मुंबई:
बंबई उच्च न्यायालय ने वर्ष 2010 में आईपीएल मैचों के दौरान मुहैया कराई गई पुलिस सुरक्षा का 10 करोड़ रुपये से भी अधिक बकाया नहीं वसूल पाने के लिए महाराष्ट्र सरकार को आड़े हाथ लिया है।
न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति एपी भंगाले की खंडपीठ ने कहा, ‘‘दो साल हो गये और राज्य सरकार ने बकाया लेने की चिंता नहीं की। हमारे हिसाब से यह बहुत बड़ी रकम है। शायद राज्य सरकार के लिए यह छोटी रकम हो। बकाया नहीं मिलने के बावजूद राज्य सरकार निष्ठापूर्वक सुरक्षा एवं अन्य सुविधायें मुहैया कराती रही।’’
खंडपीठ इस मामले में को लेकर पिछले साल दायर की गई संतोष पचलाग की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इस याचिका में सरकार को तुरंत बीसीसीआई से बकाया वसूलने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।
न्यायालय ने कहा, ‘‘बीसीसीआई वाणिज्यिक उद्यम है, जिसे काफी आमदनी हो रही है और सभी खिलाड़ियों को काफी रकम अदा कर रही है। वे इस रकम (10 करोड़ रुपये) को अदा नहीं कर पा रहे हैं।’’
यह सूचित किए जाने पर कि आईपीएल का अगला सत्र इस साल अप्रैल से शुरू होने की संभावना है, न्यायमूर्ति खानविलकर ने कहा, ‘‘तब आपके (सरकार) पास बकाया वसूलने का पर्याप्त वक्त है। इस मुद्दे पर उच्चतर स्तर पर गौर करने की जरूरत है। अभी तक जो सरकार को करना चाहिये था, उसका निर्देश न्यायालय दे रहा है।’’
न्यायालय ने गृहमंत्रालय के सचिव को बीसीसीआई के उस अनुरोध पर फैसला करने का निर्देश दिया जिसमें उसने अन्य राज्यों की ओर से पूर्व में ली गई दरों को ध्यान में रखकर तर्कसंगत दर तय करने का आग्रह किया है। इस मामले की अगली सुनवाई 26 मार्च को होगी।
बीसीसीआई के वकील राजू सुब्रमन्यम ने न्यायालय को बताया कि बीसीसीआई पूरी रकम देने के लिए जिम्मेदार नहीं है, क्योंकि उसने कभी मैचों के दौरान पुलिस सुरक्षा देने का आग्रह नहीं किया। उन्होंने कहा, ‘‘जिस स्टेडियम में मैच हुआ और फ्रैंचाइजी मालिकों ने सुरक्षा मांगी, वे बीसीसीआई से मान्यता प्राप्त नहीं हैं। इसलिए उन्हें बकाया अदा करना चाहिए।’’
इसके बाद खंडपीठ ने डी वाई पाटिल स्टेडियम प्रबंधन और संबंधित फ्रैंचाइजी मालिकों को नोटिस जारी किए।
न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति एपी भंगाले की खंडपीठ ने कहा, ‘‘दो साल हो गये और राज्य सरकार ने बकाया लेने की चिंता नहीं की। हमारे हिसाब से यह बहुत बड़ी रकम है। शायद राज्य सरकार के लिए यह छोटी रकम हो। बकाया नहीं मिलने के बावजूद राज्य सरकार निष्ठापूर्वक सुरक्षा एवं अन्य सुविधायें मुहैया कराती रही।’’
खंडपीठ इस मामले में को लेकर पिछले साल दायर की गई संतोष पचलाग की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इस याचिका में सरकार को तुरंत बीसीसीआई से बकाया वसूलने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।
न्यायालय ने कहा, ‘‘बीसीसीआई वाणिज्यिक उद्यम है, जिसे काफी आमदनी हो रही है और सभी खिलाड़ियों को काफी रकम अदा कर रही है। वे इस रकम (10 करोड़ रुपये) को अदा नहीं कर पा रहे हैं।’’
यह सूचित किए जाने पर कि आईपीएल का अगला सत्र इस साल अप्रैल से शुरू होने की संभावना है, न्यायमूर्ति खानविलकर ने कहा, ‘‘तब आपके (सरकार) पास बकाया वसूलने का पर्याप्त वक्त है। इस मुद्दे पर उच्चतर स्तर पर गौर करने की जरूरत है। अभी तक जो सरकार को करना चाहिये था, उसका निर्देश न्यायालय दे रहा है।’’
न्यायालय ने गृहमंत्रालय के सचिव को बीसीसीआई के उस अनुरोध पर फैसला करने का निर्देश दिया जिसमें उसने अन्य राज्यों की ओर से पूर्व में ली गई दरों को ध्यान में रखकर तर्कसंगत दर तय करने का आग्रह किया है। इस मामले की अगली सुनवाई 26 मार्च को होगी।
बीसीसीआई के वकील राजू सुब्रमन्यम ने न्यायालय को बताया कि बीसीसीआई पूरी रकम देने के लिए जिम्मेदार नहीं है, क्योंकि उसने कभी मैचों के दौरान पुलिस सुरक्षा देने का आग्रह नहीं किया। उन्होंने कहा, ‘‘जिस स्टेडियम में मैच हुआ और फ्रैंचाइजी मालिकों ने सुरक्षा मांगी, वे बीसीसीआई से मान्यता प्राप्त नहीं हैं। इसलिए उन्हें बकाया अदा करना चाहिए।’’
इसके बाद खंडपीठ ने डी वाई पाटिल स्टेडियम प्रबंधन और संबंधित फ्रैंचाइजी मालिकों को नोटिस जारी किए।
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