
टीम इंडिया ने विंडीज को पहले टेस्ट में पारी और 272 रनों से धो दिया. यह भारत की पारी और रनों के लिहाज से पिछले करीब आठ दशक की सबसे बड़ी जीत रही. और दूसरे टेस्ट (मैच प्रिव्यू) में भी परिणाम क्या होगा, यह कोई भी आम क्रिकेटप्रेमी भी बिना माथापच्ची के बता देगा. मतलब भारत विंडीज का सफाया करने की कगार पर खड़ा है, लेकिन भारतीय कप्तान विराट कोहली बिल्कुल भी खुश नहीं हैं. और कोहली बीसीसीआई से बड़ा बदलाव चाहते हैं. अब बोर्ड अपने कप्तान की कितनी सुनेगा, यह देखने वाली बात होगी.
The youngsters coming up in the squad are supremely talented and have the experience of playing in front of big crowds, thanks to the @IPL - @imVkohli #INDvWI pic.twitter.com/DsfwgOiA4u
— BCCI (@BCCI) October 11, 2018
वैसे बोर्ड ने तो अभी तक विराट कोहली की ज्यादातर मांगें मानी हैं. खिलाड़ियों का वेतन बढ़ाए जाने की मांग को पिछले साल ही मान लिया था बीसीसीआई ने. हां यह बात जरूर है कि हाल ही में बोर्ड ने कोहली की एक बड़ी मांग को जरूर ठुकराया है. कोहली ने ऑस्ट्रेलिया दौरे पर पत्नियों को पूरे टूर के दौरान साथ बने रहने की अनुमति मांगी थी, जिस पर सीओए (क्रिकेट प्रशासकीय कमेटी) ने पल्ला झाड़ लिया था. और जो अब नई मांग कोहली ने की है, उसका मानना भी बोर्ड के लिए मुश्किल साबित हो सकता है.
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दरअसल विराट कोहली की दोनों मांगे बीसीसीआई की नीति से जुड़ा मसला है. पत्नियों को पूरे टूर की अनुमति पर सीओए के चेयरमैन विनोद राद ने इसे नीतिगत फैसला बताते हुए गेंद को बोर्ड के नए पदाधिकारियों के पाले में डाल दिया है. मतलब जब बीसीसीआई के चुनाव के बाद नए पदाधिकारी कमान संभालेंगे, तो तभी इस पर फैसला होगा कि पत्नियों को विदेशी दौरे में पूरे टूर के दौरान बनने रहने की इजाजत दी जाए या नहीं. चलिए, कोहली की हालिया मांग पर लौटते हैं. दरअसलम मसला यह है कि कोहली भारत में होने वाले मैचों में इस्तेमाल की जाने वाली गेंदों को लेकर बिल्कुल भी खुश नहीं हैं. कुछ दिन पहले ही रविचंद्रन अश्विन ने भी गेंदों की गुणवत्ता को लेकर नाखुशी जाहिर की थी. अब विराट ने पूरे विश्व में इंग्लैंड में बनने वाली ड्यूक गेंदों के इस्तेमाल किए जाने की मांग की है.
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बता दें कि भारत में मेरठ स्थित एसजी (संस्पैरियल्स ग्रीनलैंड) भारत में खेले जाने वाले मैचों के लिए गेंदों का निर्माण करती है. कंपनी का बोर्ड के साथ करार है और बीसीसीआई ने एक तरह से कंपनी को लेकर नियम बनाया हुआ है. गेंदों के इस्तेमाल का मसला भी नीतिगत फैसला है. कोहली ने कहा कि अगर गेंद सख्त रहती है, तो आप अतिरिक्त गति हासिल करते हो. लेकिन अगर गेंद 10-12 ओवरों में ही नरम पड़ जाती है, तो प्रयासों में 20 फीसद की कमी आ जाती है.
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