बहुत से सफल क्रिकेटर टीम इंडिया के असफल कोच साबित हुए

बहुत से सफल क्रिकेटर टीम इंडिया के असफल कोच साबित हुए

खास बातें

  • पिछले 15 सालों से विदेशी कोचों का रहा दबदबा
  • ग्रेग चैपल से खिलाड़ी खुश नहीं थे
  • गैरी क्रिस्टन ने नई ऊंचाई तक पहुंचाया
नई दिल्ली:

टीम इंडिया का कोच कौन बनेगा उसे लेकर माथा पच्ची शुरू हो गई है। संदीप पटेल इस पद के लिए आवेदन कर चुके हैं। यह भी सुनने को मिल रहा है कि टीम इंडिया के डायरेक्टर के रूप में सफल रहे रवि शास्त्री टीम इंडिया के कोच बन सकते हैं। राहुल द्रविड़ के नाम को लेकर भी चर्चा है। अगर भारत का कोई पूर्व क्रिकेटर इस बार कोच बनता है तो 15 साल के बाद ऐसा होगा जब कोई पूर्व भारतीय क्रिकेटर कोच का भार संभालेगा।

पिछले 15 सालों से विदेशी कोचों का रहा दबदबा
कपिल देव भारतीय के रूप में टीम इंडिया के आखिरी कोच थे। कपिल देव के कार्यकाल वर्ष 2000 में खत्म होने के बाद कोई भी पूर्व भारतीय खिलाड़ी टीम इंडिया का कोच नहीं बना है। कपिल देव के बाद न्यूज़ीलैंड के जॉन राइट भारतीय टीम के कोच बने थे। वह पांच साल तक टीम इंडिया के कोच रहे।  जॉन राइट अच्छे कोच साबित हुए थे। उनके कार्यकाल में भारतीय टीम ने कई सीरीज जीती थीं।  जॉन राइट के कार्यकाल के दौरान विदेशी मैदान पर टीम इंडिया के प्रदर्शन में सुधार आया था।

ग्रेग चैपल से खिलाड़ी खुश नहीं थे
जॉन राइट के बाद ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान ग्रेग चैपल टीम इंडिया के कोच बने। चैपल टीम इंडिया के लिए खराब कोच साबित हुए। चैपल टीम इंडिया के हर निर्णय खुद लेना चाहते थे। चैपल के खिलाफ कई खिलाड़ी बोर्ड को शिकायत भी कर चुके थे। खिलाड़ियों का कहना था कि चैपल अपने आप को टीम इंडिया बॉस समझते थे। सचिन तेंदुलकर ने अपनी किताब में यह भी लिखा है कि 2007 में चैपल सचिन तेंदुलकर के घर पहुंच गए थे और द्रविड़ की जगह सचिन को कप्तान बनाने का प्रस्ताव रखा था। चैपल के इस प्रस्ताव सुनने के बाद खुद सचिन हैरान हो गए थे और सीधा कप्तान बनने के लिए मना कर दिया था, हालांकि चैपल ने सचिन के इस बात का खंडन किया था। चैपल कई सीनियर खिलाड़ियों को टीम से बाहर बिठाना चाहते थे, जिसे लेकर उनकी काफी आलोचना हुई थी।    

गैरी क्रिस्टन ने नई ऊंचाई तक पहुंचाया
गैरी क्रिस्टन ने 2008 में टीम इंडियन कार्यभार संभाला। 2011 तक क्रिस्टन टीम इंडिया के कोच रहे और क्रिस्टन के इस कार्यकाल में टीम इंडिया ने कई सीरीज जीती। कप्तान महेंद्र सिंह धोनी और क्रिस्टन की सूझबूझ की वजह से टीम इंडिया एक नई ऊंचाई तक पहुंची। टीम इंडिया ने 2008 और 2009 के बीच लगातार पांच एकदिवसीय सीरीज जीतीं। क्रिस्टन की सबसे बड़ी उपलब्धि जो रही वह है टीम इंडिया का वर्ल्ड कप जीतना। 2011 में टीम इंडिया ने जब 28 साल के बाद वर्ल्ड कप जीता था तब गैरी क्रिस्टन टीम इंडिया के कोच थे।

बीसीसीआई कोच के रूप में गैरी क्रिस्टन के कार्यकाल को और पांच साल का बढ़ाना चाहता था, लेकिन क्रिस्टन दोबारा टीम इंडिया के कोच नहीं बनना चाहते थे। 2011 से 2015 तक डंकन फ्लेचर टीम इंडिया के कोच रहे।  फिर 2015 के बाद टीम इंडिया का कोई कोच नहीं है, बल्कि रवि शास्त्री टीम डायरेक्टर के रूप में ज़िम्मेदारी संभाल रहे थे। ज़िम्बाब्वे दौर के लिए बीसीसीआई ने संजय बांगर को अंतरिम कोच के रूप में नियुक्ति किया है।

कोच के रूप में पूर्व भारतीय क्रिकेटर रहे असफल
बीसीसीआई को विदेशी क्रिकेटरों को कोच बनाने के पीछे भारतीय कोचों के विफलता थी। बीसीसीआई ने जब कपिल देव को 1999 में कोच बनाया था तब यह उम्मीद की जा रहा था कि कपिल देव और सचिन तेंदुलकर की कप्तानी में टीम इंडिया अच्छा प्रदर्शन करेगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ, इस दौरान टीम इंडिया की प्रदर्शन काफी बुरा था।  भारत-ऑस्ट्रेलिया से टेस्ट सीरिज़ हारा था। 12 साल के बाद ऐसा हुआ था जब भारत अपने घरेलू मैदान पर कोई सीरीज हारा था। इस खराब प्रदर्शन की वजह से सचिन तेंदुलकर को कप्तानी छोड़नी पड़ी। फिर गांगुली की कप्तानी में भारत साउथ अफ्रीका के खिलाफ एकदिवसीय सीरिज़ जीता था। तब भी कोच कपिल देव थे, लेकिन इस सीरिज़ में साउथ अफ्रीका के कप्तान के खिलाफ मैच फ़िक्सिंग का आरोप लगा था और कई भारतीय खिलाड़ियों के नाम भी सामने आए थे। फिर भारत के पूर्व खिलाड़ी मनोज प्रभाकर ने कपिल देव पर 1994 सीरिज़ के दौरान ख़राब खेलने के लिए रिश्वत देने का आरोप लगाया था। इसके बाद काफी हंगामा हुआ था और कपिल देव को कोच का पद छोड़ना पड़ा था, हालांकि जांच के बाद कपिल देव निर्दोष पाए गए थे।

बीसीसीआई ने किया काफी फेरबदल
1996 से लेकर 1999 तक बीसीसीआई ने चार कोच बदले थे। 1996 संदीप पटेल को टीम इंडिया का कोच बनाया गया, लेकिन इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज हारने के बाद उनको हटा दिया गया था। फिर 1996 में मदन लाल को टीम इंडिया क कोच बने। इस साल के बाद यानी 1997 में मदन लाल को हटाकर अंशुमन गायकवाड़ को टीम इंडिया का कोच बनाया गया।  अंशुमन गायकवाड़ दो साल तक, 1997 से 1999 तक टीम इंडिया के कोच रहे। गायकवाड़ के जाने के बाद कपिल देव ने 1999 में यह पद संभाला था।


Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com