विराट कोहली की कप्तानी में भारत ने श्रीलंका के खिलाफ पहला टेस्ट हारने के बाद सीरीज जीती थी (फाइल फोटो)
क्या पुणे के पहले टेस्ट में हार झेलने के बाद टीम इंडिया सीरीज में ऑस्ट्रेलिया को हरा पाएगी..यह सवाल इन दिनों देश के क्रिकेटप्रेमियों के दिमाग में घूम रहा है. दरअसल एक टेस्ट हारने के बाद सीरीज में वापसी करना बड़ी चुनौती से कम नहीं होता. इस मामले में रिकॉर्ड भी भारतीय टीम के पक्ष में नहीं है. 1932 में टेस्ट क्रिकेट में प्रवेश करने के बाद अब तक केवल तीन अवसरों पर भारत पहला टेस्ट हारने के बाद सीरीज जीतने में सफल रहा है. विराट कोहली की टीम को पुणे में स्पिनरों की मददगार पिच पर बल्लेबाजों के लचर प्रदर्शन के कारण करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा. उसे चार टेस्ट मैचों की सीरीज में वापसी करने के लिये इंग्लैंड के खिलाफ 1972-73 की सीरीज, ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 2001 की सीरीज और श्रीलंका के खिलाफ 2015 की सीरीज से प्रेरणा लेनी होगी जिनमें पहला टेस्ट मैच हारने के बाद टीम ने जबर्दस्त वापसी की थी.
वैसे इनमें से केवल इंग्लैंड वाली सीरीज ही ऐसी थी जिसमें चार या इससे अधिक टेस्ट खेले गए थे. बाकी दोनों सीरीज तीन-तीन टेस्ट मैचों की थी. भारत ने हालांकि दो अवसरों पर वेस्टइंडीज के खिलाफ 1987-88 में और इंग्लैंड के खिलाफ 2002 में चार टेस्ट मैचों की दोनों सीरीज पहला मैच गंवाने के बाद 1-1 से बराबर करवाई थी. भारत कुल आठ बार पहला टेस्ट हारने के बाद सीरीज ड्रॉ कराने में सफल रहा है. भारत के लिये यह आंकड़ा थोड़ा राहत देने वाला है कि सीरीज के पहले टेस्ट मैच की तुलना में दूसरे टेस्ट मैच में उसका रिकॉर्ड बेहतर रहा है. भारतीय टीम ने अब तक दो या इससे अधिक टेस्ट मैचों की सीरीज के पहले टेस्ट मैच के रूप में खेले गये 140 मैचों में से 38 में जीत दर्ज की जबकि 52 में उसे हार का सामना करना पड़ा. एक मैच टाई रहा और बाकी 49 ड्रॉ समाप्त हुए. सीरीज के दूसरे टेस्ट मैच में हालांकि उसका रिकॉर्ड 140 टेस्ट, 42 जीत और 38 हार और 60 ड्रॉ का है.
भारत ने जिन तीन सीरीज में पहला मैच गंवाने के बाद जीत दर्ज की उनमें इंग्लैंड के खिलाफ 1972-73 की सीरीज बेहद अहम स्थान रखती है. अजित वाडेकर की अगुवाई वाली भारतीय टीम दिल्ली में खेला गया पहला टेस्ट मैच छह विकेट से हार गई थी लेकिन उसने कोलकाता में दूसरे टेस्ट मैच में 28 रन और चेन्नई में तीसरे टेस्ट मैच में चार विकेट से जीत दर्ज करके शानदार वापसी की थी. इसके बाद कानपुर और मुंबई में खेले गये अगले दोनों टेस्ट मैच ड्रॉ कराकर भारत ने सीरीज 2-1 से जीती थी. यही कारनामा सौरव गांगुली की अगुवाई वाली टीम ने 2001 में आस्ट्रेलिया के खिलाफ घरेलू सरजमीं पर किया था. भारत मुंबई में खेला गया पहला टेस्ट मैच दस विकेट से हार गया लेकिन कोलकाता में दूसरे टेस्ट मैच में फॉलोआन के बाद वीवीएस लक्ष्मण की 281 रन की ऐतिहासिक पारी और हरभजन सिंह की शानदार गेंदबाजी से भारत ने 171 रन से जीत दर्ज की. भारत ने तब चेन्नई में खेला गया तीसरा और अंतिम टेस्ट मैच दो विकेट से जीतकर सीरीज 2-1 से अपने नाम की थी. कोहली की अगुवाई में भी भारतीय टीम एक बार ऐसा कारनामा कर चुकी है और भारतीय कप्तान अपने खिलाड़ियों को बता भी चुके हैं कि उन्हें श्रीलंका के खिलाफ 2015 की सीरीज से प्रेरणा लेनी होगी जब टीम ने गाले में खेला गया पहला टेस्ट मैच 63 रन से गंवा दिया था लेकिन इसके बाद कोलंबो में खेले गये अगले दोनों टेस्ट मैचों में क्रमश: 278 रन और 117 रन से जीत दर्ज करके सीरीज 2-1 से जीती थी.
जहां तक ऑस्ट्रेलिया की बात है कि इससे पहले उसने 2005 की एशेज सीरीज में पहला टेस्ट मैच जीतने के बाद सीरीज गंवाई थी. तब ऑस्ट्रेलियाई टीम लॉर्डस में पहला टेस्ट जीतने में सफल रही थी लेकिन इसके बाद वह एजबेस्टन में दूसरा और ट्रेंटब्रिज में चौथा टेस्ट मैच हारकर सीरीज गंवा बैठी थी. ऑस्ट्रेलिया का सीरीज के पहले टेस्ट मैच की तुलना में दूसरे टेस्ट मैच में रिकॉर्ड थोड़ा कमतर रहा है. ऑस्ट्रेलियाई टीम ने दो या इससे अधिक टेस्ट मैचों की सीरीज के पहले टेस्ट के तौर पर खेले गये 201 मैचों में 109 में जीत दर्ज की और 45 में उसे हार मिली. सीरीज के दूसरे टेस्ट के रूप में उसने जो 200 मैच खेले हैं उनमें से 97 में उसे जीत मिली और 52 में हार. भारतीय टीम के लिये अब पहली चुनौती बेंगलुरू में शनिवार से शुरू होने वाले दूसरे टेस्ट मैच में वापसी करने की होगी. बेंगलुरू के चिन्नास्वामी स्टेडियम में भारतीय टीम ने अब तक 21 टेस्ट मैच खेले हैं जिनमें से उसे छह में जीत और छह में हार मिली जबकि बाकी नौ टेस्ट मैच ड्रॉ रहे. ऑस्ट्रेलिया ने इस मैदान पर जो पांच मैच खेले हैं उनमें से दो में उसने जीत हासिल की और एक में उसे हार का सामना करना पड़ा. भारत हालांकि पिछले एक दशक से अधिक समय से चिन्नास्वामी स्टेडियम में अजेय रहा है. इस बीच उसने यहां पांच टेस्ट मैच खेले जिसमें दो में जीत दर्ज की और तीन ड्रॉ रहे. इनमें ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 2010 में खेला गया मैच भी शामिल है जिसमें भारत ने सात विकेट से जीत दर्ज की थी. (भाषा से इनपुट)
वैसे इनमें से केवल इंग्लैंड वाली सीरीज ही ऐसी थी जिसमें चार या इससे अधिक टेस्ट खेले गए थे. बाकी दोनों सीरीज तीन-तीन टेस्ट मैचों की थी. भारत ने हालांकि दो अवसरों पर वेस्टइंडीज के खिलाफ 1987-88 में और इंग्लैंड के खिलाफ 2002 में चार टेस्ट मैचों की दोनों सीरीज पहला मैच गंवाने के बाद 1-1 से बराबर करवाई थी. भारत कुल आठ बार पहला टेस्ट हारने के बाद सीरीज ड्रॉ कराने में सफल रहा है. भारत के लिये यह आंकड़ा थोड़ा राहत देने वाला है कि सीरीज के पहले टेस्ट मैच की तुलना में दूसरे टेस्ट मैच में उसका रिकॉर्ड बेहतर रहा है. भारतीय टीम ने अब तक दो या इससे अधिक टेस्ट मैचों की सीरीज के पहले टेस्ट मैच के रूप में खेले गये 140 मैचों में से 38 में जीत दर्ज की जबकि 52 में उसे हार का सामना करना पड़ा. एक मैच टाई रहा और बाकी 49 ड्रॉ समाप्त हुए. सीरीज के दूसरे टेस्ट मैच में हालांकि उसका रिकॉर्ड 140 टेस्ट, 42 जीत और 38 हार और 60 ड्रॉ का है.
भारत ने जिन तीन सीरीज में पहला मैच गंवाने के बाद जीत दर्ज की उनमें इंग्लैंड के खिलाफ 1972-73 की सीरीज बेहद अहम स्थान रखती है. अजित वाडेकर की अगुवाई वाली भारतीय टीम दिल्ली में खेला गया पहला टेस्ट मैच छह विकेट से हार गई थी लेकिन उसने कोलकाता में दूसरे टेस्ट मैच में 28 रन और चेन्नई में तीसरे टेस्ट मैच में चार विकेट से जीत दर्ज करके शानदार वापसी की थी. इसके बाद कानपुर और मुंबई में खेले गये अगले दोनों टेस्ट मैच ड्रॉ कराकर भारत ने सीरीज 2-1 से जीती थी. यही कारनामा सौरव गांगुली की अगुवाई वाली टीम ने 2001 में आस्ट्रेलिया के खिलाफ घरेलू सरजमीं पर किया था. भारत मुंबई में खेला गया पहला टेस्ट मैच दस विकेट से हार गया लेकिन कोलकाता में दूसरे टेस्ट मैच में फॉलोआन के बाद वीवीएस लक्ष्मण की 281 रन की ऐतिहासिक पारी और हरभजन सिंह की शानदार गेंदबाजी से भारत ने 171 रन से जीत दर्ज की. भारत ने तब चेन्नई में खेला गया तीसरा और अंतिम टेस्ट मैच दो विकेट से जीतकर सीरीज 2-1 से अपने नाम की थी. कोहली की अगुवाई में भी भारतीय टीम एक बार ऐसा कारनामा कर चुकी है और भारतीय कप्तान अपने खिलाड़ियों को बता भी चुके हैं कि उन्हें श्रीलंका के खिलाफ 2015 की सीरीज से प्रेरणा लेनी होगी जब टीम ने गाले में खेला गया पहला टेस्ट मैच 63 रन से गंवा दिया था लेकिन इसके बाद कोलंबो में खेले गये अगले दोनों टेस्ट मैचों में क्रमश: 278 रन और 117 रन से जीत दर्ज करके सीरीज 2-1 से जीती थी.
जहां तक ऑस्ट्रेलिया की बात है कि इससे पहले उसने 2005 की एशेज सीरीज में पहला टेस्ट मैच जीतने के बाद सीरीज गंवाई थी. तब ऑस्ट्रेलियाई टीम लॉर्डस में पहला टेस्ट जीतने में सफल रही थी लेकिन इसके बाद वह एजबेस्टन में दूसरा और ट्रेंटब्रिज में चौथा टेस्ट मैच हारकर सीरीज गंवा बैठी थी. ऑस्ट्रेलिया का सीरीज के पहले टेस्ट मैच की तुलना में दूसरे टेस्ट मैच में रिकॉर्ड थोड़ा कमतर रहा है. ऑस्ट्रेलियाई टीम ने दो या इससे अधिक टेस्ट मैचों की सीरीज के पहले टेस्ट के तौर पर खेले गये 201 मैचों में 109 में जीत दर्ज की और 45 में उसे हार मिली. सीरीज के दूसरे टेस्ट के रूप में उसने जो 200 मैच खेले हैं उनमें से 97 में उसे जीत मिली और 52 में हार. भारतीय टीम के लिये अब पहली चुनौती बेंगलुरू में शनिवार से शुरू होने वाले दूसरे टेस्ट मैच में वापसी करने की होगी. बेंगलुरू के चिन्नास्वामी स्टेडियम में भारतीय टीम ने अब तक 21 टेस्ट मैच खेले हैं जिनमें से उसे छह में जीत और छह में हार मिली जबकि बाकी नौ टेस्ट मैच ड्रॉ रहे. ऑस्ट्रेलिया ने इस मैदान पर जो पांच मैच खेले हैं उनमें से दो में उसने जीत हासिल की और एक में उसे हार का सामना करना पड़ा. भारत हालांकि पिछले एक दशक से अधिक समय से चिन्नास्वामी स्टेडियम में अजेय रहा है. इस बीच उसने यहां पांच टेस्ट मैच खेले जिसमें दो में जीत दर्ज की और तीन ड्रॉ रहे. इनमें ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 2010 में खेला गया मैच भी शामिल है जिसमें भारत ने सात विकेट से जीत दर्ज की थी. (भाषा से इनपुट)
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