कपिल देव ने तीसरे टेस्ट में ही 59 रनों की पारी से ऑलराउंडर होने का परिचय दे दिया था (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
टेस्ट मैचों में 434 विकेट लेकर एक समय दुनिया में नंबर वन गेंदबाज रहे कपिल देव से भला कौन परिचित नहीं हैं. उनके नाम यही एक उपलब्धि नहीं है. वह कपिल देव ही थे, जिनकी कप्तानी में टीम इंडिया ने 1983 में वेस्टइंडीज को हराकर अपना पहला वनडे वर्ल्ड जीता था. भारत के इस महान क्रिकेटर और पूर्व कप्तान को मंगलवार को क्रिकेट क्लब ऑफ इंडिया में लीजेंड्स क्लब ‘हॉल ऑफ फेम’ में शामिल किया गया. इस अवसर पर पूर्व भारतीय कप्तान अजित वाडेकर, सुनील गावस्कर और नरी कांट्रैक्टर भी मौजूज रहे. गावस्कर को 2013 में ही इसमें शामिल किया जा चुका है.
मध्य गति के तेज गेंदबाज रहे कपिल देव न केवल स्विंग गेंदबाजी बल्कि विस्फोटक बल्लेबाजी के लिए भी मशहूर थे. साल 1983 के वनडे वर्ल्ड कप विजेता इस भारतीय कप्तान को देश का सर्वश्रेष्ठ ऑलराउंडर माना जाता है. हां एक और खास बात यह कि उनकी भरपाई अभी तक नहीं हो पाई है और टीम इंडिया को उनके संन्यास लेने के बाद से ही उनके जैसे हरफनमौला की तलाश है. कपिल देव एक समय टेस्ट में सर्वाधिक विकेट लेने वाले गेंदबाज थे (फाइल फोटो)
पूर्व भारतीय खिलाड़ी और लीजेंड्स क्लब के अध्यक्ष माधव आप्टे ने कपिल देव को प्रशस्ति पत्र देखकर सम्मानित किया. इस अवसर पर भारत के महान बल्लेबाज और पूर्व कप्तान सुनील गावस्कर को भी अजित वाडेकर ने प्रशस्ति पत्र दिया. हालांकि गावस्कर को 11 जुलाई 2013 में ही क्लब के हॉल ऑफ फेम में शामिल किया जा चुका है.
ऑलराउंडर कपिल देव ने सम्मान मिलने के बाद कहा, ‘इस देश में ऐसा कोई नहीं है जो सुनील गावस्कर नहीं बनना चाहता. काफी लोग आएंगे, लेकिन यह नाम (सुनील) हमेशा शीर्ष पर रहेगा. हमारे अंदर खेल के लिए जुनून था. हम पुरस्कारों या किसी और चीज पर ध्यान नहीं देते थे. यदि हमारी सफलता से लोगों को खुशी मिलती थी तो हमें गर्व होता था.’
कपिल देव के जीवन से जुड़ी 10 खास बातें...
मध्य गति के तेज गेंदबाज रहे कपिल देव न केवल स्विंग गेंदबाजी बल्कि विस्फोटक बल्लेबाजी के लिए भी मशहूर थे. साल 1983 के वनडे वर्ल्ड कप विजेता इस भारतीय कप्तान को देश का सर्वश्रेष्ठ ऑलराउंडर माना जाता है. हां एक और खास बात यह कि उनकी भरपाई अभी तक नहीं हो पाई है और टीम इंडिया को उनके संन्यास लेने के बाद से ही उनके जैसे हरफनमौला की तलाश है.
पूर्व भारतीय खिलाड़ी और लीजेंड्स क्लब के अध्यक्ष माधव आप्टे ने कपिल देव को प्रशस्ति पत्र देखकर सम्मानित किया. इस अवसर पर भारत के महान बल्लेबाज और पूर्व कप्तान सुनील गावस्कर को भी अजित वाडेकर ने प्रशस्ति पत्र दिया. हालांकि गावस्कर को 11 जुलाई 2013 में ही क्लब के हॉल ऑफ फेम में शामिल किया जा चुका है.
ऑलराउंडर कपिल देव ने सम्मान मिलने के बाद कहा, ‘इस देश में ऐसा कोई नहीं है जो सुनील गावस्कर नहीं बनना चाहता. काफी लोग आएंगे, लेकिन यह नाम (सुनील) हमेशा शीर्ष पर रहेगा. हमारे अंदर खेल के लिए जुनून था. हम पुरस्कारों या किसी और चीज पर ध्यान नहीं देते थे. यदि हमारी सफलता से लोगों को खुशी मिलती थी तो हमें गर्व होता था.’
कपिल देव के जीवन से जुड़ी 10 खास बातें...
- कपिल देव का जन्म 6 जनवरी 1959 को चंडीगढ़ में हुआ था. कपिल देव ने रोमी से शादी की थी. उनकी रोमी से मुलाकात एक कॉमन फ्रेंड के जरिए हुई थी. वे रोमी को एक साल तक प्रपोज नहीं कर पाए थे. बाद में दोस्तों के साथ एक ट्रिप पर कपिल ने रोमी को प्रपोज किया. इस बारे में रोमी का कहना था, "कपिल तब बहुत शर्मीले थे. उनका आत्मविश्वास जैसा आज है, वैसा उस समय नहीं था." अंततः कपिल देव ने रोमी से 1980 में शादी कर ली.
- 17 साल की उम्र में उन्होंने क्रिकेट में डेब्यू किया. कपिल देव ने टेस्ट करियर की शुरुआत पाकिस्तान के खिलाफ फैसलाबाद में 1978 में किया था. उन्होंने पहले तीन टेस्ट मैचों में 7 विकेट चटकाए थे. उन्होंने ऑलराउंडर होने का सबूत उस समय दिया, जब उन्होंने इसी सीरीज के कराची में खेले गए तीसरे टेस्ट में पाकिस्तान के खिलाफ 33 गेंदों पर 2 छक्कों की मदद से भारत का सबसे तेज अर्धशतक लगाया. इस मैच में उन्होंने 48 गेंदों में 59 रन बनाए थे, जिसमें 8 चौके और 2 छक्के जड़े थे.
- इसके बाद वेस्टइंडीज के खिलाफ उन्हें भारतीय धरती पर 17 विकेट मिले, जो भारतीय विकेटों के मिजाज के लिहाज से अच्छा प्रदर्शन था. इसके बाद उन्होंने इंग्लैंड की धरती पर उसी के खिलाफ 16 विकेट झटके.
- कपिल को असली पहचान 1979 में ऑस्ट्रेलिया के साथ खेलते हुए मिली, जब उन्होंने 6 टेस्ट मैचों में 28 विकेट चटका दिए. इसके बाद पाकिस्तान के खिलाफ भारत में ही 32 विकेट लेकर तहलका मचा दिया.
- कपिल ने महज 21 वर्ष और 27 दिन की आयु में 1000 रन और 100 टेस्ट विकेट पूरा कर दुनिया के सबसे युवा खिलाड़ी बन गए. उन्होंने 2000 रन और 200 विकेट का डबल भी सबसे कम उम्र में ही पूरा किया.
- कपिल देव की कप्तानी में ही भारत ने पहली बार वनडे वर्ल्ड कप, 1983 जीता था. उनकी कप्तानी में टीम इंडिया ने फाइनल में दो बार की विजेता वेस्टइंडीज जैसी मजबूत टीम को अप्रत्याशित रूप से हराया था. कपिल की कप्तानी में ही टीम इंडिया ने टेस्ट में 1986 में लॉर्ड्स में पहली टेस्ट जीत दर्ज की थी.
- 1983 वर्ल्ड कप में जिम्बाब्वे के खिलाफ 17 रन पर पांच विकेट गिर गए थे. कपिल देव ने इस मैच में 175 रन की ऐतिहासिक पारी खेली थी. कप्ता कपिल देव ने सैय्यद किरमानी के साथ नौवें विकेट के लिए नाबाद 126 रनों की साझेदारी निभाई थी, जिसमें किरमानी का योगदान 24 रन का था.
- कपिल देव ने भारतीय टीम की कप्तानी 1982 में संभाली थी. कपिल देव ने 131 टेस्ट में 23 बार पारी में पांच विकेट लिए थे, जिसे हाल ही में रविचंद्रन अश्विन ने पार किया था.
- कपिल देव ने 131 टेस्ट मैचों में 434 विकेट लिए थे और एक समय वह वर्ल्ड में टेस्ट में सबसे अधिक विकेट लेने वाले गेंदबाज रहे. बाद में उनको कर्टनी वॉल्श, मुथैया मुरलीधरन, शेन वॉर्न, अनिल कुंबले जैसे गेंदबाजों ने पीछे छोड़ा.
- साल 1999 में उन्होंने टीम इंडिया के कोच पद की कमान भी संभाली थी और 2000 तक इस पद पर रहे. उनके क्रिकेट में योगदान को देखते हएु 24 सितंबर, 2008 को भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट कर्नल का दर्जा दिया गया था.
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