भारत की पहली क्रिकेट विश्वकप विजेता टीम के कप्तान कपिल देव को भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड (बीसीसीआई) के वार्षिक पुरस्कार समारोह में वर्ष 2013 के लिए कर्नल सीके नायडू लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार (Colonel CK Nayudu lifetime achievement award) से सम्मानित किया जाएगा।
भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड द्वारा की गई घोषणा के अनुसार, पुरस्कार समिति में बीसीसीआई अध्यक्ष एन श्रीनिवासन, बीसीसीआई के मानद सचिव संजय पटेल और वरिष्ठ पत्रकार अयाज़ मेमन शामिल थे। समिति ने बुधवार को विजेता को नामित करने के लिए चेन्नई में बैठक की, और वहां समिति ने सर्वसम्मति से महान ऑलराउंडर कपिल देव को इस पुरस्कार के लिए चुना।
बीसीसीआई सचिव संजय पटेल ने कहा, ''कपिल देव निखंज को बीसीसीआई पुरस्कार समारोह में 2012-13 के लिए कर्नल सीके नायडू लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार के लिए चुना गया है, जिसमें ट्रॉफी, स्मृतिचिह्न और 25 लाख रुपये का चेक शामिल है...''
सर्वकालिक महान ऑलराउंडरों में शुमार किए जाने वाले कपिल देव ने भारत के लिए 131 टेस्ट मैच खेले, जिनमें उन्होंने 434 विकेट चटकाए, जो उस समय विश्वरिकॉर्ड था। वह टेस्ट क्रिकेट में 5,000 रन और 400 विकेट का डबल बनाने वाले दुनिया के पहले और एकमात्र खिलाड़ी हैं। इसके अलावा कपिल देव ने 225 एक-दिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैच भी खेले हैं, जिनमें उन्होंने 253 विकेट चटकाए और 3,783 रन बनाए।
भारतीय क्रिकेट में उनका सबसे यादगार योगदान वर्ष 1983 विश्वकप में भारत की जीत है। कप्तान कपिल देव ने इस टूर्नामेंट में गेंद और बल्ले के अलावा क्षेत्ररक्षण में भी शानदार प्रदर्शन किया था।
कपिल वर्ष 2007 में अब भंग हो चुकी इंडियन क्रिकेट लीग (आईसीएल) से भी जुड़े और बीसीसीआई ने गैर-अधिकृत लीग का हिस्सा बनने पर उन पर प्रतिबंध भी लगा दिया था, लेकिन पिछले साल कपिल देव और बीसीसीआई ने मतभेद भुला दिए, जब इस क्रिकेटर ने आईसीएल से इस्तीफा दे दिया। बोर्ड ने इसके बाद कपिल देव को खिलाड़ियों को दी गई एकमुश्त फायदा भुगतान योजना का लाभ देते हुए डेढ़ करोड़ रुपये भी दिए।
भारत के पहले टेस्ट कप्तान कर्नल सीके नायडू के नाम पर दिया जाने वाला लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार उन लोगों को मिलता है, जिनका भारतीय क्रिकेट में असाधारण योगदान है। इस पुरस्कार के अब तक के विजेता इस प्रकार हैं - लाला अमरनाथ (1994), सैयद मुश्ताक अली (1995), विजय हजारे (1996), केएन प्रभु (1997), पीआर उमरीगर (1998), कर्नल हेमचंद्र अधिकारी (1999), सुभाष गुप्ते (2000), मंसूर अली खान पटौदी (2001), भाऊसाहेब निंबलकर (2002), चंद्रकांत बोर्डे (2003), बिशन सिंह बेदी, बी चंद्रशेखर, इरापल्ली प्रसन्ना तथा एस वेंकटराघवन (2004), नरीमन कांट्रैक्टर (2007), गुंडप्पा विश्वनाथ (2008), मोहिंदर अमरनाथ (2009), सलीम दुर्रानी (2010), अजित वाडेकर (2011) तथा सुनील गावस्कर (2012)।
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