इंडियन प्रीमियर लीग (IPL 2022) के फाइनल का बेसब्री से इंतजार पूरा क्रिकेट जगत कर रहा है. यूं तो इस मुकाबले के कई चरण अहम होने जा रहे हैं, लेकिन पिच को देखते हुए एक बात बहुत ही साफ है कि यहां पावर-प्ले की लड़ाई बहुत ही अहम होने जा रही है. पावर-प्ले का अर्थ शुरुआती छह ओवरों में चौकों-छक्कों के खेल से हैं. जो भी टीम इस ओवरों में बाजी मारेगी या खुद को ऊपर रखेगी, उसके आसार बेहतर होने जा रहे हैं. यह तो साफ है कि अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम की पिच बल्लेबाजों की अनुकूल है. और ऐसे में दोनों ही टीमों का उद्देश्य विकेट सलामत रखते हुए शुरुआती छह ओवरों में ज्यादा से ज्यादा रन बटोरना होगा, लेकिन राजस्तान के लिए अगर बटलर के बल्ले ने फिर से आग उगली, तो पावर-प्ले ही नहीं, बल्कि बहुत कुछ तय हो जाएगा.
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लेकिन यह भी एक तथ्य है कि अभी तक गुजरात की टीम पावर-प्ले के खेल में सर्वश्रेष्ठ रही है. और इसके बाद दूसरा नंबर राजस्थान का आता है. अगर गेंदबाजी के पहलू से बात करें, तो टाइटंस ने शुरुआती छह ओवरों में 26.69 के औसत से 26 विकेट चटकाए हैं, जबकि राजस्थान ने 27.38 के औसत से 24 विकेट लिए हैं.
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मतलब आप पावर-प्ले की असल लड़ाई को आप बल्ले से नहीं, आप गेंद के नजरिए से सोचिए. मतलब यह भी है कि आंकड़ों को देखते हुए बटलर के लिए टेस्ट सरीखा होने जा रहा है, तो टेस्ट साहा और शुबमन गिल का भी होगा, लेकिन आंकड़ों से ऊपर उठकर देखें तो जयसवाल और बटलर आगे खड़े दिखते हैं. कुल मिलाकर पावर-प्ले की पावर में जो भी बेहतर पावर दिखाएगा, संतुलन उसके पक्ष में झुक जाएगा. गुजरात के लिए शमी का अनुभव खासा काम आएगा, तो राजस्थान के लिए बोल्ट का. देखतें हैं कि कौन सी पावर किस पर भारी पड़ती है. बल्ले की गेंद पर या गेंद की बल्ले पर ?
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