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बिंद्रा ने अपने खुले पत्र में उन नियमों का जिक्र किया है जिनके अनुसार निदेशकों को निजी फायदे के लिए आईसीसी में अपने पदों का उपयोग नहीं करना चाहिए। इस पत्र को मीडिया में भी जारी किया गया है।
उन्होंने अपने पत्र में लिखा है, ‘‘यह पत्र लिखते हुए मुझे बहुत पीड़ा हो रही है विशेषकर इसलिए क्योंकि वह व्यक्ति जो कि विवादों के केंद्र में है, वह उसी बोर्ड की अगुवाई करने जा रहा है जिसका मैं पिछले 38 वर्ष से सदस्य हूं और उसका अध्यक्ष भी रह चुका हूं।’’
आईसीसी के पूर्व सलाहकार बिंद्रा ने लिखा है, ‘‘हालांकि मैं हमेशा व्यक्ति से अधिक महत्व खेल को देता रहा हूं और सचाई सबके सामने आनी चाहिए।’’
बिंद्रा ने कहा कि संहिता के नियम 2.1 में साफ लिखा गया है कि निदेशकों को नैतिकतापूर्ण व्यवहार करना होगा और कोई ऐसा काम नहीं करना होगा जो अनुचित हो। नियम 4.1 में साफ लिखा गया है कि निदेशकों को अपने निजी हित या फायदे के लिए आईसीसी में अपने पद का उपयोग नहीं करना होगा। इसमें आईसीसी के प्रसारकों के साथ सीधी भागीदारी भी शामिल है।
उन्होंने कहा कि दुनिया भर के कई क्रिकेट प्रेमियों को श्रीनिवासन के लंदन बैठक में भाग लेने को लेकर आपत्ति है। बिंद्रा ने कहा, ‘‘आईसीसी प्रवक्ता को अब भी पद के कामकाज से मुक्त कर दिए गए अध्यक्ष के वार्षिक सम्मेलन में भाग लेने को लेकर आपत्ति नहीं है लेकिन भारत और दुनिया भर के लाखों क्रिकेट प्रेमियों को उन्हें हरी झंडी नहीं मिलने तक उनकी इस तरह की किसी भी भागीदारी पर घोर आपत्ति है।’’
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