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This Article is From Nov 03, 2016

बांग्लादेश का वह सबसे सफल कप्तान जिसने टीम को नई बुलंदियों पर पहुंचाया

बांग्लादेश का वह सबसे सफल कप्तान जिसने टीम को नई बुलंदियों पर पहुंचाया
मशरफे मुर्तजा की फाइल फोटो
नई दिल्ली: कुछ साल पहले तक बांग्लादेश क्रिकेट के भविष्य को लेकर कई तरह के सवाल उठाए जा रहे थे. इन सवालों के पीछे सबसे बड़ी वजह थी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बांग्लादेश क्रिकेट टीम का ख़राब प्रदर्शन. 1986 में अंतरराष्ट्रीय एकदिवसीय क्रिकेट खेलना शुरू करने वाली बांग्लादेश टीम को पहली सीरीज जीतते में 19 साल गए. बांग्ला टीम ने 2005 में ज़िम्बाब्वे को 3-2 से हराते हुए पहली सीरीज जीती थी. इसके बाद बांग्लादेश ने कई सीरीज जीते, लेकिन उसके लिए सबसे ज्यादा चिंता की बात यह थी कि बड़ी टीमों के खिलाफ उसका प्रदर्शन उतना अच्छा नहीं हो पा रहा था. साल 1986 से लेकर 2014 के बीच बांग्लादेश ने भारत, ऑस्ट्रेलिया, पाकिस्तान, श्रीलंका, इंग्लैंड और दक्षिण अफ्रीका जैसी बड़ी टीमों को गाहे-बगाहे हराया तो था, लेकिन यह इक्का-दुक्का जीत चौकाने वाली थी, ना कि भरोसा बढ़ाने वाली.

बांग्लादेश का लगातार पांच वनडे सीरीज पर कब्ज़ा :
हालांकि पिछले 16 महीनों में बांग्लादेश ने वनडे मैचों में काफी शानदार प्रदर्शन किया है और कई बड़ी टीमों के खिलाफ सीरीज जीतने में कामयाब रही. बांग्लादेश की सबसे बड़ी उपलब्धि अप्रैल 2015 और सितंबर 2016 के बीच लगातार पांच वनडे सीरीज जीतने का रिकॉर्ड है. इन 16 महीनों में बांग्लादेश ने भारत, पाकिस्तान और दक्षिण अफ्रीका जैसी बड़ी टीमों के खिलाफ सीरीज अपने नाम किया. अप्रैल 2015 में पाकिस्तान ने बांग्लादेश दौरे पर तीन एकदिवसीय मैचों की सीरीज खेली, जहां मेजबान टीम ने पाकिस्तान को 3-0 से धूल चटाते हुए सीरीज अपने नाम किया था. इसके बाद जून 2015 में भारतीय टीम ने बांग्लादेश का दौरा किया, जहां वनडे सीरीज में उसे मेजबान टीम के हाथों 2-1 शिकस्त झेलनी पड़ी.

फिर जुलाई 2015 में बांग्लादेश दौरे पर आई दक्षिण अफ्रीकी टीम को भी तीन वनडे मैचों की सीरीज 2-1 से गंवानी पड़ी. नवंबर 2015 में ज़िम्बाब्वे टीम बांग्लादेश आई और उसे भी बांग्ला टाइगर्स ने 3-0 से हराते हुए तीन वनडे मैचों की सीरीज को अपने नाम किया. इसके बाद सितंबर 2016 में बांग्लादेश ने अफ़ग़ानिस्तान को भी 2-1 हराया था. पिछले 16 महीनों में बांग्लादेश टीम ने 15 मैच खेलते हुए 12 मैचों में जीत हासिल की और सिर्फ तीन मैच हारें. इस तरह बांग्लादेश की जीत का प्रतिशत 80 रहा.

मशरफे मुर्तजा की कप्तानी का कमाल :
बांग्लादेश टीम की इस शानदार कामयाबी की एक बड़ी वजह कप्तान मुर्तजा को माना जाता है. अगर रिकॉर्ड पर नज़र डालें तो मुर्तज़ा बांग्लादेश के सबसे सफल कप्तान साबित हुए हैं. उन्होंन साल 2010 से लेकर 2016 के बीच इन 6 वर्षों में 34 मैचों में कप्तानी की है. उनकी कप्तानी में बांग्लादेश 23 मैच जीतने में कामयाब रहा, जबकि 11 में उसे हार मिली. इस तरह मुर्तज़ा की कप्तानी में टीम की जीत का प्रतिशत 67.64 है. आज तक बांग्लादेश के किसी और कप्तान का प्रदर्शन इतना शानदार नहीं रहा है. अगर बांग्लादेश के दूसरे सफल कप्तानों की बात करें, तो मुर्तज़ा के बाद दूसरे स्थान पर शाकिब अल हसन हैं. शाकिब ने 49 मैचों में कप्तानी करते हुए टीम को 23 मैचों में जीत दिलाई और 26 में उसे हार का मुंह देखना पड़ा.

कप्तानी में हिट, लेकिन बॉलिंग- बैटिंग में मिस :
मशरफे मुर्तजा को अगर बांग्लादेश टीम में जगह मिल रही है, तो उसके पीछे की बड़ी वजह उनकी शानदार कप्तानी ही है, क्योंकि खिलाड़ी के रूप में पिछले दिनों उनका प्रदर्शन उतना अच्छा नहीं रहा है. मुर्तज़ा आखिरी 15 एकदिवसीय मैचों में से 11 में बल्लेबाजी करते हुए सिर्फ 11 के औसत से 121 रन बनाए हैं और उनका सर्वाधिक स्कोर 44 रन का रहा है. वहीं अगर गेंदबाज़ी पर नजर डालें, तो उन्होंने 117.4 ओवर गेंदबाज़ी करते हुए 566 रन देकर सिर्फ 23 विकेट लिए हैं.

विदेशी सरजमीं पर टेस्ट सीरीज जीतने वाले इकलौते बांग्ला कप्तान :
बांग्लादेश ने साल 2000 में टेस्ट क्रिकेट खेलना शुरू किया और लगातार 17 टेस्ट सीरीज में उसे हार झेलनी पड़ी. टीम को अपना पहला टेस्ट मैच जीतने में पांच साल लग गए थे और 29 मैच गंवाने के बाद उसे यह जीत मिली थी. अगर टीम के टेस्ट रिकॉर्ड को देखें तो वर्ष 2000 से लेकर 2016 के बीच वह महज तीन टेस्ट सीरीज जीतने में कामयाब रहा और इसमें से भी दो सीरीज ज़िम्बाब्वे जैसी कमज़ोर टीम के खिलाफ है, जबकि एक सीरीज जीत वेस्टइंडीज के खिलाफ.

मुर्तजा की कप्तानी में बांग्लादेश ने रचा इतिहास
साल 2009 में मशरफे मुर्तजा की कप्तानी में बांग्लादेश ने नया इतिहास रचा. बांग्लादेश ने तब वेस्ट इंडीज को हराते हुए विदेशी मैदान पर पहली टेस्ट सीरीज जीतने में कामयाबी हासिल की. हालांकि इस सीरीज के बाद मुर्तज़ा को घुटनों में समस्या की वजह से ऑपरेशन कराना पड़ा और उसके बाद वह टेस्ट टीम की कभी हिस्सा नहीं बन पाए. इसके बाद से बांग्लादेश टीम विदेशी मैदान पर एक भी टेस्ट सीरीज जीत नहीं पाई है.

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