
अजिंक्य रहाणे की कप्तानी में टीम इंडिया ने धर्मशाला टेस्ट में जीत हासिल की (फाइल फोटो)
विराट कोहली की गैरमौजूदगी के बावजूद टीम इंडिया ने धर्मशाला मैच 8 विकेट से जीतकर चार टेस्ट की सीरीज 2-1 से अपने नाम कर ली है. इस जीत के साथ ही टीम इंडिया ने बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी पर कब्जा कर लिया है. टीम इंडिया की यह लगातार सातवीं सीरीज जीत है. पुणे का पहला टेस्ट बुरी तरह हारने के बाद टीम इंडिया के समर्थकों के चेहरे बुझे हुए थे लेकिन बेंगलुरू की जीत ने मुस्कान लौटाई. रांची और धर्मशाला में हुए तीसरे और चौथे टेस्ट में टीम इंडिया के खिलाड़ियों ने जमकर संघर्ष करने का जज्बा दिखाया.विपरीत परिस्थितियों में संघर्ष करके उन्होंने कंगारू टीम को बैकफुट पर ला दिया और सीरीज अपने नाम की. वैसे तो हर खिलाड़ी का टीम की इस जीत में योगदान रहा लेकिन अपने प्रदर्शन से ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों के छक्के छुड़ाने वाले ये 6 'हीरो' खास रहे...
उमेश यादव : अब केवल तेज नहीं, सटीक भी हैं
तेज गेंदबाज उमेश यादव को कुछ समय पहले तक ऐसा गेंदबाज माना जा सकता था जो गति और स्विंग के बावजूद अपनी प्रतिभा से न्याय नहीं कर पाया, लेकिन न्यूजीलैंड, इंग्लैंड, बांग्लादेश और अब ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वे टीम इंडिया के लिए नंबर वन तेज गेंदबाज साबित साबित हुए. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सीरीज में उमेश की शानदार गेंदबाजी का अंदाज उनके विकेट की संख्या से नहीं लगाया जा सकता. टीम के कप्तान को जब भी विकेट की जरूरत हुई, उमेश ने उन्हें यह करके दिया. पूरी सीरीज में अपनी गेंदों की गति, स्विंग से वे विपक्षी बल्लेबाजों के लिए परेशानी बने रहे. रिवर्स स्विंग कराने में विदर्भ के इस गेंदबाज को महारत हासिल है. उमेश की फिटनेस कमाल की है. सीरीज के चार मैचों में उन्होंने 398 रन देकर 17 विकेट (औसत 23.41 )हासिल किए. भारत के स्पिन गेंदबाजों के मददगार विकेटों पर इस प्रदर्शन को कम करके नहीं आंका जाना चाहिए. किसी भी सीरीज में यह उमेश का अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है.
लोकेश राहुल: वॉर्नर की बात को सही साबित किया
ऑस्ट्रेलियाई टीम के ओपनर डेविड वॉर्नर से हाल ही में विराट कोहली को छोड़कर टीम इंडिया के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज के बारे में पूछा गया था तो उनका जवाब था-केएल (लोकेश) राहुल. राहुल ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सीरीज में अपने प्रदर्शन से वॉर्नर को सही साबित कर दिया. राहुल के खेल में अभी खटकने वाली बात है तो सिर्फ यही कि सेट होने के बाद वे जोखिम भरे शॉट लगाकर गैरजरूरी तरीके से विकेट गंवा देते हैं. राहुल के इस रवैये के कारण टीम इंडिया कुछ मौकों पर परेशानी में भी पड़ती दिखी. वैसे राहुल को शॉट्स लगाते हुए देखना बेहतरीन अनुभव होता है. वे गेंद को बेहतरीन तरीके से टाइम करते हैं. सीरीज के चार मैचों में उन्होंने 65.50 के औसत से 393 रन बनाए, जिसमें छह अर्धशतक शामिल रहे. खास बात यह कि राहुल के बल्ले से ये रन तब आए जब टीम को इसकी सबसे ज्यादा जरूरत थी. बेंगलुरू टेस्ट में तो वे मैन ऑफ द मैच रहे.
चेतेश्वर पुजारा : सीरीज में दोहरा शतक बनाने वाले एकमात्र खिलाड़ी
टीम इंडिया की 'दीवार' चेतेश्वर पुजारा सीरीज में दोहरा शतक लगाने वाले एकमात्र खिलाड़ी रहे. गेंदबाजों के वर्चस्व वाली सीरीज में उनकी यह पारी यादगार रही. पुणे के पहले टेस्ट की बल्ले से मिली नाकामी की अगले तीन टेस्ट में शानदार अंदाज में भरपाई की. पुजारा ने सीरीज के चार मैचों में 57.85 के प्रभावी औसत से 405 रन बनाए जिसमें 202 रन उनका सर्वोच्च स्कोर रहा. सीरीज में दो अर्धशतक भी पुजारा ने बनाए. बेंगलुरू टेस्ट की दूसरी पारी में विपरीत परिस्थितियों में की गई उनकी बल्लेबाजी ने टेस्ट का रुख टीम इंडिया के पक्ष में मोड़ने में अहम योगदान दिया.
रवींद्र जडेजा : बल्ले और गेंद दोनों से रहे उपयोगी
जडेजा ने सीरीज में बल्ले और गेंद, दोनों से शानदार प्रदर्शन किया. गेंदबाजी में तो वे टीम इंडिया के ट्रंप कार्ड माने जा रहे आर. अश्विन से भी ज्यादा सफल रहे. रवींद्र जडेजा ने सीरीज में दो अर्धशतक के सहारे 127 रन बनाए और18.56 के औसत से सर्वाधिक 25 विकेट भी हासिल किए. रवींद्र जडेजा को उनके इस प्रदर्शन का इनाम मैन ऑफ द मैच और मैन ऑफ द सीरीज के रूप में मिला.
आर. अश्विन : दूसरी पारी में बने 'अबूझ पहेली'
हालांकि आर. अश्विन पूरी सीरीज में गेंदबाजी में वैसा प्रदर्शन नहीं कर पाए जैसी की उम्मीद की जा रही थी, लेकिन कंगारू बल्लेबाजों के लिए वे मुश्किल का सबब बने रहे. सीरीज में उन्होंने 21 विकेट (औसत 27.38 ) हासिल किए. उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 41 रन देकर छह विकेट रहा. तमिलनाडु के इस ऑफ स्पिनर ने इस सीरीज में कई व्यक्तिगत रिकॉर्ड भी अपने नाम किए.
ऋद्धिमान साहा: विकेट के पीछे चौकस, रन भी बनाए
विकेटकीपर ऋद्धिमान साहा के प्रदर्शन में दिन-प्रतिदिन सुधार आ रहा है. महेंद्र सिंह धोनी के टेस्ट क्रिकेट से संन्यास के बाद विकेटकीपर बल्लेबाज की जिम्मेदारी को बंगाल के इस खिलाड़ी ने भरने की अपनी ओर से हरसंभव कोशिश की है. विकेट के पीछे साहा बेहद मुस्तैद हैं. सीरीज में उन्होंने दो बेहद मुश्किल कैच लपककर लोगों के दिल जीते. बल्लेबाजी में भी साहा ने टीम के लिए उपयोगी योगदान दिया. सीरीज के चार मैचों में उन्होंने 34.80 के औसत से 174रन बनाए, जिसमें रांची टेस्ट में बनाया गया शानदार शतक शामिल रहा.
उमेश यादव : अब केवल तेज नहीं, सटीक भी हैं
तेज गेंदबाज उमेश यादव को कुछ समय पहले तक ऐसा गेंदबाज माना जा सकता था जो गति और स्विंग के बावजूद अपनी प्रतिभा से न्याय नहीं कर पाया, लेकिन न्यूजीलैंड, इंग्लैंड, बांग्लादेश और अब ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वे टीम इंडिया के लिए नंबर वन तेज गेंदबाज साबित साबित हुए. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सीरीज में उमेश की शानदार गेंदबाजी का अंदाज उनके विकेट की संख्या से नहीं लगाया जा सकता. टीम के कप्तान को जब भी विकेट की जरूरत हुई, उमेश ने उन्हें यह करके दिया. पूरी सीरीज में अपनी गेंदों की गति, स्विंग से वे विपक्षी बल्लेबाजों के लिए परेशानी बने रहे. रिवर्स स्विंग कराने में विदर्भ के इस गेंदबाज को महारत हासिल है. उमेश की फिटनेस कमाल की है. सीरीज के चार मैचों में उन्होंने 398 रन देकर 17 विकेट (औसत 23.41 )हासिल किए. भारत के स्पिन गेंदबाजों के मददगार विकेटों पर इस प्रदर्शन को कम करके नहीं आंका जाना चाहिए. किसी भी सीरीज में यह उमेश का अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है.
लोकेश राहुल: वॉर्नर की बात को सही साबित किया
ऑस्ट्रेलियाई टीम के ओपनर डेविड वॉर्नर से हाल ही में विराट कोहली को छोड़कर टीम इंडिया के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज के बारे में पूछा गया था तो उनका जवाब था-केएल (लोकेश) राहुल. राहुल ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सीरीज में अपने प्रदर्शन से वॉर्नर को सही साबित कर दिया. राहुल के खेल में अभी खटकने वाली बात है तो सिर्फ यही कि सेट होने के बाद वे जोखिम भरे शॉट लगाकर गैरजरूरी तरीके से विकेट गंवा देते हैं. राहुल के इस रवैये के कारण टीम इंडिया कुछ मौकों पर परेशानी में भी पड़ती दिखी. वैसे राहुल को शॉट्स लगाते हुए देखना बेहतरीन अनुभव होता है. वे गेंद को बेहतरीन तरीके से टाइम करते हैं. सीरीज के चार मैचों में उन्होंने 65.50 के औसत से 393 रन बनाए, जिसमें छह अर्धशतक शामिल रहे. खास बात यह कि राहुल के बल्ले से ये रन तब आए जब टीम को इसकी सबसे ज्यादा जरूरत थी. बेंगलुरू टेस्ट में तो वे मैन ऑफ द मैच रहे.
चेतेश्वर पुजारा : सीरीज में दोहरा शतक बनाने वाले एकमात्र खिलाड़ी
टीम इंडिया की 'दीवार' चेतेश्वर पुजारा सीरीज में दोहरा शतक लगाने वाले एकमात्र खिलाड़ी रहे. गेंदबाजों के वर्चस्व वाली सीरीज में उनकी यह पारी यादगार रही. पुणे के पहले टेस्ट की बल्ले से मिली नाकामी की अगले तीन टेस्ट में शानदार अंदाज में भरपाई की. पुजारा ने सीरीज के चार मैचों में 57.85 के प्रभावी औसत से 405 रन बनाए जिसमें 202 रन उनका सर्वोच्च स्कोर रहा. सीरीज में दो अर्धशतक भी पुजारा ने बनाए. बेंगलुरू टेस्ट की दूसरी पारी में विपरीत परिस्थितियों में की गई उनकी बल्लेबाजी ने टेस्ट का रुख टीम इंडिया के पक्ष में मोड़ने में अहम योगदान दिया.
रवींद्र जडेजा : बल्ले और गेंद दोनों से रहे उपयोगी
जडेजा ने सीरीज में बल्ले और गेंद, दोनों से शानदार प्रदर्शन किया. गेंदबाजी में तो वे टीम इंडिया के ट्रंप कार्ड माने जा रहे आर. अश्विन से भी ज्यादा सफल रहे. रवींद्र जडेजा ने सीरीज में दो अर्धशतक के सहारे 127 रन बनाए और18.56 के औसत से सर्वाधिक 25 विकेट भी हासिल किए. रवींद्र जडेजा को उनके इस प्रदर्शन का इनाम मैन ऑफ द मैच और मैन ऑफ द सीरीज के रूप में मिला.
आर. अश्विन : दूसरी पारी में बने 'अबूझ पहेली'
हालांकि आर. अश्विन पूरी सीरीज में गेंदबाजी में वैसा प्रदर्शन नहीं कर पाए जैसी की उम्मीद की जा रही थी, लेकिन कंगारू बल्लेबाजों के लिए वे मुश्किल का सबब बने रहे. सीरीज में उन्होंने 21 विकेट (औसत 27.38 ) हासिल किए. उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 41 रन देकर छह विकेट रहा. तमिलनाडु के इस ऑफ स्पिनर ने इस सीरीज में कई व्यक्तिगत रिकॉर्ड भी अपने नाम किए.
ऋद्धिमान साहा: विकेट के पीछे चौकस, रन भी बनाए
विकेटकीपर ऋद्धिमान साहा के प्रदर्शन में दिन-प्रतिदिन सुधार आ रहा है. महेंद्र सिंह धोनी के टेस्ट क्रिकेट से संन्यास के बाद विकेटकीपर बल्लेबाज की जिम्मेदारी को बंगाल के इस खिलाड़ी ने भरने की अपनी ओर से हरसंभव कोशिश की है. विकेट के पीछे साहा बेहद मुस्तैद हैं. सीरीज में उन्होंने दो बेहद मुश्किल कैच लपककर लोगों के दिल जीते. बल्लेबाजी में भी साहा ने टीम के लिए उपयोगी योगदान दिया. सीरीज के चार मैचों में उन्होंने 34.80 के औसत से 174रन बनाए, जिसमें रांची टेस्ट में बनाया गया शानदार शतक शामिल रहा.
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