विराट कोहली और रवि शास्त्री (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ केपटाउन टेस्ट में हुई बुरी किरकिरी के बाद नई-नई खबरें छन-छन कर बाहर आ रही हैं. और जो सामने आ रहा है, वह चौंकाने वाला है. यह बताता है कि टीम इंडिया दक्षिण अफ्रीकी टेस्ट सीरीज को लेकर अति विश्वास का शिकार थी. दरअसल भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने दक्षिण अफ्रीकी दौरे की चुनौती को समझते हुए विराट कोहली एंड कंपनी के सामने 'बहुत ही अच्छा' प्रस्ताव रखा था. लेकिन इस प्रस्ताव पर कप्तान विराट कोहली और टीम मैनेजमेंट के कान पर जूं तक नहीं रेंगी.
अब यह तो आप जानते ही हैं कि केपटाउन में भारतीय बल्लेबाजों की कितनी ज्यादा दुर्गति हुई. हार्दिक पंड्या को छोड़कर कोई भी दिग्गज बल्लेबाज केपटाउन में नहीं ही चला. न ही कप्तान कोहली का साल 2017 की तरह विराट प्रदर्शन दिखा और न ही चेतेश्वर पुजारा कोई 'दीवार' खड़ी कर सके. शायद बीसीसीआई के आला अधिकारियों को पहले से ही कुछ ऐसा होने का आभास था. इसी को ध्यान में रखते हुए बोर्ड ने टीम मैनेजमेंट के सामने एक प्रस्ताव विशेष रखा था, लेकिन इस प्रस्ताव का टीम मैनेजमेंट ने कोई जवाब नहीं दिया.
यह भी पढ़ें : IND VS SA: 'इन पांच बातों' पर काम हुआ, तो सेंचुरियन में होगी टीम इंडिया की वापसी
दरअसल बोर्ड ने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ सीरीज शुरू होने से करीब एक या डेढ़ हफ्ते पहले बीसीसीआई ने यह प्रस्ताव टीम मैनेजमेंट को भेजा था. यह प्रस्ताव बोर्ड के अधिकारियों और क्रिकेट प्रशासकीय कमेटी (सीओए) दोनों ने ही मिलकर तैयार किया था. इसमें दो राय नहीं कि अगर टीम इंडिया का मैनेजमेंट इस प्रस्ताव को मान लेता, तो निश्चित तौर पर केपटाउन में उसे फायदा मिलता. या ऐसा भी हो सकता था कि टीम की ऐसी दुर्गति नहीं ही होती.
VIDEO : दक्षिण अफ्रीका रवाना होने से पहले विराट कोहली प्रेस कॉन्फ्रैंस में.
प्रस्ताव के तहत बोर्ड ने टीम इंडिया के कुछ मुख्य और विशेषज्ञ खिलाड़ियों एक डेढ़ हफ्ता दक्षिण अफ्रीका पहले भेजने की बात कही थी. उस समय मुरली विजय, चेतेश्वर पुजारा और अजिंक्य रहाणे सहित कुछ और खिलाड़ी श्रीलंका टीम के खिलाफ वनडे टीम का हिस्सा भी नहीं थे. सूत्रों की मानें, तो बोर्ड यह भी चाहता था कि श्रीलंका के खिलाफ खेल रहे शीर्ष खिलाड़ी वनडे और टी-20 सीरीज से हटकर पहले ही दक्षिण अफ्रीका चले जाएं, जिससे वे वहां के हालाता से अभ्यस्त हो सकें. लेकिन इस प्रस्ताव को नहीं माना गया.
Post game day and back to the grind #TeamIndia pic.twitter.com/Un22UU4DMb
— BCCI (@BCCI) January 9, 2018
अब यह तो आप जानते ही हैं कि केपटाउन में भारतीय बल्लेबाजों की कितनी ज्यादा दुर्गति हुई. हार्दिक पंड्या को छोड़कर कोई भी दिग्गज बल्लेबाज केपटाउन में नहीं ही चला. न ही कप्तान कोहली का साल 2017 की तरह विराट प्रदर्शन दिखा और न ही चेतेश्वर पुजारा कोई 'दीवार' खड़ी कर सके. शायद बीसीसीआई के आला अधिकारियों को पहले से ही कुछ ऐसा होने का आभास था. इसी को ध्यान में रखते हुए बोर्ड ने टीम मैनेजमेंट के सामने एक प्रस्ताव विशेष रखा था, लेकिन इस प्रस्ताव का टीम मैनेजमेंट ने कोई जवाब नहीं दिया.
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दरअसल बोर्ड ने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ सीरीज शुरू होने से करीब एक या डेढ़ हफ्ते पहले बीसीसीआई ने यह प्रस्ताव टीम मैनेजमेंट को भेजा था. यह प्रस्ताव बोर्ड के अधिकारियों और क्रिकेट प्रशासकीय कमेटी (सीओए) दोनों ने ही मिलकर तैयार किया था. इसमें दो राय नहीं कि अगर टीम इंडिया का मैनेजमेंट इस प्रस्ताव को मान लेता, तो निश्चित तौर पर केपटाउन में उसे फायदा मिलता. या ऐसा भी हो सकता था कि टीम की ऐसी दुर्गति नहीं ही होती.
VIDEO : दक्षिण अफ्रीका रवाना होने से पहले विराट कोहली प्रेस कॉन्फ्रैंस में.
प्रस्ताव के तहत बोर्ड ने टीम इंडिया के कुछ मुख्य और विशेषज्ञ खिलाड़ियों एक डेढ़ हफ्ता दक्षिण अफ्रीका पहले भेजने की बात कही थी. उस समय मुरली विजय, चेतेश्वर पुजारा और अजिंक्य रहाणे सहित कुछ और खिलाड़ी श्रीलंका टीम के खिलाफ वनडे टीम का हिस्सा भी नहीं थे. सूत्रों की मानें, तो बोर्ड यह भी चाहता था कि श्रीलंका के खिलाफ खेल रहे शीर्ष खिलाड़ी वनडे और टी-20 सीरीज से हटकर पहले ही दक्षिण अफ्रीका चले जाएं, जिससे वे वहां के हालाता से अभ्यस्त हो सकें. लेकिन इस प्रस्ताव को नहीं माना गया.
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