थंगरासू नटराजन के पिता एक फैक्ट्री में मजदूरी करते हैं और मां चाय की दुकान चलाती हैं
नई दिल्ली:
थंगरासू नटराजन, क्या आपने इस क्रिकेट खिलाड़ी का नाम सुना है..? शायद नहीं, या फिर बहुत कम लोग होंगे जो नटराजन के बारे में जानते होंगे. लेकिन अब यह खिलाड़ी आईपीएल में कमाल करने वाला है क्योंकि, तमिलनाडु के इस खिलाड़ी को किंग्स इलेवन पंजाब ने तीन करोड़ रुपये में खरीदा है. जहां दुनिया के बड़े-बड़े क्रिकेटर आईपीएल में इस साल नीलाम नहीं हो पाए वहीं, नटराजन पर तीन करोड़ रुपये लगाए गए. नटराजन का बेस प्राइस 10 लाख था, लेकिन जब उनका नाम आया तब किंग्स इलेवन की तरफ से वीरेंद्र सहवाग ने उन्हें तीन करोड़ रुपये में ख़रीदा.
कड़ा संघर्ष करना पड़ा
नटराजन को एक क्रिकेटर बनने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा. उसके परिवार की हालात ऐसी नहीं थी कि वह अच्छी जगह ट्रेनिंग ले सके. नटराजन के पिता एक मज़दूर के रूप में एक फैक्ट्री में काम करते हैं जबकि, मां एक चाय के दुकान चलाती हैं. शुरुआत के दौर में नटराजन भी चाय के दुकान में बैठते थे. परिवार में हाथ बटाने के लिए वह अखबार और दूध भी बेचते थे. लेकिन नटराजन ने अपने सपने को पूरा किया और कड़ी मेहनत से ज़िंदगी की सारी अड़चनों को पीछे छोड़ दिया.
टेनिस बॉल क्रिकेट से हुई शुरुआत
नटराजन टेनिस बॉल से लोकल क्रिकेट मैच खेलते थे. शुरुआती दौर में वह क्रिकेट सिर्फ शौक के लिए खेलते थे. टेनिस बॉल क्रिकेट मैचों में नटराजन एक शानदार गेंदबाज़ के रूप में नाम कमाया. 18 साल की उम्र में उन्होंने लेदर बॉल से क्रिकेट खेलना शुरू किया. 2011-12 में नटराजन अपने क्रिकेट करियर को आगे ले जाने के लिए चेन्नई शिफ्ट हो गए और बीएसएनएल की तरफ से खेलने लगे. नटराजन ने एक घातक गेंदबाज़ के रूप में सबका ध्यान आकर्षित किया. वह शानदार यॉर्कर फेंकने के लिए जाने जाते हैं.
संदिग्ध बॉलिंग एक्शन के लिए बैठना पड़ा बाहर
धीरे-धीरे नटराजन अच्छा प्रदर्शन करते चले गए. 2015 में तमिलनाडु की रणजी टीम में उनका चयन हुआ. 5 जनवरी, 2015 को उन्होंने बंगाल के खिलाफ अपना पहला प्रथम श्रेणी मैच खेला. इस मैच में नटराजन ने पहली पारी में तीन विकेट लिए, लेकिन यह ख़ुशी नटराजन के लिए ज्यादा दिन तक नहीं रह पाई. संदिग्ध बॉलिंग एक्शन के लिए उन्हें टीम से बाहर बैठना पड़ा. नटराजन को ऐसा लगा कि एक ही मैच के बाद उनका करियर खत्म हो गया. वह घर वापस जाना चाहते थे अपने परिवार की मदद करना चाहते थे लेकिन, कोच की सलाह मानते हुए वह अपने बॉलिंग एक्शन में सुधार लाने लगे.
एक साल के बाद हुई वापसी
करीब एक साल तक क्रिकेट से दूर रहने के बाद तमिलनाडु प्रीमियर लीग में नटराजन को फिर मौक़ा मिला. डिंडीगुल ड्रैगन की तरफ से वह खेलने लगे. इस लीग में नटराजन ने सात मैच खेलते हुए 10 विकेट लिए थे. 2016-17 सेशन के लिए नटराजन का तमिलनाडु रणजी टीम में चयन हुया.
करीब 21 महीने के बाद नटराजन ने अपना दूसरा रणजी ट्रॉफी मैच खेला. 13 अक्टूबर को रेलवे के खिलाफ मैच में नटराजन ने शानदार गेंदबाज़ी करते हुए छह विकेट लिए. तमिलनाडु ने इस मैच को 174 रन से जीता था. 20 अक्टूबर को उत्तर प्रदेश के खिलाफ मैच में भी नटराजन को चार विकेट मिले थे. नटराजन अब तक 9 प्रथम श्रेणी मैच खेल चुके हैं और उन्होंने करीब 33 के औसत से 27 विकेट लिए हैं. अगर टी-20 की बात की जाए तो पांच मैचों में उन्हें चार विकेट मिले हैं.
कड़ा संघर्ष करना पड़ा
नटराजन को एक क्रिकेटर बनने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा. उसके परिवार की हालात ऐसी नहीं थी कि वह अच्छी जगह ट्रेनिंग ले सके. नटराजन के पिता एक मज़दूर के रूप में एक फैक्ट्री में काम करते हैं जबकि, मां एक चाय के दुकान चलाती हैं. शुरुआत के दौर में नटराजन भी चाय के दुकान में बैठते थे. परिवार में हाथ बटाने के लिए वह अखबार और दूध भी बेचते थे. लेकिन नटराजन ने अपने सपने को पूरा किया और कड़ी मेहनत से ज़िंदगी की सारी अड़चनों को पीछे छोड़ दिया.
टेनिस बॉल क्रिकेट से हुई शुरुआत
नटराजन टेनिस बॉल से लोकल क्रिकेट मैच खेलते थे. शुरुआती दौर में वह क्रिकेट सिर्फ शौक के लिए खेलते थे. टेनिस बॉल क्रिकेट मैचों में नटराजन एक शानदार गेंदबाज़ के रूप में नाम कमाया. 18 साल की उम्र में उन्होंने लेदर बॉल से क्रिकेट खेलना शुरू किया. 2011-12 में नटराजन अपने क्रिकेट करियर को आगे ले जाने के लिए चेन्नई शिफ्ट हो गए और बीएसएनएल की तरफ से खेलने लगे. नटराजन ने एक घातक गेंदबाज़ के रूप में सबका ध्यान आकर्षित किया. वह शानदार यॉर्कर फेंकने के लिए जाने जाते हैं.
संदिग्ध बॉलिंग एक्शन के लिए बैठना पड़ा बाहर
धीरे-धीरे नटराजन अच्छा प्रदर्शन करते चले गए. 2015 में तमिलनाडु की रणजी टीम में उनका चयन हुआ. 5 जनवरी, 2015 को उन्होंने बंगाल के खिलाफ अपना पहला प्रथम श्रेणी मैच खेला. इस मैच में नटराजन ने पहली पारी में तीन विकेट लिए, लेकिन यह ख़ुशी नटराजन के लिए ज्यादा दिन तक नहीं रह पाई. संदिग्ध बॉलिंग एक्शन के लिए उन्हें टीम से बाहर बैठना पड़ा. नटराजन को ऐसा लगा कि एक ही मैच के बाद उनका करियर खत्म हो गया. वह घर वापस जाना चाहते थे अपने परिवार की मदद करना चाहते थे लेकिन, कोच की सलाह मानते हुए वह अपने बॉलिंग एक्शन में सुधार लाने लगे.
एक साल के बाद हुई वापसी
करीब एक साल तक क्रिकेट से दूर रहने के बाद तमिलनाडु प्रीमियर लीग में नटराजन को फिर मौक़ा मिला. डिंडीगुल ड्रैगन की तरफ से वह खेलने लगे. इस लीग में नटराजन ने सात मैच खेलते हुए 10 विकेट लिए थे. 2016-17 सेशन के लिए नटराजन का तमिलनाडु रणजी टीम में चयन हुया.
करीब 21 महीने के बाद नटराजन ने अपना दूसरा रणजी ट्रॉफी मैच खेला. 13 अक्टूबर को रेलवे के खिलाफ मैच में नटराजन ने शानदार गेंदबाज़ी करते हुए छह विकेट लिए. तमिलनाडु ने इस मैच को 174 रन से जीता था. 20 अक्टूबर को उत्तर प्रदेश के खिलाफ मैच में भी नटराजन को चार विकेट मिले थे. नटराजन अब तक 9 प्रथम श्रेणी मैच खेल चुके हैं और उन्होंने करीब 33 के औसत से 27 विकेट लिए हैं. अगर टी-20 की बात की जाए तो पांच मैचों में उन्हें चार विकेट मिले हैं.
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