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Ind vs Aus: अब दूसरे टेस्ट से पहले बुमराह को लेकर एक वर्ग कर रहा यह बड़ी मांग, यहां वजह भी बहुत ठोस हैं

Jasprit Bumrah: बुमराह ने जो कारनामा पहले टेस्ट में किया वह भारतीय क्रिकेट इतिहास में हमेशा सुनहरे अक्षरों में लिखा जाएगा

Ind vs Aus: अब दूसरे टेस्ट से पहले बुमराह को लेकर एक  वर्ग कर रहा यह बड़ी मांग, यहां वजह भी बहुत ठोस हैं
Aus vs Ind 2nd Test: अगले टेस्ट से पहले बुमराह को लेकर फिर से जोर-शोर से चर्चा है
नई दिल्ली:

The big question about jasprit Bumrah: क्रिकेट इसीलिए खूबसूरत है! जो किसी ने नहीं सोचा था, वह न्यूजीलैंड के खिलाफ हुआ. फिर जो किसी ने पर्थ में नहीं सोचा था, वह देखने को मिला. पर्थ टेस्ट में टीम इंडिया ने जैसा आगाज किया, उसने कंगारुओं को बहुत ही बुरी तरह से हिलाकर रख दिया है. जाहिर है कि हार जब 295 रनों के अंतर से हो, तो सहज समझा जा सकता है! इस टीम ने टीम इंडिया का कॉन्फिडेंस एकदम फिर से बूम-बूम कर दिया है! अब 6 दिसंबर से एडिलेड में खेले जाने वाले दूसरे टेस्ट में नियमित कप्तान रोहित शर्मा (Rohit Sharma) भी टीम के साथ जुड़ने जा रहे हैं, तो पर्थ में विश्वसनीय कप्तानी करने वाले बुमराह (Jasprit Bumrah) को लेकर अलग ही बहस चल पड़ी है. ऐसे में एक बड़ा वर्ग चाहता है कि सीरीज में बुमराह को बतौर आगे बरकरार रखना चाहिए. और अपनी इस बात के पीछे यह वर्ग कुछ वजह भी बता रहा है.

 रोहित की फॉर्म

यह सही है कि रोहित फॉर्म के लिहाज से अपने सर्वश्रेष्ठ रूप में नहीं है. इसके लिए न्यूजीलैंड के खिलाफ सीरीज से ही वह आलोचना झल रहे थे. रोहित कीवियों के खिलाफ तीन मैचों की सीरीज में सिर्फ 15.66 के औसत से 91 ही रन बना सके थे, तो कप्तानी में कुछ फैसलों को लेकर भी उन्होंने कड़ी आलोचना झेली थी. 

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गुलाबी गेंद भी एक वजह

अब जबकि 6 दिसंबर से खेले जाने वाले दूसरे डे-नाइट टेस्ट में पिंक बॉल का इस्तेमाल किया जाएगा, तो यह भी साफ है कि गुलाबी गेंद पेसरों को फायदा पहुंचाती है. इस वर्ग का मानना है अगर बुमराह कप्तानी करेंगे, तो वह अपने हिसाब से खुद को अटैक की कमान संभालेंगे. जस्सी कप्तानी में अपनी विशेषज्ञता और रणनीति के साथ न ज्यादा सहज रहेंगे, बल्कि ज्यादा विश्वास के साथ इस पर अमल कर सकेंगे. इनका मानना है कि यह सही है कि रोहित के अनुभव की भारत को अभी भी जरुरत है, लेकिन बेहतर यह होगा कि नियमित कप्तान खुद बतौर खिलाड़ी खेलें और बुमराह को कप्तानी करने दें. यह तर्क तो बहुत हद तक अच्छा है, लेकिन इस पर अमल कर पाना प्रबंधन के लिए बहुत ही ज्यादा मुश्किल होगा.


 

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