टीम इंडिया ने श्रीलंका सीरीज में शानदार खेल दिखाया। (सौजन्य : AFP)
विराट कोहली की कप्तानी में टीम इंडिया ने श्रीलंका को उसी की धरती पर 22 साल बाद एक बार फिर से हराकर सीरीज पर 2-1 से कब्जा कर लिया। इससे पहले मोहम्मद अजहरुद्दीन की कप्तानी में 1993 में भारत ने तीन टेस्ट मैचों की सीरीज में श्रीलंका को 1-0 से हराया था, जिसमें दो टेस्ट ड्रॉ रहे थे। 22 साल पहले की विजय में भी तेज-स्पिन गेंदबाजों और अलग-अलग बल्लेबाजों ने अपना योगदान दिया था, वहीं इस बार की जीत में भी पूरी सीरीज में अलग-अलग अवसरों पर पूरी टीम ने अपनी भूमिका अदा की।
आइए जानते हैं इस सीरीज में मिली जीत के पांच बड़े कारण :
1. अश्विन का कमाल : इस ऑफ स्पिनर ने पूरी सीरीज में शानदार गेंदबाजी की। अश्विन ने गॉल टेस्ट में जहां 10 विकेट लिए, वहीं कोलंबो के प्रेमदासा स्टेडियम में खेले गए दूसरे टेस्ट में 7 विकेट हासिल किए। तीसरे टेस्ट की दूसरी पारी में उन्हें चार विकेट मिले, जबकि पहली पारी में कोई विकेट नहीं ले सके। अश्विन ने सीरीज में दो बार एक ही पारी में पांच विकेट हासिल किए। गॉल में एक पारी में 6 विकेट लिए, वहीं कोलंबो (प्रेमदासा) में एक पारी में पांच विकेट झटके। अश्विन ने पूरी सीरीज़ में कुल मिलाकर 21 विकेट लिए। यह किसी भी भारतीय गेंदबाज का श्रीलंका में सबसे अच्छा प्रदर्शन है। 1993 की सीरीज में परिणाम वाले एकमात्र मैच में अनिल कुंबले ने शानदार गेंदबाजी करते हुए पहली पारी में पांच विकेट और दूसरी पारी में 3 विकेट लिए थे।
2. तेज गेंदबाजों का योगदान : भारत के तेज गेंदबाजों ने भी अच्छा प्रदर्शन किया। खासतौर से अंतिम टेस्ट मैच में ईशांत शर्मा और उमेश यादव का प्रदर्शन शानदार रहा। ईशांत ने सीरीज के तीन मैच में 13 विकेट लिए, जिसमें एक बार पांच विकेट भी शामिल है। उमेश यादव ने दो मैच में 5 विकेट लिए। तीसरे और निर्णायक टेस्ट में स्टुअर्ट बिन्नी ने भी 3 विकेट झटके। 1993 की सीरीज में परिणाम वाले एकमात्र मैच की पहली पारी में तेज गेंदबाज मनोज प्रभाकर ने तीन और जवागल श्रीनाथ ने दो विकेट लिए थे, जबकि दूसरी पारी में कपिल देव ने दो और मनोज प्रभाकर ने तीन विकेट लिए थे।
3. स्पिनरों की जुगलबंदी : काफी दिनों बाद दो स्पिनरों ने जुगलबंदी करते हुए अच्छी गेंदबाजी की। आर अश्विन ने जहां सीरीज में 21 विकेट लिए, वहीं अमित मिश्रा ने उनका बखूबी साथ दिया और 14 विकेट झटके। मिश्रा का सबसे अच्छा प्रदर्शन 21 ओवर में 43 रन देकर 4 विकेट रहा।
4. किसी एक बल्लेबाज पर निर्भरता नहीं : टीम में जरूरत के समय अलग-अलग बल्लेबाजों ने योगदान दिया। टीम किसी पर निर्भर नहीं रही। सीरीज के रिकॉर्ड पर गौर करें तो विराट कोहली ने सीरीज में 233, रोहित शर्मा ने 202, अजिंक्य रहाणे ने 178, शिखर धवन ने 162, अमित मिश्रा ने 157 और पुजारा ने 145 रन (केवल एक मैच) बनाए हैं। वहीं केएल राहुल ने भी दूसरे टेस्ट में शतक लगाया था। इस प्रकार पूरी सीरीज में समय-समय पर हर बल्लेबाज ने योगदान दिया है। हालांकि सीरीज में सर्वाधिक 288 रन श्रीलंकाई बल्लेबाज दिनेश चंडीमल ने बनाए।
1993 की सीरीज में परिणाम वाले एकमात्र मैच की पहली पारी में नवजोत सिंह सिद्धू (82) और विनोद कांबली (125) ने शानदार बल्लेबाजी की थी, जबकि दूसरी पारी में सचिन तेंदुलकर (104), नवजोत सिंह सिद्धू (104) और मनोज प्रभाकर (95) ने शानदार रन बनाए थे।
5. 5वें से 9वें नंबर तक के बल्लेबाजों का योगदान : अश्विन ने तीसरे टेस्ट की दूसरी पारी में 58 रन की पारी खेली, जो टीम इंडिया की ओर से किसी बल्लेबाज का इस पारी का सर्वोच्च स्कोर रहा। 2008 के बाद यह पहला मौका है जब टीम ने 250 से ज्यादा का स्कोर बनाया और नौवें नंबर का बल्लेबाज टॉप स्कोरर रहा। उनके अर्धशतक का भारत की कुल बढ़त को 386 रन तक ले जाने में महत्वपूर्ण योगदान रहा।
इसके अलावा टीम इंडिया के लिए यह पहला मौका रहा जब 5वें से 9वें नंबर तक के हर भारतीय बल्लेबाज ने 30 से अधिक रन बनाए।
इस तरह भारतीय क्रिकेट टीम ने श्रीलंका में 22 साल बाद ऐतिहासिक जीत हासिल की। यह जीत इस मायने में बेहद खास है कि कोहली एंड कंपनी ने 1-0 से पिछड़ने के बाद 2-1 से सीरीज जीती है। यह कोहली की कप्तानी में पहली पूर्ण सीरीज थी, इसलिए यह उनकी पहली बड़ी परीक्षा थी और खुशी की बात है कि वह इस पर पूरी तरह खरे उतरे हैं।
आइए जानते हैं इस सीरीज में मिली जीत के पांच बड़े कारण :
1. अश्विन का कमाल : इस ऑफ स्पिनर ने पूरी सीरीज में शानदार गेंदबाजी की। अश्विन ने गॉल टेस्ट में जहां 10 विकेट लिए, वहीं कोलंबो के प्रेमदासा स्टेडियम में खेले गए दूसरे टेस्ट में 7 विकेट हासिल किए। तीसरे टेस्ट की दूसरी पारी में उन्हें चार विकेट मिले, जबकि पहली पारी में कोई विकेट नहीं ले सके। अश्विन ने सीरीज में दो बार एक ही पारी में पांच विकेट हासिल किए। गॉल में एक पारी में 6 विकेट लिए, वहीं कोलंबो (प्रेमदासा) में एक पारी में पांच विकेट झटके। अश्विन ने पूरी सीरीज़ में कुल मिलाकर 21 विकेट लिए। यह किसी भी भारतीय गेंदबाज का श्रीलंका में सबसे अच्छा प्रदर्शन है। 1993 की सीरीज में परिणाम वाले एकमात्र मैच में अनिल कुंबले ने शानदार गेंदबाजी करते हुए पहली पारी में पांच विकेट और दूसरी पारी में 3 विकेट लिए थे।
2. तेज गेंदबाजों का योगदान : भारत के तेज गेंदबाजों ने भी अच्छा प्रदर्शन किया। खासतौर से अंतिम टेस्ट मैच में ईशांत शर्मा और उमेश यादव का प्रदर्शन शानदार रहा। ईशांत ने सीरीज के तीन मैच में 13 विकेट लिए, जिसमें एक बार पांच विकेट भी शामिल है। उमेश यादव ने दो मैच में 5 विकेट लिए। तीसरे और निर्णायक टेस्ट में स्टुअर्ट बिन्नी ने भी 3 विकेट झटके। 1993 की सीरीज में परिणाम वाले एकमात्र मैच की पहली पारी में तेज गेंदबाज मनोज प्रभाकर ने तीन और जवागल श्रीनाथ ने दो विकेट लिए थे, जबकि दूसरी पारी में कपिल देव ने दो और मनोज प्रभाकर ने तीन विकेट लिए थे।
3. स्पिनरों की जुगलबंदी : काफी दिनों बाद दो स्पिनरों ने जुगलबंदी करते हुए अच्छी गेंदबाजी की। आर अश्विन ने जहां सीरीज में 21 विकेट लिए, वहीं अमित मिश्रा ने उनका बखूबी साथ दिया और 14 विकेट झटके। मिश्रा का सबसे अच्छा प्रदर्शन 21 ओवर में 43 रन देकर 4 विकेट रहा।
4. किसी एक बल्लेबाज पर निर्भरता नहीं : टीम में जरूरत के समय अलग-अलग बल्लेबाजों ने योगदान दिया। टीम किसी पर निर्भर नहीं रही। सीरीज के रिकॉर्ड पर गौर करें तो विराट कोहली ने सीरीज में 233, रोहित शर्मा ने 202, अजिंक्य रहाणे ने 178, शिखर धवन ने 162, अमित मिश्रा ने 157 और पुजारा ने 145 रन (केवल एक मैच) बनाए हैं। वहीं केएल राहुल ने भी दूसरे टेस्ट में शतक लगाया था। इस प्रकार पूरी सीरीज में समय-समय पर हर बल्लेबाज ने योगदान दिया है। हालांकि सीरीज में सर्वाधिक 288 रन श्रीलंकाई बल्लेबाज दिनेश चंडीमल ने बनाए।
1993 की सीरीज में परिणाम वाले एकमात्र मैच की पहली पारी में नवजोत सिंह सिद्धू (82) और विनोद कांबली (125) ने शानदार बल्लेबाजी की थी, जबकि दूसरी पारी में सचिन तेंदुलकर (104), नवजोत सिंह सिद्धू (104) और मनोज प्रभाकर (95) ने शानदार रन बनाए थे।
5. 5वें से 9वें नंबर तक के बल्लेबाजों का योगदान : अश्विन ने तीसरे टेस्ट की दूसरी पारी में 58 रन की पारी खेली, जो टीम इंडिया की ओर से किसी बल्लेबाज का इस पारी का सर्वोच्च स्कोर रहा। 2008 के बाद यह पहला मौका है जब टीम ने 250 से ज्यादा का स्कोर बनाया और नौवें नंबर का बल्लेबाज टॉप स्कोरर रहा। उनके अर्धशतक का भारत की कुल बढ़त को 386 रन तक ले जाने में महत्वपूर्ण योगदान रहा।
इसके अलावा टीम इंडिया के लिए यह पहला मौका रहा जब 5वें से 9वें नंबर तक के हर भारतीय बल्लेबाज ने 30 से अधिक रन बनाए।
इस तरह भारतीय क्रिकेट टीम ने श्रीलंका में 22 साल बाद ऐतिहासिक जीत हासिल की। यह जीत इस मायने में बेहद खास है कि कोहली एंड कंपनी ने 1-0 से पिछड़ने के बाद 2-1 से सीरीज जीती है। यह कोहली की कप्तानी में पहली पूर्ण सीरीज थी, इसलिए यह उनकी पहली बड़ी परीक्षा थी और खुशी की बात है कि वह इस पर पूरी तरह खरे उतरे हैं।
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