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This Article is From Dec 12, 2016

स्कूल में टीम के लिए ओपनिंग करते थे जयंत यादव, बाद में स्पिन गेंदबाजी में भी हासिल की महारत

स्कूल में टीम के लिए ओपनिंग करते थे जयंत यादव, बाद में स्पिन गेंदबाजी में भी हासिल की महारत
नई दिल्ली: भारत के क्रिकेट इतिहास में ऐसा बहुत कम देखने को मिला है जब किसी खिलाड़ी को गेंदबाज़ के रूप में टीम में मौक़ा मिला हो और अपने करियर के तीसरे टेस्ट में शानदार बल्लेबाजी करते हुए शतक लगाया हो. यह कारनामा हाल ही में मुंबई टेस्ट में जयंत यादव ने कर दिखाया है. भारतीय टीम में उन्हें एक स्पिन गेंदबाज के रूप में मौक़ा मिला लेकिन उन्होंने तीसरे टेस्ट में इंग्लैंड के खिलाफ शतक जड़ दिया.

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जयंत यादव के रूप में एक ऑल-राउंडर टीम इंडिया को मिल गया है. मोहाली में इंग्लैंड के खिलाफ तीसरे टेस्ट भी जयंत ने अर्धशतक लगाने के साथ-साथ चार विकेट लिए थे. विशाखापट्नम में अपने पहले टेस्ट में ही जयंत को चार विकेट मिले थे. इन दोनों टेस्ट मैचों में उसने शानदार स्पिन गेंदबाज के रूप में अपनी छाप छोड़ी. मुंबई टेस्ट में जयंत ने गेंदबाजी में कमाल करने के साथ-साथ बल्लेबाजी में भी जौहर दिखाए.

जयंत के पिता जय सिंह यादव डिस्ट्रिक्ट लेवल पर क्रिकेट खेल चुके हैं. जय सिंह यादव हरियाणा के गुड़गांव (गुरुग्राम) की तरफ से क्रिकेट खेले. जय सिंह यादव का कहना है जब जयंत सिर्फ आठ साल के थे, तब उन्होंने दिल्ली के यंग फ्रेंड्स क्रिकेट क्लब में कोचिंग के लिए दाख़िला कराया. फिर जयंत ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. जयंत हफ्ते में सिर्फ दो दिन कोचिंग लेते थे और पढ़ाई में ज्यादा ध्यान देते थे.

जय सिंह यादव का कहना है कि वह चाहते थे कि जयंत हरियाणा के तरफ से रणजी ट्रॉफी खेले. ट्रेनिंग कैंप के लिए जयंत दिल्ली से रोहतक बस में जाते थे. करीब चार पांच साल तक जयंत को बस से सफर करना पड़ा. उन्होंने यह भी बताया कि जयंत के लिए क्रिकेट एक शौक था. पहले क्रिकेट को उन्होंने करियर के रूप में नहीं लिया था. पढाई में ज्यादा ध्यान देता था. जय सिंह यादव कहते हैं कि जयंत एक सलामी बल्लेबाज हैं. क्लब और स्कूल स्तर पर वह ओपनिंग करते थे. जैसे वह हरियाणा में गए उन्हें वहां नेट प्रैक्टिस के दौरान गेंदबाजी करना पड़ी और इस तरह एक गेंदबाज बन गए.

जयंत के कोच आरपी शर्मा ने एनडीटीवी से बात करते हुए बताया कि उन्होंने जयंत को 13 साल तक वह कोचिंग दी. जयंत जब सिर्फ 8 साल के थे तब उनके पास कोचिंग लेने पहुंचे थे. जयंत ने रणजी ट्रॉफी खेलने तक कोच आरपी शर्मा से कोचिंग ली. रणजी ट्रॉफी खेलने के बाद जब समय मिलता था तब बीच-बीच में अपने कोच की अकादमी में आते थे. आरपी शर्मा का कहना है जयंत एक गंभीर लड़का है. निष्ठा से प्रैक्टिस करता है और बहुत मेहनती है और केवल खेल पर ध्यान देता है.

 

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