विराट कोहली
नई दिल्ली:
मैदान पर आक्रमकता क्या है? विरोधी टीम के सदस्यों से लगातार उलझना या मैदान पर विरोधियों को दबाव में लाना? क्या राहुल द्रविड़ , वीवीएस लक्ष्मण या महेन्द सिंह धोनी किसी भी तरह से विराट कोहली से कम आक्रमक खिलाड़ी थे ? बतौर बल्लेबाज़ जो आक्रमकता आपको निखारती है क्या कप्तानी के दौरान वैसे ही आक्रमकता आपकी टीम के काम आ सकती है? ये कुछ ऐसे ही सवाल हैं जिनके सवालों को विराट कोहली के आसपास के लोगों को टीम इंडिया के कप्तान को समझाना होगा. यह सही है कि आईसीसी अवार्ड में विराट कोहली के नाम की धूम रही, लेकिन उन पर सवाल भी कई बातों को लेकर उठ रहे हैं.
पुजारा को क्या हुआ है?
साल 2016 मे जब टीम इंडिया वेस्ट इंडीज़ के दौरे पर थी तो पुजारा ने 159 गेंदों पर 46 रनों की पारी खेली. ये पारी तब आई जब शिखर झवन जल्दी आउट हो गए थे. इस दौरान उन्होंने लोकेश राहुल के साथ 121 रनों की साझेदारी निभाई. और टीम को बढ़त दिलाने में मदद की. कुंबले पुजारा की पारी से खुश थे, लेकिन मैच के बाद विराट कोहली ने कहा कि टीम इंडिया के बल्लेबाजों को और तेजी से रन बनाने होंगे वरना टीम में उनका रहना मुश्किल है. पुजारा को आगे सीरीज में टीम से बाहर बैठना पड़ा. हालांकि, अपने दमदार खेल की वजह से पुजारा ने इसके बाद घरेलू सीरीज में टीम में वापसी की पर वो जान गए थे कि उनको अपने खेल में बदलाव करना होगा.
यह भी पढ़ें : ये हैं विराट कोहली के पिछले साल के 'पांच सबसे बेहतरीन परफॉरमेंस'
कप्तान की गरिमा कहां?
हर बार मैदान पर विरोधी खिलाड़ियों से उलझना, विरोधी बल्लेबाज़ के आउट होने पर उस पर किसी न किसी तरह टिप्पणी करना, अंपायरों के फैसलों पर खुल कर प्रतिक्रिया देना, विरोधी टीम के कप्तान को "CHEAT" कहते कहते रुक जाना. ये तमाम वो बाते हैं जो क्रिकेट जानकारों को चुभ सकती है. सौरव गांगुली ने बतौर कप्तान टीम इंडिया की सूरत और सोच बदली, लेकिन उन्होंने पूरे करियर में इतने विवाद खड़े नहीं किए जितने विराट एक साल में खड़े करते हैं. दुख की बात ये है कि मौजदा कोच रवि शास्त्री इन हरकतों को रोकने में यकीन नहीं रखते. वह तो इसे विराट की खासियत बताते हैं. ऐसे में डर इस बात का है कि टीम में पूरी तरह विराट कोहली की छाप है. इस टीम में ऐसा कोई भी खिलाड़ी नहीं है जो विराट की बात से असहमत होने की हिम्मत कर सके.
कैसे चुनी जा रही है टीम?
इस सवाल का जवाब किसी के पास नहीं. फिर चाहे वो उप कप्तान और विदेशी जमीं पर सबसे सफल भारतीय बल्लेबाजों में से एक अजिंक्य रहाणे को बाहर रखना हो, या फिर पहले टेस्ट के अपने सबसे सफल गेंदबाज भुवनेश्वर को दूसरे टेस्ट में न खिलाना, या फिर सेंचुरियन टेस्ट के चौथे दिन तीसरा विकेट गिरने पर रोहित शर्मा की जगह पार्थिव पटेल को भेजना. मुश्किल हालात में पार्थिव पटेल को बल्लेबाजी के लिए भेजे जाने की फैंस के साथ-साथ अब पूर्व भारतीय कप्तान सुनील गावस्कर ने भी खुलकर इसकी आलोचना की.
VIDEO : सेंचुरियन में शतक बनाने के बाद कोहली का अंदाज देखिए
गावस्कर ने कहा, 'आप पहले टेस्ट से इस टीम के चयन को देखिए.इस टेस्ट में भी टीम का चयन देखिए और बाकी चीज़ें जो ये टीम कर रही है. यह टीम अलग तरह से सोच रही है, जिस पर हम में से कोई भी उंगली नहीं उठा सकता.भारतीय क्रिकेट से जुड़े हम सभी लोगों को दुआ करनी चाहिए कि ये जो कर रहे हैं वो काम कर जाए. पहले टेस्ट में भी इस बात ने काम नहीं और न ही दूसरे टेस्ट में.
Fall seven time, Stand up eight. Failure is part of life... Always with #TeamIndia #BCCI pic.twitter.com/VliTmIieJi
— Abhijeet (@Abpasalkar) January 18, 2018
पुजारा को क्या हुआ है?
साल 2016 मे जब टीम इंडिया वेस्ट इंडीज़ के दौरे पर थी तो पुजारा ने 159 गेंदों पर 46 रनों की पारी खेली. ये पारी तब आई जब शिखर झवन जल्दी आउट हो गए थे. इस दौरान उन्होंने लोकेश राहुल के साथ 121 रनों की साझेदारी निभाई. और टीम को बढ़त दिलाने में मदद की. कुंबले पुजारा की पारी से खुश थे, लेकिन मैच के बाद विराट कोहली ने कहा कि टीम इंडिया के बल्लेबाजों को और तेजी से रन बनाने होंगे वरना टीम में उनका रहना मुश्किल है. पुजारा को आगे सीरीज में टीम से बाहर बैठना पड़ा. हालांकि, अपने दमदार खेल की वजह से पुजारा ने इसके बाद घरेलू सीरीज में टीम में वापसी की पर वो जान गए थे कि उनको अपने खेल में बदलाव करना होगा.
सेंचुरियन टेस्ट मैच में दो बार रनाउट होकर पुजारा ने एक अनचाहा रिकॉर्ड अपने नाम किया. जो पुजारा को जानते हैं वो ये कहते हैं कि ऐसे रन लेना पुजारे के खेल में शामिल नहीं है, पर इस समय टीम के हर खिलाड़ी को विराट कोहली के मानदंड पर खरा उतरना है. पूर्व टेस्ट खिलाड़ी अजय जडेजा मानते हैं कि पुजारा अपने स्वाभाविक खेल और स्वाभाव को बदलने की कोशिस कर रहे हैं और ये दो रन आउट उसी का नतीजा हैं.Cheteshwar Pujara Becomes First Indian To Be Run Out Twice In Same Match #Cricket #LatestNews #worldcup2018 #AUSvENG #U19CWC #PakvsNz #LAKings World Cup News| Qualifiers | Fixtures | Schedule | Venue in 2018 - https://t.co/3LFlpSxrgA pic.twitter.com/QJX7ei014x
— WORLD CUP News (@Worldcupnews777) January 17, 2018
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कप्तान की गरिमा कहां?
हर बार मैदान पर विरोधी खिलाड़ियों से उलझना, विरोधी बल्लेबाज़ के आउट होने पर उस पर किसी न किसी तरह टिप्पणी करना, अंपायरों के फैसलों पर खुल कर प्रतिक्रिया देना, विरोधी टीम के कप्तान को "CHEAT" कहते कहते रुक जाना. ये तमाम वो बाते हैं जो क्रिकेट जानकारों को चुभ सकती है. सौरव गांगुली ने बतौर कप्तान टीम इंडिया की सूरत और सोच बदली, लेकिन उन्होंने पूरे करियर में इतने विवाद खड़े नहीं किए जितने विराट एक साल में खड़े करते हैं. दुख की बात ये है कि मौजदा कोच रवि शास्त्री इन हरकतों को रोकने में यकीन नहीं रखते. वह तो इसे विराट की खासियत बताते हैं. ऐसे में डर इस बात का है कि टीम में पूरी तरह विराट कोहली की छाप है. इस टीम में ऐसा कोई भी खिलाड़ी नहीं है जो विराट की बात से असहमत होने की हिम्मत कर सके.
कैसे चुनी जा रही है टीम?
इस सवाल का जवाब किसी के पास नहीं. फिर चाहे वो उप कप्तान और विदेशी जमीं पर सबसे सफल भारतीय बल्लेबाजों में से एक अजिंक्य रहाणे को बाहर रखना हो, या फिर पहले टेस्ट के अपने सबसे सफल गेंदबाज भुवनेश्वर को दूसरे टेस्ट में न खिलाना, या फिर सेंचुरियन टेस्ट के चौथे दिन तीसरा विकेट गिरने पर रोहित शर्मा की जगह पार्थिव पटेल को भेजना. मुश्किल हालात में पार्थिव पटेल को बल्लेबाजी के लिए भेजे जाने की फैंस के साथ-साथ अब पूर्व भारतीय कप्तान सुनील गावस्कर ने भी खुलकर इसकी आलोचना की.
VIDEO : सेंचुरियन में शतक बनाने के बाद कोहली का अंदाज देखिए
गावस्कर ने कहा, 'आप पहले टेस्ट से इस टीम के चयन को देखिए.इस टेस्ट में भी टीम का चयन देखिए और बाकी चीज़ें जो ये टीम कर रही है. यह टीम अलग तरह से सोच रही है, जिस पर हम में से कोई भी उंगली नहीं उठा सकता.भारतीय क्रिकेट से जुड़े हम सभी लोगों को दुआ करनी चाहिए कि ये जो कर रहे हैं वो काम कर जाए. पहले टेस्ट में भी इस बात ने काम नहीं और न ही दूसरे टेस्ट में.
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