वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल में सिडनी की पिच पर भारत-ऑस्ट्रेलिया की नज़र

फाइल फोटो

नई दिल्ली:

वर्ल्ड कप के दूसरे सेमीफ़ाइनल में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच टक्कर 26 मार्च को होना है। मैच ऑस्ट्रेलिया के होम-ग्राउंड सिडनी पर होगा, जहां की पिच के मिजाज़ को लेकर अटकलों का बाज़ार अभी से गरम होने लगा है।

पाकिस्तान से मारी बाज़ी

ऑस्ट्रेलिया ने क्वार्टर फ़ाइनल में पाकिस्तान पर जीत अपने तेज़ गेंदबाज़ों की बदौलत हासिल किया। मैच एडिलेड में खेला गया, जहां पाकिस्तान के तेज़ गेंदबाज़ वहाब रियाज़ ने अपने प्रदर्शन की बदौलत ऑस्ट्रेलियाई कप्तान माइकल क्लार्क को अपनी तारीफ़ करने पर मज़बूर कर दिया। कलार्क ने रियाज़ की गेंदबाज़ी की तुलना मिचेल जॉनसन की गेंदबाज़ी से करते हुए कहा कि रियाज़ ने ठीक वैसा ही काम किया जैसा जॉनसन ने ऐशेज़ सीरीज़ में इंग्लैंड के ख़िलाफ़ किया था।

एडिलेड से सिडनी

ऑस्ट्रेलियाई टीम सिडनी पहुंच चुकी है और उसे एडिलेड की तेज़ पिच को भूलाकर स्पिनरों के लिए माकूल मानी जाने वाली सिडनी ग्राउंड के बारे में सोचना है। इसी ग्राउंड पर वर्ल्ड कप का पहला क्वार्टर फ़ाइनल दक्षिण अफ़्रीका और श्रीलंका के बीच खेला गया। इस मैच में मैन ऑफ़ द मैच रहे अफ़्रीकी टीम के इमरान ताहिर ने चार विकेट लिए तो जेपी ड्यूमिनी ने तीन विकेट झटके।

सिडनी में ही लीग स्टेज़ के मैच में वेस्ट इंडीज़ के ख़िलाफ़ इमरान ताहिर ने पांच विकेट लेकर जीत में अहम रोल निभाया था। वैसे कंगारू टीम इस बात से राहत ले सकती है कि उन्होंने सिडनी में ही श्रीलंका को अपने पेस अटैक से हराया था। इस मैच में मिचेल स्टार्क और मिचेल जॉनसन ने दो-दो को मीडियम पेसर जेम्स फ़ॉकनर ने तीन विकेट लिए थे।

सिडनी की पिच का पेंच

सिडनी क्रिकेट ग्राउंड पर कुल 10 पिच है। पिच नंबर सात को फिलहाल रिटायर्ड कर दिया गया है। यहां हम आपको बता दें कि पिच नंबर सात पर ही फ़िल ह्यूज को बल्लेबाज़ी करते हुए चोट लगी और बाद में उनकी मौत हुई। उस वक़्त पिच क्यूरेटर टॉम पारकर ने पिच नंबर सात के इस्तेमाल को कुछ समय के लिए बंद करने का एलान किया था। हालांकि उन्होंने इस बात के इनकार नहीं किया कि वर्ल्ड कप में पिच को इस्तेमाल किया जा सकता है।

पिच नंबर दो से तेज़ गेंदबाज़ों को काफ़ी मदद मिलती है। शेफ़ील्ड शिल्ड के मैच में यहां मिचेल स्टार्क और शॉन एबट ने कई बार शानदार गेंदबाज़ी की है। वैसे यहां की बाक़ी पिच ज्यादा मौक़ों पर स्पनरों को मदद करती रही है।

भारत-ऑस्ट्रेलिया टेस्ट सीरीज़ में सिडनी टेस्ट के दौरान कमेंट्री करते हुए ऑस्ट्रेलिया के पूर्व स्पिनर शेन वॉर्न ने पिच को सपाट करार दिया था। अगर वर्ल्ड कप में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच मैच टर्निंग ट्रैक पर खेला गया तो टीम इंडिया के लिए फ़ाइनल की राह आसान हो सकती है।

किसमें कितना है दम

भारतीय टीम में आर अश्विन और रविंद्र जडेजा जैसे स्पेशलिस्ट स्पिनर मौजूद है। वर्ल्ड कप में अब तक खेले सात मैचों में आर अश्विन ने 12 और रविंद्र जडेजा ने नौ विकेट लिए हैं। टीम में सुरेश रैना और रोहित शर्मा भी है, जो ज़रूरत पड़ने पर स्पिन गेंदबाज़ी कर सकते हैं। हालांकि कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने रैना को कम ही इस्तेमाल किया है।

वहीं वर्ल्ड कप 2011 के प्लेयर ऑफ़ द टूर्नामेंट रहे युवराज सिंह ने भरोसा जताया कि टीम इंडिया सिडनी में ऑस्ट्रेलियाई चुनौती को पार सकती है। युवराज ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया ने टूर्नामेंट में अब तक अच्छा प्रदर्शन किया है, लेकिन सिडनी में भारतीय स्पिनरों को मदद मिल सकती है।

अगर ऑस्ट्रेलियाई टीम पर नज़र डालें तो टीम के पास तेंज़ गेंदबाज़ है लेकिन स्पिन के नाम पर जेवियर डोहर्टी के अलावा कोई स्पेशलिस्ट स्पिनर नहीं है। डोहर्टी को वर्ल्ड कप में अब तक सिर्फ़ एक मैच खेलने का मौक़ा मिला है जिसमें उन्हें कोई विकेट नहीं मिला। ऐसे में सिडनी की सूखी पिच कंगारू टीम के लिए मुसिबत बन सकती है।

पाकिस्तान से जीत के बाद क्लार्क ने कहा कि टीम में स्पेशलिस्ट स्पिनर ना होना उनके लिए कोई परेशानी की बात नहीं है। क्लार्क ने कहा कि लीग स्टेज़ में श्रीलंका के ख़िलाफ़ खेले मैच में पिच पर थोड़ी घास थी, जिससे तेज़ गेंदबाज़ों को फ़ायदा हुआ, लेकिन भारत के ख़िलाफ़ अगर अलग पिच मिली तो भी कोई परेशानी नहीं है।

क्लार्क के मुताबिक उनकी टीम में ग्लेन मैक्सवेल और स्टीवन स्मिथ के अलावा वो भी स्पिन गेंदबाज़ी कर सकते हैं, इसलिए वह पिच के बारे में ज़्यादा नहीं सोच रहे।

सिडनी का रिकॉर्ड

अगर सिडनी के मैदान पर भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच हुए मैच के रिकॉर्ड पर नज़र डाले तो यहां कंगारू टीम का पलड़ा भारी है। दोनों टीमों के बीच यहां 14 मैच खेले गए हैं, जिसमें टीम इंडिया को सिर्फ़ एक बार जीत मिली है, जबकि ऑस्ट्रेलिया ने 12 बार भारत को पटखनी दी है। दोनों के बीच यहां खेला गया एक मैच बेनतीजा रहा है।

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ऑस्ट्रेलिया अपने घरेलू मैदान पर खेलेगी, लेकिन टीम इंडिया के फ़ैन्स अब तक अपनी टीम को सपोर्ट करने काफ़ी संख्या में आते रहे हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि दर्शकों से महेंद्र सिंह धोनी के हेलीकॉप्टर शॉट्स को ज़्यादा वाहवाही मिलती है या फिर ग्लेन मैक्सवेल के छक्के पर ज़्यादा ताली बजती हैं।