नई दिल्ली:
राजस्थान रॉयल्स के मालिक राज कुंद्रा के व्यापारिक साझेदार उमेश गोयनका ने बुधवार को एक अदालत में दावा किया कि दिल्ली पुलिस के अधिकारियों के निर्देश पर उसे क्रिकेट सट्टेबाजी में कुंद्रा का नाम लेने पर मजबूर किया गया।
गोयनका ने आरोप लगाया कि पुलिस वालों ने पांच दिन तक अवैध तरीके से हिरासत में रखकर उसे परेशान किया और शारीरिक प्रताड़ना दी।
गोयनका के बयान को मामले में गवाह के तौर पर दर्ज किया गया है। उसने कहा कि पुलिस ने उसे शारीरिक प्रताड़ना से और मकोका के तहत आरोपी बनने से बचाने के लिए अपने दोस्त कुंद्रा का नाम लेने पर मजबूर किया था।
उन्होंने कहा, ‘‘पुलिस का कहना नहीं मानने पर धमकियों, प्रताड़ना और नतीजों के डर से मैंने मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान दिया। इसे स्वेच्छा से नहीं दिया गया था और पुलिस के निर्देशों पर दबाव में दिया गया था।
गोयनका ने 5 जून को एक मजिस्ट्रेट के समक्ष दिये अपने बयान से पीछे हटने के लिए दिए आवेदन में यह टिप्पणी की। उसी बयान में गोयनका ने कुंद्रा का नाम लिया था।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विनय कुमार खन्ना ने संक्षिप्त दलीलों को सुना और दिल्ली पुलिस की विशेष शाखा को 14 जून तक या इससे पहले जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।
गोयनका ने अपने वकील तरण गूमबर के जरिये दाखिल विस्तृत आवेदन में दिल्ली पुलिस के हाथों कथित प्रताड़ना का ब्योरा दिया।
गोयनका ने कहा कि पुलिस ने जांच के दौरान उसे 2 जून को अहमदाबाद में उसके घर से उठाया, उसे अवैध तरीके से हिरासत में रखा और उस पर सीआरपीसी की धारा 164 के तहत बयान देने के लिए दबाव बनाया गया।
गोयनका ने कहा कि उसे विशेष शाखा के दो अधिकारी जबरदस्ती एक होटल में ले गए और फिर उसे दिल्ली लाया गया। उसे लोधी कॉलोनी स्थित विशेष शाखा के दफ्तर लाया गया जहां उससे क्रिकेट मैचों के सट्टे में उसकी तथा कुंद्रा की संलिप्तता के बारे में जानकारी देने को कहा गया। गोयनका ने कहा कि जब उसने कहा कि वह और कुंद्रा में से कोई सट्टेबाजी में शामिल नहीं है तो उसे हवालात में डाल दिया गया और विशेष सीपी के समक्ष पेश किया गया। उसे दिल्ली आए अपने भतीजे से मिलने तक नहीं दिया गया।
उसने बताया कि उसे करोल बाग के एक होटल में भेज दिया गया और अवैध तरीके से वहां रखा गया। 3 जून को उसे विशेष शाखा के दफ्तर लाया गया।
गोयनका के मुताबिक पूछताछ में जब उसने सट्टेबाजी में अपने और कुंद्रा के शामिल नहीं होने के रुख को दोहराया तो पुलिस वालों ने उसे थप्पड़ जड़ दिया, उसके कपड़े उतारे और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया। उसके चेहरे पर इतनी तेजी से थप्पड़ मारा गया कि उसके दांये कान का पर्दा फट गया।
आवेदन के मुताबिक, ‘‘दबाव में, डर से और खुद को शारीरिक प्रताड़ना से बचाने के लिए पुलिस वालों की इच्छा के मुताबिक कुंद्रा का नाम लेने पर सहमति जता दी।’’ गोयनका के अनुसार उसे 4 जून को एक बार फिर एक होटल में अवैध तरीके से रखा गया जहां उसे टाइप किया हुआ बयान पढ़ने के लिए दिया गया जिसमें क्रिकेट सट्टेबाजी में राज कुंद्रा की संलिप्तता की बात लिखी थी।
उसके मुताबिक अन्य आरोपियों की तरह उस पर मकोका लगाने की धमकी दी गई। गोयनका ने कहा कि 5 जून की सुबह उसे बयान दर्ज कराने के लिए मजिस्ट्रेट के चैंबर में ले जाया गया। उसे धमका दिया गया था कि खुद को प्रताड़ित किए जाने के बारे में कुछ नहीं कहे।
आवेदन के अनुसार बयान दर्ज होने के बाद पुलिस ने कई खाली कागजों पर उसके दस्तखत लिये। पुलिस के कहने पर उसका एक रिश्तेदार उसका पासपोर्ट दिल्ली लाया जिसे अवैध तरीके से जब्त कर लिया गया।
(इनपुट भाषा से भी)
गोयनका ने आरोप लगाया कि पुलिस वालों ने पांच दिन तक अवैध तरीके से हिरासत में रखकर उसे परेशान किया और शारीरिक प्रताड़ना दी।
गोयनका के बयान को मामले में गवाह के तौर पर दर्ज किया गया है। उसने कहा कि पुलिस ने उसे शारीरिक प्रताड़ना से और मकोका के तहत आरोपी बनने से बचाने के लिए अपने दोस्त कुंद्रा का नाम लेने पर मजबूर किया था।
उन्होंने कहा, ‘‘पुलिस का कहना नहीं मानने पर धमकियों, प्रताड़ना और नतीजों के डर से मैंने मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान दिया। इसे स्वेच्छा से नहीं दिया गया था और पुलिस के निर्देशों पर दबाव में दिया गया था।
गोयनका ने 5 जून को एक मजिस्ट्रेट के समक्ष दिये अपने बयान से पीछे हटने के लिए दिए आवेदन में यह टिप्पणी की। उसी बयान में गोयनका ने कुंद्रा का नाम लिया था।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विनय कुमार खन्ना ने संक्षिप्त दलीलों को सुना और दिल्ली पुलिस की विशेष शाखा को 14 जून तक या इससे पहले जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।
गोयनका ने अपने वकील तरण गूमबर के जरिये दाखिल विस्तृत आवेदन में दिल्ली पुलिस के हाथों कथित प्रताड़ना का ब्योरा दिया।
गोयनका ने कहा कि पुलिस ने जांच के दौरान उसे 2 जून को अहमदाबाद में उसके घर से उठाया, उसे अवैध तरीके से हिरासत में रखा और उस पर सीआरपीसी की धारा 164 के तहत बयान देने के लिए दबाव बनाया गया।
गोयनका ने कहा कि उसे विशेष शाखा के दो अधिकारी जबरदस्ती एक होटल में ले गए और फिर उसे दिल्ली लाया गया। उसे लोधी कॉलोनी स्थित विशेष शाखा के दफ्तर लाया गया जहां उससे क्रिकेट मैचों के सट्टे में उसकी तथा कुंद्रा की संलिप्तता के बारे में जानकारी देने को कहा गया। गोयनका ने कहा कि जब उसने कहा कि वह और कुंद्रा में से कोई सट्टेबाजी में शामिल नहीं है तो उसे हवालात में डाल दिया गया और विशेष सीपी के समक्ष पेश किया गया। उसे दिल्ली आए अपने भतीजे से मिलने तक नहीं दिया गया।
उसने बताया कि उसे करोल बाग के एक होटल में भेज दिया गया और अवैध तरीके से वहां रखा गया। 3 जून को उसे विशेष शाखा के दफ्तर लाया गया।
गोयनका के मुताबिक पूछताछ में जब उसने सट्टेबाजी में अपने और कुंद्रा के शामिल नहीं होने के रुख को दोहराया तो पुलिस वालों ने उसे थप्पड़ जड़ दिया, उसके कपड़े उतारे और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया। उसके चेहरे पर इतनी तेजी से थप्पड़ मारा गया कि उसके दांये कान का पर्दा फट गया।
आवेदन के मुताबिक, ‘‘दबाव में, डर से और खुद को शारीरिक प्रताड़ना से बचाने के लिए पुलिस वालों की इच्छा के मुताबिक कुंद्रा का नाम लेने पर सहमति जता दी।’’ गोयनका के अनुसार उसे 4 जून को एक बार फिर एक होटल में अवैध तरीके से रखा गया जहां उसे टाइप किया हुआ बयान पढ़ने के लिए दिया गया जिसमें क्रिकेट सट्टेबाजी में राज कुंद्रा की संलिप्तता की बात लिखी थी।
उसके मुताबिक अन्य आरोपियों की तरह उस पर मकोका लगाने की धमकी दी गई। गोयनका ने कहा कि 5 जून की सुबह उसे बयान दर्ज कराने के लिए मजिस्ट्रेट के चैंबर में ले जाया गया। उसे धमका दिया गया था कि खुद को प्रताड़ित किए जाने के बारे में कुछ नहीं कहे।
आवेदन के अनुसार बयान दर्ज होने के बाद पुलिस ने कई खाली कागजों पर उसके दस्तखत लिये। पुलिस के कहने पर उसका एक रिश्तेदार उसका पासपोर्ट दिल्ली लाया जिसे अवैध तरीके से जब्त कर लिया गया।
(इनपुट भाषा से भी)
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं