चेतेश्वर पुजारा ने दूसरी पारी में नाबाद 101 रन बनाए (फाइल फोटो)
टीम इंडिया के प्रमुख बल्लेबाज चेतेश्वर पुजारा के लिए न्यूजीलैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज का शानदार प्रदर्शन बड़ी राहत लेकर आया है. सीरीज के तीन मैचों में उन्होंने 74.60 के औसत से सर्वाधिक 373 रन बनाए जिसमें इंदौर टेस्ट की दूसरी पारी का 101* रन उनका सर्वाधिक स्कोर रहा. शतकीय पारी के लिए उन्होंने 148 गेंदों का सामना किया और नौ चौके जड़े. सीरीज में उन्होंने तीन अर्धशतक भी बनाए.
28 वर्षीय पुजारा ने 14 पारियों के बाद यह शतक जमाया है. पिछला शतक (145* रन) उन्होंने श्रीलंका के खिलाफ कोलंबो में 28 अगस्त 2015 को बनाया था. इसके बाद पुजारा हालांकि कुछ अर्धशतक जमाने में कामयाब रहे लेकिन बड़ी पारी खेलने की उनकी पहचान 'गुम' होती जा रही थी.यही कारण रहा कि कुछ मैचों में उन्हें प्लेइंग इलेवन से बाहर भी होना पड़ा. टीम इंडिया के बांग्लादेश दौरे में हुए टेस्ट में पुजारा को एकादश में स्थान नहीं मिला.
श्रीलंका दौरे पर दो टेस्ट मैचों में भी उन्हें बाहर बैठना पड़ा. यही नहीं, वेस्टइंडीज के खिलाफ चार मैचों की सीरीज के एक टेस्ट में भी पुजारा को टीम में जगह नहीं मिल सकी. इस समय ऐसा लगा कि पुजारा, कप्तान और टीम प्रबंधन का विश्वास खोते जा रहे हैं और रोहित शर्मा को उन पर तवज्जो दी जा रही है.
वेस्टइंडीज के खिलाफ वहां के मैदानों पर हुई टेस्ट सीरीज एक तरह से पुजारा के लिए 'वार्निंग अलार्म' थी. इस सीरीज के चार में से तीन टेस्ट में पुजारा को खेलने का मौका मिला. इन मैचों में भी वे खास नहीं कर सके और दो पारियों में 31 के औसत 62 रन ही बना पाए. इस दौरान 46 उनका सर्वाधिक स्कोर रहा. बहरहाल, रनों के इस 'सूखे' को पुजारा ने चुनौती के तौर पर लिया. पिंक बॉल से दूधिया रोशनी में खेले जाने वाले खेले दलीप ट्रॉफी के मैचों में वे उतरे और अपना फॉर्म वापस पाया.
इस अहम प्रतियोगिता में उन्होंने इंडिया रेड के खिलाफ दोहरा शतक जमाते हुए बड़ी उपलब्धि हासिल की. पिंक बॉल के क्रिकेट में दोहरा शतक लगाने वाले दुनिया के पहले बल्लेबाज हैं. इस दोहरे शतक ने पुजारा की बल्लेबाजी के विश्वास को वापस ला दिया. न्यूजीलैंड के खिलाफ सीरीज में ऐसा लगा मानो पुजारा, दलीप ट्रॉफी के अपने फॉर्म को ही आगे बढ़ा रहे हैं. कीवी टीम के खिलाफ शानदार प्रदर्शन से उन्होंने जता दिया है कि प्लेइंग इलेवन में वे अपना स्थान आसानी से गंवाने को तैयार नहीं हैं...
28 वर्षीय पुजारा ने 14 पारियों के बाद यह शतक जमाया है. पिछला शतक (145* रन) उन्होंने श्रीलंका के खिलाफ कोलंबो में 28 अगस्त 2015 को बनाया था. इसके बाद पुजारा हालांकि कुछ अर्धशतक जमाने में कामयाब रहे लेकिन बड़ी पारी खेलने की उनकी पहचान 'गुम' होती जा रही थी.यही कारण रहा कि कुछ मैचों में उन्हें प्लेइंग इलेवन से बाहर भी होना पड़ा. टीम इंडिया के बांग्लादेश दौरे में हुए टेस्ट में पुजारा को एकादश में स्थान नहीं मिला.
श्रीलंका दौरे पर दो टेस्ट मैचों में भी उन्हें बाहर बैठना पड़ा. यही नहीं, वेस्टइंडीज के खिलाफ चार मैचों की सीरीज के एक टेस्ट में भी पुजारा को टीम में जगह नहीं मिल सकी. इस समय ऐसा लगा कि पुजारा, कप्तान और टीम प्रबंधन का विश्वास खोते जा रहे हैं और रोहित शर्मा को उन पर तवज्जो दी जा रही है.
वेस्टइंडीज के खिलाफ वहां के मैदानों पर हुई टेस्ट सीरीज एक तरह से पुजारा के लिए 'वार्निंग अलार्म' थी. इस सीरीज के चार में से तीन टेस्ट में पुजारा को खेलने का मौका मिला. इन मैचों में भी वे खास नहीं कर सके और दो पारियों में 31 के औसत 62 रन ही बना पाए. इस दौरान 46 उनका सर्वाधिक स्कोर रहा. बहरहाल, रनों के इस 'सूखे' को पुजारा ने चुनौती के तौर पर लिया. पिंक बॉल से दूधिया रोशनी में खेले जाने वाले खेले दलीप ट्रॉफी के मैचों में वे उतरे और अपना फॉर्म वापस पाया.
इस अहम प्रतियोगिता में उन्होंने इंडिया रेड के खिलाफ दोहरा शतक जमाते हुए बड़ी उपलब्धि हासिल की. पिंक बॉल के क्रिकेट में दोहरा शतक लगाने वाले दुनिया के पहले बल्लेबाज हैं. इस दोहरे शतक ने पुजारा की बल्लेबाजी के विश्वास को वापस ला दिया. न्यूजीलैंड के खिलाफ सीरीज में ऐसा लगा मानो पुजारा, दलीप ट्रॉफी के अपने फॉर्म को ही आगे बढ़ा रहे हैं. कीवी टीम के खिलाफ शानदार प्रदर्शन से उन्होंने जता दिया है कि प्लेइंग इलेवन में वे अपना स्थान आसानी से गंवाने को तैयार नहीं हैं...
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