पहली पारी में मोर्केल दक्षिण अफ्रीका के लिए सबसे सफल बॉलर रहे थे (BCCI फोटो)
नई दिल्ली:
दूसरे टेस्ट के दौरान सेंचुरियन की पिच ने सभी को हैरान करने का काम किया है. पिच को देखकर ऐसा लगा कि वो दक्षिण अफ़्रीका नहीं, उपमहाद्वीप की कोई पिच है. यही नहीं, 105 साल बाद प्रोटियाज़ ने स्पिनर के साथ टेस्ट में गेंदबाज़ी की शुरुआत करवाई. पहली पारी में स्पिनर केशव महाराज ने गेंदबाजी की शुरुआत की थी. मेजबान टीम के तेज़ गेंदबाज़ मोर्ने मोर्केल को कहना पड़ा कि उन्होंने यहां पर आज तक इस तरह की पिच नहीं देखी. उन्होंने कहा, 'मैंने पूरी ज़िंदगी यहां क्रिकेट खेला है और मुझे आज तक इस तरह की पिच नहीं दिखाई दी. पहली पारी में हमें काफ़ी मेहनत करनी पड़ी. इस गरमी में , हालात बेहद मुश्किल थे.ये मेरे करियर के सबसे मुश्किल गेंदबाज़ी स्पेल्स में से एक रहा.' सेंचुरियन में अब तक के इतिहास को देखें तो यहां बहुत बड़े लक्ष्य का पीछा नहीं हो सका है. यहां सबसे बड़े लक्ष्य का पीछा इंग्लैंड ने सन 2000 में किया था. 249 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए इंग्लैंड ने 2 विकेट से यह मैच जीता थाण् इसके बाद 1998 में दक्षिण अफ्रीकी टीम ने ही श्रीलंका के दिए 226 रनों का पीछा आसानी के साथ किया था और 2007 में 199 रनों का पीछा प्रोटियाज़ ने आसानी से किया और पाकिस्तान को 7 विकेट से हराया. लेकिन इसके बाद होम टीम के खिलाफ़ इतने बड़े लक्ष्य का पीछा कोई नहीं कर सका है. 2006 में 249 रनों का पीछा करती कीवी टीम महज़ 120 रन ही बना सकी. ऐसे में 200 के ऊपर कोई भी स्कोर भारत के लिए चुनौतीपूर्ण होगा.
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खुद मॉर्केल मानते हैं कि यहां गेंदबाज़ी में काफ़ी मेहनत करनी पड़ेगी, लेकिन 250 से ऊपर का टारगेट ठीक रहेगा. उन्होंने कहा, 'मुझे लगता है कि करीब 250 का लक्ष्य मैच के अंतिम दिन एक सेफ़ स्कोर रहेगा और विकेट ने अब काफ़ी टर्न लेना शुरु कर दिया है साथ ही गेंद भी अब नीची रह रही है.ऐसे में 250 के करीब कुछ भी बेहद मुश्किल होगा' पिच अगर उपमहाद्वीप की तरह है तो ये भारतीय टीम के लिए यह सेंचुरियन के इतिहास को भूल कर नया इतिहास बनाने का और सीरीज़ में वापसी करने का एक मौक़ा भी है.
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खुद मॉर्केल मानते हैं कि यहां गेंदबाज़ी में काफ़ी मेहनत करनी पड़ेगी, लेकिन 250 से ऊपर का टारगेट ठीक रहेगा. उन्होंने कहा, 'मुझे लगता है कि करीब 250 का लक्ष्य मैच के अंतिम दिन एक सेफ़ स्कोर रहेगा और विकेट ने अब काफ़ी टर्न लेना शुरु कर दिया है साथ ही गेंद भी अब नीची रह रही है.ऐसे में 250 के करीब कुछ भी बेहद मुश्किल होगा' पिच अगर उपमहाद्वीप की तरह है तो ये भारतीय टीम के लिए यह सेंचुरियन के इतिहास को भूल कर नया इतिहास बनाने का और सीरीज़ में वापसी करने का एक मौक़ा भी है.
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