Kapil Dev on Ravichandran Ashiwn Retirement: भारतीय क्रिकेट टीम के स्टार स्पिनर रविचंद्रन अश्विन ने ब्रिसबेन के गाबा में हुए बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी सीरीज के तीसरे मुकाबले के बाद सबको हैरान करते हुए संन्यास का ऐलान किया. अश्विन के इस तरह से क्रिकेट को अलविदा कहने से ना सिर्फ भारतीय टीम में उनके साथी बल्कि दिग्गज भी हैरान दिखे. अश्विन, जो भारत के लिए टेस्ट में सर्वाधिक विकेट लेने वाले गेंदबाजों की सूची में दूसरे स्थान पर हैं, वह अपने घरेलू मैदान पर अपना विदाई टेस्ट खेल सकते थे. लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ और अश्विन, जिन्हें गाबा टेस्ट के लिए प्लेइंग इलेवन में शामिल नहीं किया गया था, उन्होंने बिना विदाई टेस्ट खेले ही अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कहा दिया. भारतीय टीम के पूर्व कप्तान कपिल देव इस बात ने निराश दिखे कि टीम मैनेजमेंट ने अश्विन को इस तरह से संन्यास लेने दिया.
अदाणी ग्रुप के कार्यक्रम में बोलते हुए कपिल देव ने अश्विन के यूं अचानक से संन्यास लेकर टीम से विदा होने पर कहा,"काश मैं वहां होता, मैं उसे ऐसे जाने नहीं देता. मैं उसे बहुत सम्मान और खुशी के साथ भेजता, क्योंकि जब किसी चीज को छोड़कर जाते हैं, जब आप किसी चीज से प्यार करते हैं, यह काफी कठिन होता है और हमें ऐसे लोगों को सम्मान करना चाहिए."
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो अश्विन पिछले साल भारत में हुई बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी सीरीज के बाद से ही संन्यास को लेकर सोच रहे थे. लेकिन उस दौरान कई टेस्ट सीरीज शेड्यूल थी, ऐसे में अश्विन ने इस विचार को ठण्डे बस्ते में डालने का फैसला लिया. इस साल अक्टूबर -नवबंर में न्यूजीलैंड के खिलाफ हुई टेस्ट सीरीज के बाद अश्विन ने फिर से संन्यास का मन बना लिया था और अपने परिवार को इसके बारे में सूचित किया था. लेकिन उनके परिवार ने स्पिनर को अपने फैसले पर फिर से विचार करने को कहा.
भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच पर्थ में पांच मैचों की सीरीज का पहला मुकाबला खेला गया था, जिसे भारत ने 295 रनों से जीता था और इस मुकाबले के लिए अश्विन को प्लेइंग इलेवन में शामिल नहीं किया गया था. उनकी जगह टीम में ऑफ स्पिनर के तौर पर वाशिंगटन सुंदर को शामिल किया गया था.
टीम मैनेजमेंट द्वारा अश्विन पर वाशिंगटन सुंदर को तरजीह दिए जाने के बाद अश्विन को अपना फैसले लेने में आसानी हुई. भारत को इस सीरीज के बाद अगले कुछ समय तक कोई सीरीज नहीं खेलनी है और उसका अगला दौरा इंग्लैंड में होना है. इंग्लैंड दौरे के लिए अश्विन की जगह सुंदर को मौका मिलेगा, यह पर्थ टेस्ट के बाद साफ दिख रहा था. ऐसे में अश्विन के लिए फैसला लेना आसान हुआ.
अश्विन का टेस्ट करियर 2011 में शुरू हुआ और 2024 में समाप्त हुआ. यह वह समय था जब भारत दुनिया की सबसे प्रभावशाली घरेलू टीम बन गई थी. इस दौरान भारत ने कई रिकॉर्ड अपने नाम किए थे. 106 टेस्ट में 537 विकेट, 37 बार फाइव विकेट हॉल, 8 बार एक टेस्ट में 10 विकेट, 2.83 की इकॉनमी, यह आंकड़े बताते हैं कि क्यों अश्विन विदाई टेस्ट डिजर्व करते थे.
अश्विन सिर्फ लाल गेंद से नहीं बल्कि सफेद गेंद के खेल में भी कारगर थे. उन्होंने भारत के लिए खेले 116 वनडे में 156 विकेट लिए थे, जबकि 65 टी20 अंतरराष्ट्रीय में 72 विकेट लिए थे. अश्विन सिर्फ गेंद से ही नहीं बल्कि बल्ले से भी कई मौकों पर टीम इंडिया को जीत दिला चुके हैं.
अश्विन ने टेस्ट में 3503 रन बनाए हैं. इस दौरान उनके बल्ले से 6 शतक और 14 अर्द्धशतक आए हैं. जबकि वनडे में उन्होंने 707 रन बनाए हैं. अश्विन टेस्ट में सर्वाधिक मौकों पर मैन-ऑफ द मैच सीरीज का अवॉर्ड जीतने वाले खिलाड़ी हैं. और टेस्ट करियर में सर्वाधिक विकेट लेने वाले गेंदबाजों की सूची में सातवें स्थान पर हैं.
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