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This Article is From Oct 11, 2015

कानपुर वनडे में रहाणे को खिलाकर कप्तान धोनी ने सबको चौंकाया

कानपुर वनडे में रहाणे को खिलाकर कप्तान धोनी ने सबको चौंकाया
कानपुर: एक दिन पहले तक यह चर्चा थी कि जब तक महेंद्र सिंह धोनी के हाथों में वनडे टीम की कमान है, अजिंक्य रहाणे का प्लेइंग इलेवन में जगह बनाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है, लेकिन रविवार को ग्रीन पार्क में दक्षिण अफ्रीका के साथ पहले वनडे मैच के लिए धोनी ने रहाणे को टीम में शामिल कर सबको चौंका दिया।

कप्तान धोनी ने दिए थे नहीं खिलाने के संकेत
धोनी ने मैच से पहले संवाददाता सम्मेलन में शनिवार को इस बात के पुख्ता संकेत दिए थे कि मौजूदा हालात में रहाणे को टीम में फिट करना मुश्किल है, लेकिन रविवार को जब टीम की घोषणा हुई तब रहाणे चौथे नंबर पर नजर आए। इससे कप्तान के रूप में धोनी की नई सोच का पता चला।

मीडिया ने बीते कुछ समय से इस बात को पुरजोर तरीके से उठाया था कि रहाणे जैसे तीनों फॉर्मेट के सफल खिलाड़ी को अंतिम एकादश में जगह नहीं मिल पाना हैरानी की बात है। धोनी ने एक दिन पहले तक रहाणे को टीम में शामिल करने को लेकर असमर्थता जताई थी, लेकिन अचानक ही सबकुछ बदल गया।

फैसला बदलने के पीछे की वजह
इसका कारण यह भी हो सकता है कि धोनी कप्तान के रूप में लगातार दूसरी सीरीज नहीं गंवाना चाहते और वह चाहते हैं कि उनकी टीम अपने पूरे सामर्थ्य के साथ मैदान में उतरे। रहाणे तीनों फॉर्मेट में भारत के लिए बेहद उपयोगी बल्लेबाज और शानदार फील्डिंग रहे हैं।

धोनी ने शनिवार को कहा था कि चौथे नंबर पर रहाणे को उतारना उनकी प्रतिभा के साथ अन्याय होगा, क्योंकि वह ऊपर के क्रम के बल्लेबाज हैं। कप्तान ने यह भी कहा था कि वह रहाणे को टॉप-3 में शामिल करना चाहते हैं, लेकिन ऊपर का स्लॉट शिखर धवन, रोहित शर्मा और विराट कोहली के कारण भरा हुआ है, ऐसे में वह रहाणे के लिए टीम में कोई जगह नहीं देखते। कप्तान ने कहा था कि रहाणे को पांचवें, छठे या सातवें क्रम पर बल्लेबाजी कराना उनकी एक तरह से तौहीन होगी और कप्तान के तौर पर वह इसका पूरा ख्याल रखना चाहेंगे।

धोनी ने की थी रहाणे की आलोचना
बांग्लादेश दौरे के दौरान कप्तान ने यह कहकर रहाणे की आलोचना की थी कि वह स्ट्राइक रोटेट नहीं करते और ऐसे में उनके लिए सिर्फ शीर्ष-3 में ही जगह बनती है, लेकिन अभी टॉप स्लॉट पूरी तरह बुक है।

इन तमाम बातों के बावजूद रहाणे को अंतिम एकादश में शामिल करना काफी हैरानी की बात है। इससे पता चलता है कि धोनी अब टीम हित में अपने व्यक्तिगत विचारों की तिलांजलि देकर जीत के बारे में अधिक सोच रहे हैं, क्योंकि यह सीरीज कप्तान के तौर पर उनकी साख या तो बचा सकती है या पूरी तरह गिरा सकती है।

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