टीम इंडिया के सदस्य
नई दिल्ली:
भारतीय क्रिकेट फ़ैन्स के लिए साल 2016 की तरह ही 2017 में भी अपनी टीम से ज़रूर दिल लगाएंगे. बीते साल टीम के लिए अच्छी बात ये रही कि टीम किसी एक खिलाड़ी के प्रदर्शन पर निर्भर नहीं दिखी. फिर भी 2017 में टीम की कामयाबी ख़ासकर जिन चुनिंदा स्टार्स से उम्मीद रखेगी उनमें टीम के दोनों कप्तान एमएस धोनी और विराट कोहली के साथ नए युवा स्टार करुण नायर से लेकर जयंत यादव तक शामिल हैं.
माही की चुनौती
साल 2017 की शुरुआत टीम इंडिया और उसके फ़ैन्स के लिए इंग्लैंड के ख़िलाफ़ वनडे की चुनौतियों से होगी. भारत को जनवरी फ़रवरी में इंग्लैंड के ख़िलाफ़ 3 वनडे और 3 टी-20 के मुक़ाबले खेलने हैं. कप्तान एमएस धोनी के लिए इन मुक़ाबलों की अहमियत इसलिए भी ज़्यादा होगी क्योंकि टीम इंडिया को जून में चैंपियंस ट्रॉफ़ी में हिस्सा लेना है.
चैंपियंस ट्रॉफ़ी में भारत, पाकिस्तान, दक्षिण अफ़्रीका और श्रीलंका के साथ ग्रुप ऑफ़ डेथ में शामिल है. लेकिन कप्तान धोनी के पास टीम को आज़माने के लिए अभ्यास के मौक़े बेहद कम हैं. धोनी हमेशा की तरह कामयाबी हासिल कर सकते हैं. लेकिन अगर ऐसा नहीं हो पाता है तो धोनी आलोचकों की ख़ास पसंद बन सकते हैं. 2016 में एमएसडी को सिर्फ़ 13 वनडे मैच खेलने का मौक़ा मिला जिसमें उन्होंने 27.80 के औसत के साथ 278 रन (सर्वाधिक 80) रन बनाए. धोनी के लिए कल शुरू होने वाला साल ज़्यादा अहम साबित हो सकता है.
विराट की धूम
क्रिकेट की दुनिया में बीते साल विराट कोहली की धूम मची रही. विराट ने तीनों ही फॉर्मेट में अपना दबदबा बनाए रखा. टेस्ट में 75.93 (12 मैच में 1215 रन), वनडे में 92.37 (10 वनडे में 739 रन) और टी-20 में 106.83 (15 मैच में 641 रन) के औसत से खेलते हुए विराट को छू पाना किसी भी क्रिकेटर के बस में नहीं था.
टेस्ट मैचों में ऑस्ट्रेलियाई कप्तान स्टीवन स्मिथ (2016 में औसत 60.93), इंग्लैंड के जो रूट (2016 में औसत 49.23) और न्यूज़ीलैंड के केन विलियम्सन (2016 में औसत 47.06) ज़रूर होड़ में रहे. जबकि, वनडे में एबी डिविलियर्स और डेविड वॉर्नर जैसे धुरंधरों से और टी-20 में ग्लेन मैक्सवेल और एरॉन फ़िंच से धमाकेदार बल्लेबाज़ों से प्रतिद्वन्द्विता बनी रही. टेस्ट और वनडे में आईसीसी रैंकिंग पर दूसरे नंबर पर रहने वाले विराट टी-20 में पहले नंबर पर रहे. एक ही साल में तीन डबल सेंचुरी ठोककर विराट के बल्ले ने इशारा किया कि उनमें इतिहास लिखने का बेमिसाल माद्दा है.
कप्तान के तौर पर भी विराट कामयाबी के रथ पर सवार रहे. लगातार 18 मैचों में बिना हार के टीम को उस स्तर पर पहुंचा दिया जिसे फ़ैन्स लंबे समय तक याद रखेंगे.
बतौर कप्तान लगातार पांच सीरीज़ जीतकर विराट ने टीम और फ़ैन्स का मनोबल तो ऊंचा किया ही टीम और खुद से उम्मीदें भी बढ़ा दीं. विराट 2017 में अपने इस फ़ॉर्म को कैसे बरक़रार रखते हैं, दुनिया भर के क्रिकेट एक्सपर्ट्स और फ़ैन्स के लिए ये सवाल हमेशा बड़ा बना रहेगा.
स्टार मिडिल ऑर्डर
टीम इंडिया के उपकप्तान अजिंक्य रहाणे साल के आख़िर में चोट की वजह से मैदान से बाहर रहे. 32 टेस्ट में 8 शतकीय पारियां खेलने वाले रहाणे के सामने अगले साल ऑस्ट्रेलिया, बांग्लादेश, जैसी टीम के ख़िलाफ़ टेस्ट में और चैंपियंस ट्रॉफ़ी के अलावा कई वनडे मैचों में जौहर दिखाने के शानदार मौक़े होंगे.
रहाणे ने पिछले साल 10 टेस्ट मैचों में क़रीब 55 के औसत से 653 रन जोड़े और 2 शतक लगाए. वहीं मिडिल ऑर्डर के ठोस बल्लेबाज़ में चेतेश्वर पुजारा ने 11 मैचों में क़रीब 56 के औसत से 836 रन बनाए 3 शतकों के सहारे. पुजारा ख़ासकर ऑस्ट्रेलिया जैसी टीम के ख़िलाफ़ चमकने की तैयारी में ज़रूर होंगे.
ऑलराउंडर की तिकड़ी
आर अश्विन, रवीन्द्र जडेजा और युवा ऑलराउंडर जयंत यादव ने बीते साल टीम इंडिया की कामयाबी में बेहद अहम रोल अदा किए. अश्विन एक बार फिर कई रिकॉर्ड तोड़ते नज़र आ सकते हैं तो रवीन्द्र जडेजा और युवा जयंत यादव टीम की बेंच की ताक़त और बढ़ा सकते हैं.
कप्तान विराट कोहली टीम के इन ऑलराउंडर्स की अहमियत कई बार बता चुके हैं. इनकी वजह से टीम इंडिया अब पांच गेंदबाज़ों के साथ मैदान पर उतरने के प्रयोग कामयाबी के साथ करती दिख रही है. टीम की जीत के फ़ॉर्मूले में ये तिकड़ी पहिये की धुरी साबित हो रही है.
ट्रिपल सेंचुरी का बॉन्ड
चेन्नई टेस्ट में इंग्लैंड के ख़िलाफ़ नाबाद तिहरा शतक लगकर युवा स्टार करुण नायर ने फ़ैन्स के साथ पहला तिहरा शतक लगाने वाले वीरेन्द्र सहवाग का भी दिल जीत लिया.
नए साल में सहवाग के साथ टीम इंडिया के फ़ैन्स उनसे ऐसी ही पारियों की उम्मीद ज़रूर करेंगे.
ओपनर्स के विकल्प
इस साल कई भारतीय ओपनर्स चोटिल हुए और टीम मैनेजमेंट को कई खिलाड़ियों को विकल्प के तौर पर आज़माना पड़ा. मुरली विजय (10 टेस्ट, 550 रन, 136 सर्वाधिक, औसत 36.66 और शतक 2), केएल राहुल, शिखर धवन और पार्थिव पटेल और गौतम गंभीर जैसे ओपनर्स ने अपनी पारियों से टीम की कमज़ोरी को कई बार टीम की ताक़त साबित किया. ये भी साबित हो गया कि टीम के हर दूसरे पोज़िशन की तरह ओपनिंग के लिए भी अच्छी होड़ है. यानी इन खिलाड़ियों को 2017 में भी लगातार बेहतरीन प्रदर्शन करने की ज़रूरत होगी जो टीम इंडिया के लिए बेहतर नतीजे देने की गारंटी साबित हो सकते हैं.
माही की चुनौती
साल 2017 की शुरुआत टीम इंडिया और उसके फ़ैन्स के लिए इंग्लैंड के ख़िलाफ़ वनडे की चुनौतियों से होगी. भारत को जनवरी फ़रवरी में इंग्लैंड के ख़िलाफ़ 3 वनडे और 3 टी-20 के मुक़ाबले खेलने हैं. कप्तान एमएस धोनी के लिए इन मुक़ाबलों की अहमियत इसलिए भी ज़्यादा होगी क्योंकि टीम इंडिया को जून में चैंपियंस ट्रॉफ़ी में हिस्सा लेना है.
चैंपियंस ट्रॉफ़ी में भारत, पाकिस्तान, दक्षिण अफ़्रीका और श्रीलंका के साथ ग्रुप ऑफ़ डेथ में शामिल है. लेकिन कप्तान धोनी के पास टीम को आज़माने के लिए अभ्यास के मौक़े बेहद कम हैं. धोनी हमेशा की तरह कामयाबी हासिल कर सकते हैं. लेकिन अगर ऐसा नहीं हो पाता है तो धोनी आलोचकों की ख़ास पसंद बन सकते हैं. 2016 में एमएसडी को सिर्फ़ 13 वनडे मैच खेलने का मौक़ा मिला जिसमें उन्होंने 27.80 के औसत के साथ 278 रन (सर्वाधिक 80) रन बनाए. धोनी के लिए कल शुरू होने वाला साल ज़्यादा अहम साबित हो सकता है.
विराट की धूम
क्रिकेट की दुनिया में बीते साल विराट कोहली की धूम मची रही. विराट ने तीनों ही फॉर्मेट में अपना दबदबा बनाए रखा. टेस्ट में 75.93 (12 मैच में 1215 रन), वनडे में 92.37 (10 वनडे में 739 रन) और टी-20 में 106.83 (15 मैच में 641 रन) के औसत से खेलते हुए विराट को छू पाना किसी भी क्रिकेटर के बस में नहीं था.
टेस्ट मैचों में ऑस्ट्रेलियाई कप्तान स्टीवन स्मिथ (2016 में औसत 60.93), इंग्लैंड के जो रूट (2016 में औसत 49.23) और न्यूज़ीलैंड के केन विलियम्सन (2016 में औसत 47.06) ज़रूर होड़ में रहे. जबकि, वनडे में एबी डिविलियर्स और डेविड वॉर्नर जैसे धुरंधरों से और टी-20 में ग्लेन मैक्सवेल और एरॉन फ़िंच से धमाकेदार बल्लेबाज़ों से प्रतिद्वन्द्विता बनी रही. टेस्ट और वनडे में आईसीसी रैंकिंग पर दूसरे नंबर पर रहने वाले विराट टी-20 में पहले नंबर पर रहे. एक ही साल में तीन डबल सेंचुरी ठोककर विराट के बल्ले ने इशारा किया कि उनमें इतिहास लिखने का बेमिसाल माद्दा है.
कप्तान के तौर पर भी विराट कामयाबी के रथ पर सवार रहे. लगातार 18 मैचों में बिना हार के टीम को उस स्तर पर पहुंचा दिया जिसे फ़ैन्स लंबे समय तक याद रखेंगे.
बतौर कप्तान लगातार पांच सीरीज़ जीतकर विराट ने टीम और फ़ैन्स का मनोबल तो ऊंचा किया ही टीम और खुद से उम्मीदें भी बढ़ा दीं. विराट 2017 में अपने इस फ़ॉर्म को कैसे बरक़रार रखते हैं, दुनिया भर के क्रिकेट एक्सपर्ट्स और फ़ैन्स के लिए ये सवाल हमेशा बड़ा बना रहेगा.
स्टार मिडिल ऑर्डर
टीम इंडिया के उपकप्तान अजिंक्य रहाणे साल के आख़िर में चोट की वजह से मैदान से बाहर रहे. 32 टेस्ट में 8 शतकीय पारियां खेलने वाले रहाणे के सामने अगले साल ऑस्ट्रेलिया, बांग्लादेश, जैसी टीम के ख़िलाफ़ टेस्ट में और चैंपियंस ट्रॉफ़ी के अलावा कई वनडे मैचों में जौहर दिखाने के शानदार मौक़े होंगे.
रहाणे ने पिछले साल 10 टेस्ट मैचों में क़रीब 55 के औसत से 653 रन जोड़े और 2 शतक लगाए. वहीं मिडिल ऑर्डर के ठोस बल्लेबाज़ में चेतेश्वर पुजारा ने 11 मैचों में क़रीब 56 के औसत से 836 रन बनाए 3 शतकों के सहारे. पुजारा ख़ासकर ऑस्ट्रेलिया जैसी टीम के ख़िलाफ़ चमकने की तैयारी में ज़रूर होंगे.
ऑलराउंडर की तिकड़ी
आर अश्विन, रवीन्द्र जडेजा और युवा ऑलराउंडर जयंत यादव ने बीते साल टीम इंडिया की कामयाबी में बेहद अहम रोल अदा किए. अश्विन एक बार फिर कई रिकॉर्ड तोड़ते नज़र आ सकते हैं तो रवीन्द्र जडेजा और युवा जयंत यादव टीम की बेंच की ताक़त और बढ़ा सकते हैं.
कप्तान विराट कोहली टीम के इन ऑलराउंडर्स की अहमियत कई बार बता चुके हैं. इनकी वजह से टीम इंडिया अब पांच गेंदबाज़ों के साथ मैदान पर उतरने के प्रयोग कामयाबी के साथ करती दिख रही है. टीम की जीत के फ़ॉर्मूले में ये तिकड़ी पहिये की धुरी साबित हो रही है.
ट्रिपल सेंचुरी का बॉन्ड
चेन्नई टेस्ट में इंग्लैंड के ख़िलाफ़ नाबाद तिहरा शतक लगकर युवा स्टार करुण नायर ने फ़ैन्स के साथ पहला तिहरा शतक लगाने वाले वीरेन्द्र सहवाग का भी दिल जीत लिया.
नए साल में सहवाग के साथ टीम इंडिया के फ़ैन्स उनसे ऐसी ही पारियों की उम्मीद ज़रूर करेंगे.
ओपनर्स के विकल्प
इस साल कई भारतीय ओपनर्स चोटिल हुए और टीम मैनेजमेंट को कई खिलाड़ियों को विकल्प के तौर पर आज़माना पड़ा. मुरली विजय (10 टेस्ट, 550 रन, 136 सर्वाधिक, औसत 36.66 और शतक 2), केएल राहुल, शिखर धवन और पार्थिव पटेल और गौतम गंभीर जैसे ओपनर्स ने अपनी पारियों से टीम की कमज़ोरी को कई बार टीम की ताक़त साबित किया. ये भी साबित हो गया कि टीम के हर दूसरे पोज़िशन की तरह ओपनिंग के लिए भी अच्छी होड़ है. यानी इन खिलाड़ियों को 2017 में भी लगातार बेहतरीन प्रदर्शन करने की ज़रूरत होगी जो टीम इंडिया के लिए बेहतर नतीजे देने की गारंटी साबित हो सकते हैं.
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