से छीना वर्डकप
2011 वर्ल्ड कप के फाइनल में हालांकि गौतम गंभीर ने बेहतरीन पारी खेली, लेकिन अंतिम क्षणों में धोनी का छक्का शायद ही कोई क्रिकेट प्रेमी कभी भी भूल पाएगा। श्रीलंका ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी की और जयवर्धने के शतक की बदौतल भारत के सामने 275 रन का लक्ष्य रखा। भारत की शुरुआत खराब रही और सहवाग बिना खाता खोले आउट हो गए। गंभीर ने 97 रन की पारी खेली लेकिन धोनी अंत तक क्रीज पर टिके रहे और अंत में छक्का जड़कर वर्ल्डकप जीतने के बाद ही वापस लौटे। धोनी ने 91 रन की नाबाद पारी खेली।
टेस्ट में धोनी की सबसे बड़ी पारी
2012-13 सत्र में बॉर्डल-गावस्कर सीरीज के पहले मैच में धोनी ने चेन्नई में एमए चिदम्बरम के मैदान पर 224 रन की पारी खेली। टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करते हुए ऑस्ट्रेलिया 380 रन पर ऑलआउट हो गई। धोनी ने कप्तानी पारी खेलते हुए 224 रन बनाए और कोहली ने उनका भरपूर साथ दिया। भारत ने 5वें दिन आसानी से मैच जीत लिया।
वनडे क्रिकेट में लंबी छलांग
2005-06 सीजन में जयपुर के सवाई माधोसिंह स्टेडियम में खेले गए इस मुकाबले में श्रीलंका ने टॉस जीतकर संगाकार के 138 रन की बदौलत 299 रन का लक्ष्य भारत के सामने रखा। सचिन तेंदुलकर के रूप में पहला विकेट जल्दी गिरने पर कप्तान धोनी सबको चौंकाते तीसरे नंबर पर बल्लेबाजी के लिए उतरे। इसके बाद उन्होंने 10 छक्के और 15 चौके जड़ते हुए 183 रन की पारी खेली। धोनी के बाद भारत की ओर से इस मैच में सबसे ज्यादा 39 रन सहवाग ने बनाए।
पाकिस्तान को जमकर धोया
2004-05 सीजन में पाकिस्तान के साथ विशाखापट्टनम में खेले गए इस मुकाबले में सौरव गांगुली कप्तानी कर रहे थे। भारत ने टॉस जीतकर बल्लेबाजी की और पहला विकेट जल्दी गिरने के बाद धोनी मैदान पर आए। इसके बाद उन्होंने मैदान के चारों ओर पाकिस्तानी खिलाड़ियों को खूब दौड़ाया। ये वही दौर था जब धोनी के बड़े-बड़े बाल उनकी पहचान हुआ करते थे। उनके 148 रन की बदौलत भारत ने 356 रन का विशाल स्कोर खड़ा किया। जवाब में पाकिस्तानी टीम ने 298 रन पर ही हथियार डाल दिए।
ऑस्ट्रेलिया को दिया करारा जवाब
2009-10 सीजन में भारत-ऑस्ट्रेलिया सीरीज का दूसरा मैच नागपुर में खेला गया। ऑस्ट्रेलिया ने टॉस जीता और भारत को बल्लेबाजी के लिए कहा। पांचवे नंबर पर बल्लेबाजी करने उतरे धोनी ने 107 गेंदों में 124 रन की पारी खेली और भारत का स्कोर 354 रन तक पहुंचा दिया। जवाब में पूरी ऑस्ट्रेलियाई टीम 255 रन पर ढेर हो गई।
श्रीलंका से छीना वर्डकप
2011 वर्ल्ड कप के फाइनल में हालांकि गौतम गंभीर ने बेहतरीन पारी खेली, लेकिन अंतिम क्षणों में धोनी का छक्का शायद ही कोई क्रिकेट प्रेमी कभी भी भूल पाएगा। श्रीलंका ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी की और जयवर्धने के शतक की बदौतल भारत के सामने 275 रन का लक्ष्य रखा। भारत की शुरुआत खराब रही और सहवाग बिना खाता खोले आउट हो गए। गंभीर ने 97 रन की पारी खेली लेकिन धोनी अंत तक क्रीज पर टिके रहे और अंत में छक्का जड़कर वर्ल्डकप जीतने के बाद ही वापस लौटे। धोनी ने 91 रन की नाबाद पारी खेली।
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