प्रतीकात्मक फोटो
नई दिल्ली:
भारत और इंग्लैंड के बीच जब क्रिकेट मैच खेल जाता है तब भारत के क्रिकेट प्रेमी ज्यादा भावुक हो जाते हैं. भावुक होने के पीछे सबसे बड़ी वजह है भारत की सरजमीन पर ब्रिटेन का 91 साल का शासन. इस शासन ने देश के लोगों की कमर तोड़ दी थी. लोगों से आजादी छीन ली थी. लोग ब्रिटिश शासन से काफी दुखी थे. सन 1947 में देश के आजाद होने के बाद जब-जब इंग्लैंड के खिलाफ क्रिकेट सीरीज हुई है तब-तब भारत के लोग यही चाहते थे कि टीम इंडिया इंग्लैंड के मैदान पर जीत हासिल करे और इंग्लैंड के मैदान पर तिरंगा लहराए.
यह 1971 की बात है. टीम इंडिया ने तीन टेस्ट मैच खेलने के लिए इंग्लैंड का दौरा किया. इस दौरे से देश के लोगों को काफी उम्मीद थी. उम्मीद की जा रहा थी कि इंग्लैंड के मैदान पर टीम इंडिया जीत के साथ पहली बार भारत का झंडा लहराएगी. इससे पहले भी 1952, 1959 और 1967 में टीम इंडिया इंग्लैंड का दौरा कर चुकी थी, लेकिन तीनों बार इंग्लैंड के हाथों भारत को करारी हार मिली. इस बार जीत की उम्मीद इसलिए की जा रही थी क्योंकि टीम इंडिया काफी अच्छे फॉर्म में थी. वेस्टइंडीज जैसी शानदार टीम को उसी के मैदान पर हरा चुकी थी.
22 जुलाई को लॉर्ड्स के मैदान पर खेला गया पहला मैच ड्रा रहा. पांच अगस्त को मेनचेस्टर के मैदान पर खेला गया दूसरा टेस्ट मैच भी ड्रा रहा. अब टीम इंडिया को आखिरी टेस्ट मैच में कुछ कमाल करना था. आखिरी टेस्ट जीतकर इतिहास रचना था. इंग्लैंड के मैदान पर झंडा फहराना था. 15 अगस्त के दिन टीम इंडिया इंग्लैंड में थी. यही रणनीति बना रही थी कि कैसे इंग्लैंड को हराया जाए. 19 अगस्त 1971 को दोनों टीमों के बीच तीसरा टेस्ट मैच शुरू हुआ. टॉस जीतने के बाद इंग्लैंड ने पहले बल्लेबाजी करने का निर्णय लिया. इंग्लैंड की पहली पारी के 355 रन के जवाब में टीम इंडिया ने 284 रन बनाए. इस तरह इंग्लैंड को पहली पारी में 71 रन की बढ़त मिली. टीम इंडिया के खिलाड़ी थोड़ा घबराए हुए थे. फिर इंग्लैंड की दूसरी पारी शुरू हुई. टीम इंडिया के कप्तान अजीत वाडेकर को अपने स्पिन गेंदबाजों पर काफी भरोसा था. वाडेकर ने जल्दी स्पिन आक्रमण शुरू कर दिया.
बिशन सिंह बेदी, भागवत चंद्रशेखर और आर वेंकटराघवन जैसे स्पिन गेंदबाज टीम में थे. यह तीन गेंदबाज़ इंग्लैंड की पहली पारी में छह विकेट लेने में कामयाब हुए थे. अब इन गेंदबाजों पर काफी दबाव था. चंद्रशेखर को गेंदबाजी के लिए कप्तान ने बुलाया. फिर क्या हुआ चंद्रशेखर की फिरकी के सामने इंग्लैंड के बल्लेबाज फिसल गए. एक के बाद एक विकेट गिरने लगा. चंद्रशेखर ने इंग्लैंड के छह बल्लेबाजों को आउट किया. वेंकटराघवन को दो विकेट मिले और बिशन सिंह बेदी भी एक विकेट लेने में कामयाब हुए. इंग्लैंड की पूरी टीम अपनी दूसरी पारी में सिर्फ 101 रन बनाकर आउट हो गई. अब टीम इंडिया को जीतने के लिए 173 रन चाहिए थे. लक्ष्य तो कम था लेकिन आसान नहीं था. इंग्लैंड के घरेलू मैदान और घरेलू दर्शकों के सामने टीम इंडिया दवाब में थी.
टीम इंडिया का स्कोर जब सिर्फ दो रन था तब बिना रन बनाए सुनील गावस्कर आउट हो गए. टीम इंडिया फिर ज्यादा दवाब में आ गई. अशोक मांकड़ भी सिर्फ दो 11 रन बनाकर पवेलियन लौट गए. लेकिन कप्तान वाडेकर और दिलीप सरदेसाई ने शानदार बल्लेबाजी करते हुए टीम इंडिया को जीत के करीब पहुंचा दिया. कप्तान वाडेकर ने सबसे ज्यादा 45 रन बनाए जबकि सरदेसाई ने 40 रन की पारी खेली. गुंडप्पा विश्वनाथ ने 33 रन बनाए. टीम इंडिया ने छह विकेट गंवाकर इंग्लैंड के मैदान पर इतिहास रचा और मैच जीतने के साथ-साथ सीरीज भी जीती. इस जीत के बाद टीम इंडिया के खिलाड़ी तिरंगे के साथ पूरे मैदान पर दौड़ रहे थे. ऐसा लग रहा था जैसे वह वर्ल्ड वॉर जीत गए हों.
इस जीत ने टीम इंडिया की किस्मत बदल दी. टीम जब दिल्ली के पालम एयरपोर्ट पहुंची तब एयरपोर्ट के बाहर लंबी लाइन थी. लोग अपने क्रिकेट सितारों की एक झलक के लिए कई घंटों से इंतजार कर रहे थे. दिल्ली के फिरोजशाह कोटला स्टेडियम में इन खिलाड़ियों के स्वागत में एक समारोह भी रखा गया जिसमें कई हजार लोग शामिल हुए थे. कप्तान अजीत वाडेकर और अन्य खिलाड़ी जब दिल्ली से मुंबई एयरपोर्ट पहुंचे तब एयरपोर्ट के रास्ते में दस किलोमीटर तक लोगों का लंबा काफिल था. हाथ में झंडा और फूल माला लेकर लोग एयरपोर्ट पर खड़े हुए थे. इन खिलाड़ियों के स्वागत में मुंबई के ब्रेबॉर्न स्टेडियम में एक अलग सा रिसेप्शन भी रखा गया था जिसमें कई बड़े हस्तियां शाामिल हुई थीं. इस रिसेप्शन में भारत के महान खिलाड़ी विजय मर्चेंट ने टीम की तारीफ करते हुए हुए कहा था “अजित एक बड़ा सपना पूरा हुआ है. भगवान आपको और 1971 के सभी क्रिकेटरों को आशीर्वाद दे,1 जिन्होंने भारत के इस सपने को पूरा किया है.”
इसके बाद 1983 वर्ल्ड कप की बात. टीम इंडिया ने वर्ल्ड कप खेलने के लिए इंग्लैंड का दौरा किया था. टीम के ऊपर कोई ज्यादा भरोसा नहीं था क्योंकि 1975 और 1979 वर्ल्ड कप में टीम कोई खास प्रदर्शन नहीं कर पाई थी. वेस्टइंडीज, इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया जैसी शानदार टीमों को हराकर वर्ल्ड कप जीतना इंडिया के लिए आसान नहीं था. लेकिन टीम इंडिया ने पहले मैच में उलटफेर करते हुए वेस्टइंडीज जैसी शानदार टीम को 34 रन से हराकर सबको हैरान कर दिया. फिर पूरे टूर्नामेंट में शानदार प्रदर्शन करते हुए टीम इंडिया सेमीफाइनल में पहुंची. सेमी फाइनल इंग्लैंड के खिलाफ था. अब टीम इंडिया को इंग्लैंड को हराना था. मेनचेस्टर के मैदान पर खेले गए इस मैच में इंग्लैंड ने टॉस जीता और पहले बल्लेबाजी करने का निर्णय लिया. उसने निर्धारित 60 ओवरों में 213 रन बनाए.
सेमीफाइनल में 214 का लक्ष्य भी भारत के लिए बहुत बड़ा था. लेकिन टीम इंडिया के बल्लेबाजों ने शानदार बल्लेबाजी करते हुए इंग्लैंड को छह विकेट से हराया और फाइनल में पहुंचे. इंग्लैंड की ही सरज़मीन पर उसको वर्ल्ड कप में हराना टीम इंडिया के लिए बहुत बड़ी बात थी. भारत के खिलाड़ियों के हाथ में तिरंगा था. खिलाड़ी मैदान के चारों तरफ दौड़ते हुई नज़र आए थे. फाइनल वेस्टइंडीज और भारत के बीच 25 जून को लॉर्ड्स के मैदान पर खेला गया था. वहां भारत ने इतिहास रचते हुए इस मैच को जीता और वर्ल्ड कप हासिल किया था.
इसके बाद कई बार भारत ने इंग्लैंड में इंग्लैंड को हराते हुए भारत का झंडा गाड़ा. वर्ष 1986 में टीम इंडिया ने इंग्लैंड दौरा करते हुए 2-0 से टेस्ट सीरीज जीती थी. साल 2002 में लॉर्ड्स मैदान पर खेले गए नेटवेस्ट सीरीज फाइनल में टीम इंडिया ने इंग्लैंड को दो विकेट से हराया था. सन 2007 में भी इंग्लैंड का दौरा करते हुए टीम इंडिया ने 1-0 से टेस्ट सीरीज जीती थी. 23 जून 2013 को इंग्लैंड के एडबस्टन मैदान पर खेले गए आईसीसी चैंपियन ट्रॉफी के फाइनल में टीम इंडिया ने इंग्लैंड को पांच रन से हराया था. फिर 2014 में इंग्लैंड में खेली गई एक दिवसीय मैच सीरीज इंडिया ने 3-1 से जीती थी.
यह 1971 की बात है. टीम इंडिया ने तीन टेस्ट मैच खेलने के लिए इंग्लैंड का दौरा किया. इस दौरे से देश के लोगों को काफी उम्मीद थी. उम्मीद की जा रहा थी कि इंग्लैंड के मैदान पर टीम इंडिया जीत के साथ पहली बार भारत का झंडा लहराएगी. इससे पहले भी 1952, 1959 और 1967 में टीम इंडिया इंग्लैंड का दौरा कर चुकी थी, लेकिन तीनों बार इंग्लैंड के हाथों भारत को करारी हार मिली. इस बार जीत की उम्मीद इसलिए की जा रही थी क्योंकि टीम इंडिया काफी अच्छे फॉर्म में थी. वेस्टइंडीज जैसी शानदार टीम को उसी के मैदान पर हरा चुकी थी.
22 जुलाई को लॉर्ड्स के मैदान पर खेला गया पहला मैच ड्रा रहा. पांच अगस्त को मेनचेस्टर के मैदान पर खेला गया दूसरा टेस्ट मैच भी ड्रा रहा. अब टीम इंडिया को आखिरी टेस्ट मैच में कुछ कमाल करना था. आखिरी टेस्ट जीतकर इतिहास रचना था. इंग्लैंड के मैदान पर झंडा फहराना था. 15 अगस्त के दिन टीम इंडिया इंग्लैंड में थी. यही रणनीति बना रही थी कि कैसे इंग्लैंड को हराया जाए. 19 अगस्त 1971 को दोनों टीमों के बीच तीसरा टेस्ट मैच शुरू हुआ. टॉस जीतने के बाद इंग्लैंड ने पहले बल्लेबाजी करने का निर्णय लिया. इंग्लैंड की पहली पारी के 355 रन के जवाब में टीम इंडिया ने 284 रन बनाए. इस तरह इंग्लैंड को पहली पारी में 71 रन की बढ़त मिली. टीम इंडिया के खिलाड़ी थोड़ा घबराए हुए थे. फिर इंग्लैंड की दूसरी पारी शुरू हुई. टीम इंडिया के कप्तान अजीत वाडेकर को अपने स्पिन गेंदबाजों पर काफी भरोसा था. वाडेकर ने जल्दी स्पिन आक्रमण शुरू कर दिया.
बिशन सिंह बेदी, भागवत चंद्रशेखर और आर वेंकटराघवन जैसे स्पिन गेंदबाज टीम में थे. यह तीन गेंदबाज़ इंग्लैंड की पहली पारी में छह विकेट लेने में कामयाब हुए थे. अब इन गेंदबाजों पर काफी दबाव था. चंद्रशेखर को गेंदबाजी के लिए कप्तान ने बुलाया. फिर क्या हुआ चंद्रशेखर की फिरकी के सामने इंग्लैंड के बल्लेबाज फिसल गए. एक के बाद एक विकेट गिरने लगा. चंद्रशेखर ने इंग्लैंड के छह बल्लेबाजों को आउट किया. वेंकटराघवन को दो विकेट मिले और बिशन सिंह बेदी भी एक विकेट लेने में कामयाब हुए. इंग्लैंड की पूरी टीम अपनी दूसरी पारी में सिर्फ 101 रन बनाकर आउट हो गई. अब टीम इंडिया को जीतने के लिए 173 रन चाहिए थे. लक्ष्य तो कम था लेकिन आसान नहीं था. इंग्लैंड के घरेलू मैदान और घरेलू दर्शकों के सामने टीम इंडिया दवाब में थी.
टीम इंडिया का स्कोर जब सिर्फ दो रन था तब बिना रन बनाए सुनील गावस्कर आउट हो गए. टीम इंडिया फिर ज्यादा दवाब में आ गई. अशोक मांकड़ भी सिर्फ दो 11 रन बनाकर पवेलियन लौट गए. लेकिन कप्तान वाडेकर और दिलीप सरदेसाई ने शानदार बल्लेबाजी करते हुए टीम इंडिया को जीत के करीब पहुंचा दिया. कप्तान वाडेकर ने सबसे ज्यादा 45 रन बनाए जबकि सरदेसाई ने 40 रन की पारी खेली. गुंडप्पा विश्वनाथ ने 33 रन बनाए. टीम इंडिया ने छह विकेट गंवाकर इंग्लैंड के मैदान पर इतिहास रचा और मैच जीतने के साथ-साथ सीरीज भी जीती. इस जीत के बाद टीम इंडिया के खिलाड़ी तिरंगे के साथ पूरे मैदान पर दौड़ रहे थे. ऐसा लग रहा था जैसे वह वर्ल्ड वॉर जीत गए हों.
इस जीत ने टीम इंडिया की किस्मत बदल दी. टीम जब दिल्ली के पालम एयरपोर्ट पहुंची तब एयरपोर्ट के बाहर लंबी लाइन थी. लोग अपने क्रिकेट सितारों की एक झलक के लिए कई घंटों से इंतजार कर रहे थे. दिल्ली के फिरोजशाह कोटला स्टेडियम में इन खिलाड़ियों के स्वागत में एक समारोह भी रखा गया जिसमें कई हजार लोग शामिल हुए थे. कप्तान अजीत वाडेकर और अन्य खिलाड़ी जब दिल्ली से मुंबई एयरपोर्ट पहुंचे तब एयरपोर्ट के रास्ते में दस किलोमीटर तक लोगों का लंबा काफिल था. हाथ में झंडा और फूल माला लेकर लोग एयरपोर्ट पर खड़े हुए थे. इन खिलाड़ियों के स्वागत में मुंबई के ब्रेबॉर्न स्टेडियम में एक अलग सा रिसेप्शन भी रखा गया था जिसमें कई बड़े हस्तियां शाामिल हुई थीं. इस रिसेप्शन में भारत के महान खिलाड़ी विजय मर्चेंट ने टीम की तारीफ करते हुए हुए कहा था “अजित एक बड़ा सपना पूरा हुआ है. भगवान आपको और 1971 के सभी क्रिकेटरों को आशीर्वाद दे,1 जिन्होंने भारत के इस सपने को पूरा किया है.”
इसके बाद 1983 वर्ल्ड कप की बात. टीम इंडिया ने वर्ल्ड कप खेलने के लिए इंग्लैंड का दौरा किया था. टीम के ऊपर कोई ज्यादा भरोसा नहीं था क्योंकि 1975 और 1979 वर्ल्ड कप में टीम कोई खास प्रदर्शन नहीं कर पाई थी. वेस्टइंडीज, इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया जैसी शानदार टीमों को हराकर वर्ल्ड कप जीतना इंडिया के लिए आसान नहीं था. लेकिन टीम इंडिया ने पहले मैच में उलटफेर करते हुए वेस्टइंडीज जैसी शानदार टीम को 34 रन से हराकर सबको हैरान कर दिया. फिर पूरे टूर्नामेंट में शानदार प्रदर्शन करते हुए टीम इंडिया सेमीफाइनल में पहुंची. सेमी फाइनल इंग्लैंड के खिलाफ था. अब टीम इंडिया को इंग्लैंड को हराना था. मेनचेस्टर के मैदान पर खेले गए इस मैच में इंग्लैंड ने टॉस जीता और पहले बल्लेबाजी करने का निर्णय लिया. उसने निर्धारित 60 ओवरों में 213 रन बनाए.
सेमीफाइनल में 214 का लक्ष्य भी भारत के लिए बहुत बड़ा था. लेकिन टीम इंडिया के बल्लेबाजों ने शानदार बल्लेबाजी करते हुए इंग्लैंड को छह विकेट से हराया और फाइनल में पहुंचे. इंग्लैंड की ही सरज़मीन पर उसको वर्ल्ड कप में हराना टीम इंडिया के लिए बहुत बड़ी बात थी. भारत के खिलाड़ियों के हाथ में तिरंगा था. खिलाड़ी मैदान के चारों तरफ दौड़ते हुई नज़र आए थे. फाइनल वेस्टइंडीज और भारत के बीच 25 जून को लॉर्ड्स के मैदान पर खेला गया था. वहां भारत ने इतिहास रचते हुए इस मैच को जीता और वर्ल्ड कप हासिल किया था.
इसके बाद कई बार भारत ने इंग्लैंड में इंग्लैंड को हराते हुए भारत का झंडा गाड़ा. वर्ष 1986 में टीम इंडिया ने इंग्लैंड दौरा करते हुए 2-0 से टेस्ट सीरीज जीती थी. साल 2002 में लॉर्ड्स मैदान पर खेले गए नेटवेस्ट सीरीज फाइनल में टीम इंडिया ने इंग्लैंड को दो विकेट से हराया था. सन 2007 में भी इंग्लैंड का दौरा करते हुए टीम इंडिया ने 1-0 से टेस्ट सीरीज जीती थी. 23 जून 2013 को इंग्लैंड के एडबस्टन मैदान पर खेले गए आईसीसी चैंपियन ट्रॉफी के फाइनल में टीम इंडिया ने इंग्लैंड को पांच रन से हराया था. फिर 2014 में इंग्लैंड में खेली गई एक दिवसीय मैच सीरीज इंडिया ने 3-1 से जीती थी.
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