धोनी अब रन बनाने के साथ ही टीम इंडिया में फ़िनिशर्स की फ़ौज भी तैयार कर रहे हैं (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
वर्ल्डकप 2015 में भारतीय टीम सेमीफ़ाइनल से बाहर हुई, तब से भारतीय क्रिकेट में एक सवाल लगातार गूंजता रहा है कि महेंद्र सिंह धोनी कब संन्यास लेंगे? इस सवाल पर धोनी कभी थोड़ा नाराज़ भी हुए तो कभी बेहद रोचक अंदाज में पत्रकारों को जवाब दिया. फ़रवरी 2016 में एशिया कप से पहले उन्होंने इस सवाल का जवाब देते हुए कहा कि 'प्रश्न तो बहुत उठते हैं..आप एक पत्र दिखकर दे दीजिए कि भाई आप इतने समय के बाद थैंक्यू वेरी मच बोलिए और निकल जाइए.साथ में वजह भी बतानी होगी, ये नहीं है कि आपके पास सवाल पूछने की आज़ादी है तो आप हर तरीके से कुछ भी सवाल पूछते रहें' यही नहीं, इस समय कप्तान धोनी ने जवाब देते हुए ये भी कहा कि 'अगर आप बार-बार एक ही सवाल पूछेंगे तो उससे मेरा जवाब नहीं बदल जाएगा. यह कुछ उसी तरह है कि आप मेरा नाम पूछेंगे तो मैं एमएस धोनी ही बताऊंगा जब तक कि मेरा नाम बदल नहीं दिया जाता.'
यह भी पढ़ें : मैच में धोनी को आया ऐसा गुस्सा, कूल से अचानक हुए HOT ख़ैर ये बात तब मीडिया में खूब चली. हर तरह से इस पर चर्चा की गई. फिर एशिया कप के तुरंत बाद टी20 वर्ल्ड कप से पहले एक विदेशी पत्रकार ने फिर यही सवाल पूछा जिसका जवाब धोनी ने अपने ही अलग अंदाज़ से दिया. उन्होंने उस पत्रकार को अपने साथ स्टेज पर बुलाकर बैठाया और पूछा, 'क्या आप चाहते हैं मैं संन्यास ले लूं.' इस सवाल का जवाब पत्रकार ने नहीं में दिया धोनी ने फिर कहा कि आप तो भारतीय भी नहीं हैं कि आपके बच्चे या रिश्तेदारों के बच्चे टीम में आने वाले हैं. खैर क्या मेरी फ़िटनेस में आपको कोई कमी दिखती है, क्या मैं फ़िट नहीं. इसके जवाब में फिर पत्रकार ने कहा नहीं आप फ़िट हैं. धोनी ने पूछा, क्या मैं 2019 वर्ल्डकप तक इस फ़िटनेस के साथ खेल सकता हूं. जिस पर उस पत्रकार ने कहा-बिलकुल. इस पर धोनी ने तपाक से कहा. आपको आपके सवाल का जवाब मिल गया' 2016 टी20 विश्व कप से पहले पूछे गए ये सवाल भारतीय टीम के सेमीफ़ाइनल तक के सफ़र के बाद भी नहीं थमे. वजह रही धोनी का बल्ले से फ़ीका प्रदर्शन. वर्ष 2016 में धोनी ने 13 वनडे मैचों में करीब 80 की स्ट्राइक रेट से 278 रन बनाए. इस दौरान महज़ एक अर्धशतक लगाया और औसत 27.8 का रहा. इन आंकड़ों और संन्यास से जुड़े सवालों का दबाव हो या फिर बीसीसीआई के नए चयनकर्ताओं का, नया साल शुरू होने पर धोनी ने कप्तानी छोड़ दी. तब से अब तक इस साल वे 1 शतक और 5 अर्धशतक की मदद से 19 मैचों में 627 रन क़रीब 89.57 की औसत से बना चुके हैं. उनका स्ट्राइक रेट 85.65 की रहा, जिसमें कई मौकों पर टीम को मुश्किल हालात से निकालकर जीत की दहलीज़ तक ले जाना शामिल हैं
इस दौरान धोनी महज़ अकेले रन नहीं बटोर रहे, बल्कि टीम इंडिया के नए फ़िनिशर्स की फ़ौज भी तैयार कर रहे हैं. धोनी के साथ कभी केदार जाधव, मनीष पांडेय जैसे खिलाड़ी तो कभी हार्दिक पांड्या और भुवनेश्वर कुमार जैसे खिलाड़ी जीत के हीरो बन रहे हैं. फ़िनिशर धोनी अब मेंटॉर धोनी बन चुके हैं. धोनी के अनुभव और उनकी भारतीय टीम की ज़रूरत होने पर पूर्व टेस्ट कप्तान और NDTV के क्रिकेट एक्सपर्ट सुनील गावस्कर ने हमसे कहा कि 'वे युवा खिलाड़ियों को गाइड करते हैं. उन्हीं के चलते केदार, हार्दिक और भुवनेश्वर जैसे खिलाड़ी परिपक्वता दिखा रहे हैं और बेहतर हो रहे हैं. फील्डिंग के समय वे स्पिनर्स और गेंदबाज़ों को बताते हैं कहां गेंदबाज़ी करनी हैं और कहां फ़ील्ड सेट करनी है.भारतीय टीम की अच्छी किस्मत है कि वह उनके अनुभव का फ़ायदा उठा पा रही है. '
वीडियो: हर रोल में फिट हैं महेंद्र सिंह धोनी
धोनी के वनडे रिकॉर्ड को देखें तो वो इस फॉर्मेट के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों में शुमार होंगे. 302 वनडे में उन्होंने 52 से कुछ ज्यादा की औसत के साथ 9737 रन बनाए हैं, जिसमें 10 शतक और 66 अर्धशतक शामिल हैं. श्रीलंका के खिलाफ़ पिछली वनडे सीरीज़ में धोनी ने सबसे ज्यादा स्टंपिंग और सबसे ज्यादा नॉट ऑउट का वर्ल्ड रिकॉर्ड अपने नाम किया था.चेन्नई वनडे में वो सचिन, सौरव और राहुल की तिकड़ी के बाद 100 अंतर्राष्ट्रीय अर्धशतक लगाने वाले चौथे भारतीय बने. इसी तिकड़ी के बाद वनडे मैचों में 10 हज़ार का आंकड़ा छूने वाले वे चौथे भारतीय भी बन सकते हैं. 10 हजार वनडे रन के आंकड़े से वे महज़ 263 रन दूर हैं. इन सभी आंकड़ों से आगे आज भारतीय टीम को मेटॉर धोनी की ज़रूरत है जो भले ही तीनों आईसीसी ट्रॉफ़ी जीतने वाले इकलौते कप्तान हों लेकिन आज वे भारतीय क्रिकेट के भविष्य को तराशने का काम कर रहे हैं.
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इस दौरान धोनी महज़ अकेले रन नहीं बटोर रहे, बल्कि टीम इंडिया के नए फ़िनिशर्स की फ़ौज भी तैयार कर रहे हैं. धोनी के साथ कभी केदार जाधव, मनीष पांडेय जैसे खिलाड़ी तो कभी हार्दिक पांड्या और भुवनेश्वर कुमार जैसे खिलाड़ी जीत के हीरो बन रहे हैं. फ़िनिशर धोनी अब मेंटॉर धोनी बन चुके हैं. धोनी के अनुभव और उनकी भारतीय टीम की ज़रूरत होने पर पूर्व टेस्ट कप्तान और NDTV के क्रिकेट एक्सपर्ट सुनील गावस्कर ने हमसे कहा कि 'वे युवा खिलाड़ियों को गाइड करते हैं. उन्हीं के चलते केदार, हार्दिक और भुवनेश्वर जैसे खिलाड़ी परिपक्वता दिखा रहे हैं और बेहतर हो रहे हैं. फील्डिंग के समय वे स्पिनर्स और गेंदबाज़ों को बताते हैं कहां गेंदबाज़ी करनी हैं और कहां फ़ील्ड सेट करनी है.भारतीय टीम की अच्छी किस्मत है कि वह उनके अनुभव का फ़ायदा उठा पा रही है. '
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धोनी के वनडे रिकॉर्ड को देखें तो वो इस फॉर्मेट के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों में शुमार होंगे. 302 वनडे में उन्होंने 52 से कुछ ज्यादा की औसत के साथ 9737 रन बनाए हैं, जिसमें 10 शतक और 66 अर्धशतक शामिल हैं. श्रीलंका के खिलाफ़ पिछली वनडे सीरीज़ में धोनी ने सबसे ज्यादा स्टंपिंग और सबसे ज्यादा नॉट ऑउट का वर्ल्ड रिकॉर्ड अपने नाम किया था.चेन्नई वनडे में वो सचिन, सौरव और राहुल की तिकड़ी के बाद 100 अंतर्राष्ट्रीय अर्धशतक लगाने वाले चौथे भारतीय बने. इसी तिकड़ी के बाद वनडे मैचों में 10 हज़ार का आंकड़ा छूने वाले वे चौथे भारतीय भी बन सकते हैं. 10 हजार वनडे रन के आंकड़े से वे महज़ 263 रन दूर हैं. इन सभी आंकड़ों से आगे आज भारतीय टीम को मेटॉर धोनी की ज़रूरत है जो भले ही तीनों आईसीसी ट्रॉफ़ी जीतने वाले इकलौते कप्तान हों लेकिन आज वे भारतीय क्रिकेट के भविष्य को तराशने का काम कर रहे हैं.
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