हरफनमौला मिचेल सैंटनर ने पहली पारी में 32 और दूसरी पारी में 71 रन बनाए
नई दिल्ली.:
न्यूजीलैंड के खिलाफ कानपुर के ग्रीन पार्क पर खेला गया पहला टेस्ट मैच टीम इंडिया ने 197 रन के अंतर से जीत लिया. 500वां मैच होने के चलते यह जीत भारतीय क्रिकेट प्रेमियों को बेहद खुशी देने वाली है. टेस्ट के दूसरे दिन दिन को यदि अपवादस्वरूप छोड़ दिया जाए तो कीवी बल्लेबाज भारतीय गेंदबाजी, खासतौर पर स्पिनरों के आगे संघर्ष करते नजर आए.
सीरीज शुरू होने के पहले ज्यादातर क्रिकेट समीक्षकों की राय थी कि मेहमान टीम के कप्तान केन विलियम्सन भारतीय गेंदबाजों के लिए बड़ी बाधा साबित होने वाले हैं, लेकिन कानपुर टेस्ट की बात करें तो टीम इंडिया के लिए विलियम्सन से बड़ी बाधा मिशेल सैंटनर रहे. उन्होंने मैच में हरफनमौला के रूप में शानदार प्रदर्शन किया. भारत की पहली पारी में तीन और दूसरी में तीन विकेट लेने के अलावा बल्लेबाजी में भी खूब हाथ दिखाए. इस खब्बू खिलाड़ी ने पहली पारी में 32 और दूसरी पारी में 71 रन बनाए. दूसरी पारी में वे आठवें विकेट के रूप में आउट हुए. सैंटनर की ये दोनों पारियां इस लिहाज से अहम रही कि उन्होंने विकेट पर रुकने की इच्छाशक्ति दिखाई और सीधे बल्ले से शॉट खेले.
जहां पहली पारी के अपने 32 रन के लिए सैंटनर ने 107 गेंदें खेलीं वहीं दूसरी पारी में उन्होंने 179 गेंदों का सामना किया. इस लिहाज से कहा जा सकता है कि सैंटनर ने विकेट के बीच कप्तान केन विलियम्सन ने अधिक समय बिताया. विलियम्सन ने जहां पहली पारी में अपने 75 रन के लिए 137 गेंदों का सामना किया, वहीं दूसरे पारी में उन्होंने 59 गेंदें खेलते 25 रन बनाए. न्यूजीलैंड के लिए दूसरी पारी में अकेले 24 वर्ष के सैंटनर ने ही भारतीय गेंदबाजों के सामने रुकने का जज़्बा दिखाया.
मेहमान कीवी टीम ने संघर्ष का माद्दा केवल मैच के पहले और दूसरे दिन दिखाया. पहले दिन जहां उसने 291 के स्कोर तक पहुंचते-पहुंचते टीम इंडिया के 9 विकेट उखाड़ दिए थे, वहीं वर्षा प्रभावित दूसरे दिन कीवी ओपनर लाथम और कप्तान केन विलियम्सन ने जोरदार बल्लेबाजी करते हुए भारतीय गेंदबाजों को लंबे समय तक सफलता से वंचित रखा और टीम के स्कोर को 152/1 तक पहुंचा दिया था. बहरहाल, तीसरे दिन टीम इंडिया ने जोरदार वापसी की और न्यूजीलैंड की पहली पारी को 262 रन पर समेट दिया.
मैच के तीसरे दिन जब लाथम, टेलर और विलियम्सन जल्दी आउट हो गए तो लगा कि कीवी टीम 200 तक सिमट जाएगी. बहरहाल, मेहमान टीम यदि 250 की रनसंख्या के पार पहुंच पाई तो इसका श्रेय बहुत कुछ सैंटनर को ही जाता हैं. उन्होंने पहले रॉन्ची के साथ पांचवें विकेट के लिए 49और फिर छठे विकेट के लिए वाटलिंग के साथ 36 रन जोड़े.
सैंटनर का यह प्रदर्शन उनके इंटरनेशनल क्रिकेट के कम अनुभव को देखते हुए और अधिक प्रशंसा का हकदार है. सैंटनर ने कानपुर मैच को मिलाकर अभी तक सिर्फ आठ टेस्ट खेले हैं. गेंद और बल्ले, दोनों से वे जिस तरह का प्रदर्शन कर रहे हैं, उसे देखते हुए कहा जा सकता है कि आने वाले समय में वे कीवी टीम के प्रमुख खिलाड़ियों में स्थान बना लेंगे...
सीरीज शुरू होने के पहले ज्यादातर क्रिकेट समीक्षकों की राय थी कि मेहमान टीम के कप्तान केन विलियम्सन भारतीय गेंदबाजों के लिए बड़ी बाधा साबित होने वाले हैं, लेकिन कानपुर टेस्ट की बात करें तो टीम इंडिया के लिए विलियम्सन से बड़ी बाधा मिशेल सैंटनर रहे. उन्होंने मैच में हरफनमौला के रूप में शानदार प्रदर्शन किया. भारत की पहली पारी में तीन और दूसरी में तीन विकेट लेने के अलावा बल्लेबाजी में भी खूब हाथ दिखाए. इस खब्बू खिलाड़ी ने पहली पारी में 32 और दूसरी पारी में 71 रन बनाए. दूसरी पारी में वे आठवें विकेट के रूप में आउट हुए. सैंटनर की ये दोनों पारियां इस लिहाज से अहम रही कि उन्होंने विकेट पर रुकने की इच्छाशक्ति दिखाई और सीधे बल्ले से शॉट खेले.
जहां पहली पारी के अपने 32 रन के लिए सैंटनर ने 107 गेंदें खेलीं वहीं दूसरी पारी में उन्होंने 179 गेंदों का सामना किया. इस लिहाज से कहा जा सकता है कि सैंटनर ने विकेट के बीच कप्तान केन विलियम्सन ने अधिक समय बिताया. विलियम्सन ने जहां पहली पारी में अपने 75 रन के लिए 137 गेंदों का सामना किया, वहीं दूसरे पारी में उन्होंने 59 गेंदें खेलते 25 रन बनाए. न्यूजीलैंड के लिए दूसरी पारी में अकेले 24 वर्ष के सैंटनर ने ही भारतीय गेंदबाजों के सामने रुकने का जज़्बा दिखाया.
मेहमान कीवी टीम ने संघर्ष का माद्दा केवल मैच के पहले और दूसरे दिन दिखाया. पहले दिन जहां उसने 291 के स्कोर तक पहुंचते-पहुंचते टीम इंडिया के 9 विकेट उखाड़ दिए थे, वहीं वर्षा प्रभावित दूसरे दिन कीवी ओपनर लाथम और कप्तान केन विलियम्सन ने जोरदार बल्लेबाजी करते हुए भारतीय गेंदबाजों को लंबे समय तक सफलता से वंचित रखा और टीम के स्कोर को 152/1 तक पहुंचा दिया था. बहरहाल, तीसरे दिन टीम इंडिया ने जोरदार वापसी की और न्यूजीलैंड की पहली पारी को 262 रन पर समेट दिया.
मैच के तीसरे दिन जब लाथम, टेलर और विलियम्सन जल्दी आउट हो गए तो लगा कि कीवी टीम 200 तक सिमट जाएगी. बहरहाल, मेहमान टीम यदि 250 की रनसंख्या के पार पहुंच पाई तो इसका श्रेय बहुत कुछ सैंटनर को ही जाता हैं. उन्होंने पहले रॉन्ची के साथ पांचवें विकेट के लिए 49और फिर छठे विकेट के लिए वाटलिंग के साथ 36 रन जोड़े.
सैंटनर का यह प्रदर्शन उनके इंटरनेशनल क्रिकेट के कम अनुभव को देखते हुए और अधिक प्रशंसा का हकदार है. सैंटनर ने कानपुर मैच को मिलाकर अभी तक सिर्फ आठ टेस्ट खेले हैं. गेंद और बल्ले, दोनों से वे जिस तरह का प्रदर्शन कर रहे हैं, उसे देखते हुए कहा जा सकता है कि आने वाले समय में वे कीवी टीम के प्रमुख खिलाड़ियों में स्थान बना लेंगे...
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