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This Article is From Mar 01, 2015

जगमोहन डालमिया के नाम पर क्यों सहमत हुआ श्रीनिवासन कैंप?

जगमोहन डालमिया के नाम पर क्यों सहमत हुआ श्रीनिवासन कैंप?
जगमोहन डालमिया
नई दिल्ली:

कहते हैं समय अपने को दोहराता है। जगमोहन डालमिया के साथ ऐसा ही होने जा रहा है। 2004 में भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड से अपमानजनक परिस्थितियों में उन्होंने बाहर जाना पड़ा था। उन पर आर्थिक गड़बड़ियों और धोखाधड़ी का आरोप लगा था, लेकिन दस साल के बाद वह एक बार फिर जोरदार वापसी करने जा रहे हैं। यह लगभग तय है कि जगमोहन डालमिया बीसीसीआई के नए अध्यक्ष बनेंगे। बीसीसीआई सूत्रों के मुताबिक, 2 मार्च को होने वाले चुनाव में अध्यक्ष पद के लिए डालमिया के नाम पर श्रीनिवासन खेमा सहमत हो गया है।

तीन-तीन दावेदार

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद श्रीनिवासन के लिए चुनाव लड़ने का विकल्प नहीं बचा था। इसके बाद श्रीनिवासन की पहली पसंद बीसीसीआई सचिव संजय पटेल थे, लेकिन उन्हें भारतीय जनता पार्टी समर्थित ईकाइयों से समर्थन मिलने की उम्मीद नहीं देखकर श्रीनिवासन ने जगमोहन डालमिया को ही समर्थन देने का मन बनाया है, हालांकि बीसीसीआई के अंतरिम अध्यक्ष शिवलाल यादव भी श्रीनिवासन कैंप के ही है और उन्हें अभी भी रेस में बाहर नहीं माना जा रहा है।

डालमिया की वापसी

दरअसल, बोर्ड के प्रावधानों के मुताबिक, इस बार ईस्ट ज़ोन से बीसीसीआई अध्यक्ष चुना जाना है। डालमिया ईस्ट ज़ोन के बंगाल क्रिकेट संघ के अध्यक्ष हैं। 74 साल के डालमिया का भारतीय क्रिकेट से पुराना रिश्ता है। 1979 में वे बीसीसीआई में आए और 1983 में वे बोर्ड के कोषाध्यक्ष बने। उन्हें भारतीय क्रिकेट का चेहरा बदलने वाले प्रशासकों में गिना जाता रहा है। बोर्ड अध्यक्ष आईएस बिंद्रा के साथ मिलकर उन्हें 1987 और 1996 में वर्ल्ड कप आयोजन को भारत लाने का श्रेय जाता है।

2001 से 2004 तक वे बीसीसीआई के अध्यक्ष भी रहे। इससे पहले 1997 में वे तीन साल के लिए इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल के अध्यक्ष भी रहे। 2004 में बीसीसीआई से हटाए जाने के बाद एन श्रीनिवासन ने 2007 में उनकी क्रिकेट की दुनिया में फिर से वापसी कराई, इसलिए जब श्रीनिवासन को बीसीसीआई अध्यक्ष पद का काम छोड़ना पड़ा तो उनकी जगह अंतरिम जिम्मेदारी संभालने के लिए जगमोहन डालमिया ही सामने आए।

पवार का क्या हुआ?

दरअसल, बीसीसीआई के ईस्ट ज़ोन के सभी छह सदस्य श्रीनिवासन कैंप के माने जाते हैं, यही वजह है कि शरद पवार बोर्ड अध्यक्ष पद की होड़ से लगभग बाहर हो गए हैं। उन्हें ईस्ट ज़ोन ना तो अब तक प्रस्तावक मिला है और ना ही प्रस्ताव को स्वीकार करने वाला, हालांकि शरद पवार ने अभी ये तय नहीं किया है कि वे चुनाव लड़ेंगे या नहीं। माना जा रहा है कि उनका खेमा आखिरी समय तक पर्याप्त नंबर जुटाने की कोशिश कर रहा है। अगर ईस्ट ज़ोन से पवार को दो वोट मिल जाते हैं, तो वे चुनाव मैदान पर उतर सकते हैं।

श्रीनिवासन का क्या होगा?

हालांकि अब तक अध्यक्ष पद के लिए जगमोहन डालमिया के अलावा किसी और पद के लिए नाम पर सहमति नहीं बनी है, लेकिन माना जा रहा है कि बोर्ड में एन श्रीनिवासन का दबदबा बना रहेगा। उनके कैंप के संजय पटेल सचिव और अनिरुद्ध चौधरी कोषाध्यक्ष बने रहेंगे। पहले माना जा रहा था कि बीजेपी के सांसद सदस्य अनुराग ठाकुर को संयुक्त सचिव से सचिव बनाया जा सकता है, लेकिन श्रीनिवासन कैंप उन्हें नार्थ ज़ोन से वाइस प्रेसीडेंट बना सकता है। ऐसे में संयुक्त सचिव पद के लिए ब्रजेश पटेल और अमिताभ चौधरी का नाम सामने आ सकता है।

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