ईशान किशन को धोनी की ही तरह छक्के लगाने में महारत हासिल है (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
झारखंड जैसे छोटे राज्य ने भारतीय क्रिकेट में महेंद्र सिंह धोनी जैसा खिलाड़ी देकर अहम योगदान दिया है. अब इसी राज्य से एक और खिलाड़ी क्रिकेट परिदृश्य में जगह बना रहा है. उन्हीं की तो वैसे उसके नाम के चर्चे अंडर-19 वर्ल्ड कप से पहले से हैं, लेकिन उसने एक बार फिर अपने प्रदर्शन से सबका ध्यान खींचा है. उसने सौराष्ट्र के खिलाफ मैच में 136 रन बनाकर झारखंड की जीत में अहम योगदान दिया. इस युवा सितारे का नाम है ईशान किशन (Ishan Kishan), जो एमएस धोनी की ही तरह विकेटकीपर बल्लेबाज है. इससे पहले ईशान ने रणजी में ही जबर्दस्त खेल दिखाते हुए झारखंड की ओर से वह कारनामा कर दिया था, जो धोनी जैसे दिग्गज भी नहीं कर सके थे. उन्होंने थुंबा में खेले गए झारखंड और दिल्ली के रणजी ट्रॉफी ग्रुप बी मैच में शानदार दोहरा शतक लगाया था. यह झारखंड की ओर से खेली गई अब तक की सबसे लंबी पारी रही. इसके साथ ही उन्होंने छक्के लगाने के रिकॉर्ड की बराबरी भी कर ली थी. हम आपको भारतीय क्रिकेट के इस उभरते हुए सितारे से परिचित करा रहे हैं, जो एमएस धोनी की तरह उम्मीद जगा रहा है...
रणजी में छक्कों के रिकॉर्ड की बराबरी
सबसे पहले बात ईशान किशन के हाल ही के रणजी प्रदर्शन की करते हैं. किशन ने इस मैच में छठे नंबर पर बल्लेबाजी करते हुए 336 गेंदों का सामना किया और 273 रन ठोक दिए. खास बात यह कि उन्होंने एमएस धोनी की तरह ही लंबे-लंबे छक्के भी लगाए. उन्होंने अपनी पारी में कुल 14 छक्के उड़ाए और 21 चौके लगाए. भी लगाए. किशन ने रणजी मैच की एक पारी में सबसे ज्यादा छक्के लगाने के रिकॉर्ड की बराबरी भी कर ली. इससे पहले हिमाचल प्रदेश के क्रिकेटर शक्ति सिंह ने 1990 में 128 रन की पारी में 14 छक्के लगाए थे.
जबर्दस्त टर्निंग विकेट पर जडेजा की भी कर चुके हैं पिटाई
ईशान किशन ने ऐसी पारी पहली बार नहीं खेली है. वह अक्टूबर, 2015 में सौराष्ट्र के खिलाफ खेले गए रणजी मैच में राजकोट की पिच पर भी बेहतरीन पारी खेली थी. राजकोट की पिच पर पहली ही गेंद से धूल उड़ रही थी और गेंद काफी घूम रही थी. ईशान ने ओपनिंग करते हुए स्पिनरों के खिलाफ जबर्दस्त तकनीक का प्रदर्शन किया था और 69 गेंदों में 87 रन की पारी खेली थी, जिसमें उन्होंने 8 छक्के और 4 चौके लगाए थे, जबकि इसी पिच पर सौराष्ट्र के आगे त्रिपुरा की टीम नतमस्तक हो गई थी. इस मैच में किशन ने टीम इंडिया के ऐसी पिचों पर बेहद खतरनाक माने जाने वाले स्पिनर रवींद्र जडेजा का भी बखूबी सामना किया और उनकी गेंदों की भी पिटाई की थी.
किसी भी पोजिशन पर खेलने में सक्षम
ईशान आमतौर पर मध्यक्रम में खेलते हैं, लेकिन वह झारखंड के लिए ओपनिंग भी कर चुके हैं, हालांकि उन्हें किसी भी पोजिशन पर खेलने में कोई भी परेशानी नहीं होती. अंडर-19 के कोच राहुल द्रविड़ उन्हें ओपनिंग के साथ-साथ मध्यक्रम में भी आजमा चुके हैं. ईशान को झारखंड की सीनियर टीम में लाने वाले टीम इंडिया के पूर्व गेंदबाज सुब्रतो बैनर्जी ने एक अखबार से बातचीत में कहा था कि उन्होंने ईशान को पहली बार झारखंड टीम की नेट प्रैक्टिस के दौरान कई सीनियर गेंदबाजों की पिटाई करते हुए देखा था. उनके अनुसार ईशान जिस तरह से खेल रहे थे, उससे वे आश्चर्यचकित रह गए थे. बिल्कुल धोनी की ही तरह वे भी गेंदबाज के स्तर को नहीं देखते, बल्कि गेंद को देखते हैं और उसे सही अंजाम देते हैं.
अंडर-19 वर्ल्ड कप में रहे कप्तान
18 जुलाई 1998 को जन्मे ईशान ने रणजी ट्रॉफी में झारखंड की टीम का प्रतिनिधित्व करते हुए अपने पदार्पण मैच में ही 60 रनों की बेहतरीन पारी खेली. इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.अंडर-19 टीम के कोच और टीम इंडिया के दिग्गज ब्लेबाज रहे राहुल द्रविड़ अंडर-19 वर्ल्ड कप से पहले टीम के खिलाड़ियों को भलीभांति परख लेना चाहते थे. इसके लिए उन्होंने रोटेशन पॉलिसी अपनाई और न केवल खिलाड़ियों को रोटेट किया बल्कि कप्तान भी बदले. द्रविड़ ने बांग्लादेश और अफगानिस्तान के साथ खेली गई त्रिकोणीय सीरीज में जहां विराट सिंह और रिकी भुई को कप्तान के रूप में मौका दिया, वहीं हाल ही में भारत, श्रीलंका और इंग्लैंड के बीच खेली गई सीरीज में ऋषभ पंत और ईशान किशन को कप्तान के रूप में परखा. वे ईशान किशन की नेतृत्व क्षमता और खेल से प्रभावित हुए और संभवत: उनकी ही रिपोर्ट पर वेंकटेश प्रसाद की अध्यक्षता वाली जूनियर चयन समिति ने ईशान को अंडर-19 वर्ल्ड कप के लिए कप्तान चुन लिया. उनकी कप्तानी में भारतीय टीम फाइनल तक पहुंची थी. हालांकि खिताब से वह वंचित रह गई.
क्रिकेट के कारण स्कूल से निकाला गया...
ईशान किशन पटना के दिल्ली पब्लिक स्कूल में पढ़ते थे. धीरे-धीरे क्रिकेट से उन्हें इतना लगाव हो गया कि वह पढ़ाई पर ध्यान नहीं दे पाते थे. उनके क्रिकेट के प्रति जुनून को इसी से समझा जा सकता है कि इसके कारण उन्हें स्कूल से निष्कासित तक कर दिया गया था, फिर भी उन्होंने क्रिकेट खेलना नहीं छोड़ा. इसमें उनके भाई राज किशन ने भरपूर साथ दिया. उन्हीं की बदौलत ईशान आज यहां तक पहुंचे हैं. ईशान पटना से तीन साल पहले क्रिकेट खेलने झारखंड की राजधानी रांची चले गए. यहां उन्होंने स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया (सेल) की ओर से खेलना शुरू किया और धीरे-धीरे क्रिकेट की बारीकियों को सीखते हुए 17 दिसंबर 2014 को प्रथम श्रेणी क्रिकेट में पदार्पण किया.
वर्ल्ड कप के बाद मिले कई करार
ईशान ने फरवरी, 2016 में टायर बनाने वाली कंपनी सिएट के साथ तीन साल का करार किया था. इस करार के मुताबिक अब ईशान क्रिकेट के सभी फॉर्मेट में सिएट लिखे बल्ले से खेलेंगे. खबरों के मुताबिक ईशान और सिएट के बीच एक करोड़ रुपये में करार हुआ था.
ईशान किशन को अपने आदर्श महेंद्र सिंह धोनी के साथ विजय हजारे ट्रॉफी में खेलने का मौका मिल चुका है. वह आईपीएल में सुरेश रैना की टीम गुजरात लॉयन्स में हैं. ईशान ने फॉर्स्ट क्लास क्रिकेट के 14 मैचों में 926 रन बनाए हैं, जिसमें 2 शतक और 5 हाफ-सेंचुरी शामिल है.
रणजी में छक्कों के रिकॉर्ड की बराबरी
सबसे पहले बात ईशान किशन के हाल ही के रणजी प्रदर्शन की करते हैं. किशन ने इस मैच में छठे नंबर पर बल्लेबाजी करते हुए 336 गेंदों का सामना किया और 273 रन ठोक दिए. खास बात यह कि उन्होंने एमएस धोनी की तरह ही लंबे-लंबे छक्के भी लगाए. उन्होंने अपनी पारी में कुल 14 छक्के उड़ाए और 21 चौके लगाए. भी लगाए. किशन ने रणजी मैच की एक पारी में सबसे ज्यादा छक्के लगाने के रिकॉर्ड की बराबरी भी कर ली. इससे पहले हिमाचल प्रदेश के क्रिकेटर शक्ति सिंह ने 1990 में 128 रन की पारी में 14 छक्के लगाए थे.
जबर्दस्त टर्निंग विकेट पर जडेजा की भी कर चुके हैं पिटाई
ईशान किशन ने ऐसी पारी पहली बार नहीं खेली है. वह अक्टूबर, 2015 में सौराष्ट्र के खिलाफ खेले गए रणजी मैच में राजकोट की पिच पर भी बेहतरीन पारी खेली थी. राजकोट की पिच पर पहली ही गेंद से धूल उड़ रही थी और गेंद काफी घूम रही थी. ईशान ने ओपनिंग करते हुए स्पिनरों के खिलाफ जबर्दस्त तकनीक का प्रदर्शन किया था और 69 गेंदों में 87 रन की पारी खेली थी, जिसमें उन्होंने 8 छक्के और 4 चौके लगाए थे, जबकि इसी पिच पर सौराष्ट्र के आगे त्रिपुरा की टीम नतमस्तक हो गई थी. इस मैच में किशन ने टीम इंडिया के ऐसी पिचों पर बेहद खतरनाक माने जाने वाले स्पिनर रवींद्र जडेजा का भी बखूबी सामना किया और उनकी गेंदों की भी पिटाई की थी.
किसी भी पोजिशन पर खेलने में सक्षम
ईशान आमतौर पर मध्यक्रम में खेलते हैं, लेकिन वह झारखंड के लिए ओपनिंग भी कर चुके हैं, हालांकि उन्हें किसी भी पोजिशन पर खेलने में कोई भी परेशानी नहीं होती. अंडर-19 के कोच राहुल द्रविड़ उन्हें ओपनिंग के साथ-साथ मध्यक्रम में भी आजमा चुके हैं. ईशान को झारखंड की सीनियर टीम में लाने वाले टीम इंडिया के पूर्व गेंदबाज सुब्रतो बैनर्जी ने एक अखबार से बातचीत में कहा था कि उन्होंने ईशान को पहली बार झारखंड टीम की नेट प्रैक्टिस के दौरान कई सीनियर गेंदबाजों की पिटाई करते हुए देखा था. उनके अनुसार ईशान जिस तरह से खेल रहे थे, उससे वे आश्चर्यचकित रह गए थे. बिल्कुल धोनी की ही तरह वे भी गेंदबाज के स्तर को नहीं देखते, बल्कि गेंद को देखते हैं और उसे सही अंजाम देते हैं.
अंडर-19 वर्ल्ड कप में रहे कप्तान
18 जुलाई 1998 को जन्मे ईशान ने रणजी ट्रॉफी में झारखंड की टीम का प्रतिनिधित्व करते हुए अपने पदार्पण मैच में ही 60 रनों की बेहतरीन पारी खेली. इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.अंडर-19 टीम के कोच और टीम इंडिया के दिग्गज ब्लेबाज रहे राहुल द्रविड़ अंडर-19 वर्ल्ड कप से पहले टीम के खिलाड़ियों को भलीभांति परख लेना चाहते थे. इसके लिए उन्होंने रोटेशन पॉलिसी अपनाई और न केवल खिलाड़ियों को रोटेट किया बल्कि कप्तान भी बदले. द्रविड़ ने बांग्लादेश और अफगानिस्तान के साथ खेली गई त्रिकोणीय सीरीज में जहां विराट सिंह और रिकी भुई को कप्तान के रूप में मौका दिया, वहीं हाल ही में भारत, श्रीलंका और इंग्लैंड के बीच खेली गई सीरीज में ऋषभ पंत और ईशान किशन को कप्तान के रूप में परखा. वे ईशान किशन की नेतृत्व क्षमता और खेल से प्रभावित हुए और संभवत: उनकी ही रिपोर्ट पर वेंकटेश प्रसाद की अध्यक्षता वाली जूनियर चयन समिति ने ईशान को अंडर-19 वर्ल्ड कप के लिए कप्तान चुन लिया. उनकी कप्तानी में भारतीय टीम फाइनल तक पहुंची थी. हालांकि खिताब से वह वंचित रह गई.
क्रिकेट के कारण स्कूल से निकाला गया...
ईशान किशन पटना के दिल्ली पब्लिक स्कूल में पढ़ते थे. धीरे-धीरे क्रिकेट से उन्हें इतना लगाव हो गया कि वह पढ़ाई पर ध्यान नहीं दे पाते थे. उनके क्रिकेट के प्रति जुनून को इसी से समझा जा सकता है कि इसके कारण उन्हें स्कूल से निष्कासित तक कर दिया गया था, फिर भी उन्होंने क्रिकेट खेलना नहीं छोड़ा. इसमें उनके भाई राज किशन ने भरपूर साथ दिया. उन्हीं की बदौलत ईशान आज यहां तक पहुंचे हैं. ईशान पटना से तीन साल पहले क्रिकेट खेलने झारखंड की राजधानी रांची चले गए. यहां उन्होंने स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया (सेल) की ओर से खेलना शुरू किया और धीरे-धीरे क्रिकेट की बारीकियों को सीखते हुए 17 दिसंबर 2014 को प्रथम श्रेणी क्रिकेट में पदार्पण किया.
वर्ल्ड कप के बाद मिले कई करार
ईशान ने फरवरी, 2016 में टायर बनाने वाली कंपनी सिएट के साथ तीन साल का करार किया था. इस करार के मुताबिक अब ईशान क्रिकेट के सभी फॉर्मेट में सिएट लिखे बल्ले से खेलेंगे. खबरों के मुताबिक ईशान और सिएट के बीच एक करोड़ रुपये में करार हुआ था.
ईशान किशन को अपने आदर्श महेंद्र सिंह धोनी के साथ विजय हजारे ट्रॉफी में खेलने का मौका मिल चुका है. वह आईपीएल में सुरेश रैना की टीम गुजरात लॉयन्स में हैं. ईशान ने फॉर्स्ट क्लास क्रिकेट के 14 मैचों में 926 रन बनाए हैं, जिसमें 2 शतक और 5 हाफ-सेंचुरी शामिल है.
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