नई दिल्ली:
इंग्लैंड के पूर्व कप्तान ज्योफ्री बॉयकाट का मानना है कि ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ आगामी शृंखला में नाकामी से सचिन तेंदुलकर क्रिकेट के सभी प्रारूपों को अलविदा कह सकते हैं और क्रिकेट प्रेमी नहीं चाहते कि वह लगातार नाकामियों से शर्मिंदा हों।
बॉयकाट ने कहा, मार्च में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट शृंखला में वह रन बनाना चाहता होगा, क्योंकि हममें से कोई उसे बार-बार मिल रही नाकामी से शर्मिंदा होते नहीं देखना चाहता।
उन्होंने कहा, यदि ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वह रन नहीं बनाता है, तो मुझे यकीन है कि वह टेस्ट क्रिकेट को भी अलविदा कह देगा। लेकिन हम दुआ करेंगे कि वह रन बनाए। क्रिकेट के महानतम बल्लेबाजों में शुमार तेंदुलकर ने रविवार को एक-दिवसीय क्रिकेट से संन्यास का ऐलान कर दिया था। इसके साथ ही उनके 23 साल के सुनहरे करियर का अंत हो गया, जिसमें उन्होंने अनगिनत बल्लेबाजी रिकॉर्ड अपने नाम किए।
बॉयकाट ने तेंदुलकर के फैसले को समझदारी भरा बताते हुए कहा, यह दुखद है, लेकिन यही जिंदगी का सच है। उम्र के साथ हमें स्वीकार करना होता है कि अब हम वह सब नहीं कर सकते, जो पहले करते थे। यह स्वीकार कर पाना आसान नहीं है। उन्होंने कहा, उसके लिए यह काफी कठिन था। वह वनडे क्रिकेट में भी अद्भुत बल्लेबाज रहा है, लेकिन यादों के सहारे नहीं जिया जा सकता। उसने समझदारी भरा फैसला लिया है।
यह पूछने पर कि क्या टेस्ट प्रारूप में भारत को सचिन की अधिक जरूरत है, उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि उसे वही करना चाहिए, जो उसके लिए सर्वश्रेष्ठ हो। वह जिस भी प्रारूप में अच्छा खेलेगा, भारतीय टीम का ही भला होगा।
बॉयकाट ने कहा, मार्च में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट शृंखला में वह रन बनाना चाहता होगा, क्योंकि हममें से कोई उसे बार-बार मिल रही नाकामी से शर्मिंदा होते नहीं देखना चाहता।
उन्होंने कहा, यदि ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वह रन नहीं बनाता है, तो मुझे यकीन है कि वह टेस्ट क्रिकेट को भी अलविदा कह देगा। लेकिन हम दुआ करेंगे कि वह रन बनाए। क्रिकेट के महानतम बल्लेबाजों में शुमार तेंदुलकर ने रविवार को एक-दिवसीय क्रिकेट से संन्यास का ऐलान कर दिया था। इसके साथ ही उनके 23 साल के सुनहरे करियर का अंत हो गया, जिसमें उन्होंने अनगिनत बल्लेबाजी रिकॉर्ड अपने नाम किए।
बॉयकाट ने तेंदुलकर के फैसले को समझदारी भरा बताते हुए कहा, यह दुखद है, लेकिन यही जिंदगी का सच है। उम्र के साथ हमें स्वीकार करना होता है कि अब हम वह सब नहीं कर सकते, जो पहले करते थे। यह स्वीकार कर पाना आसान नहीं है। उन्होंने कहा, उसके लिए यह काफी कठिन था। वह वनडे क्रिकेट में भी अद्भुत बल्लेबाज रहा है, लेकिन यादों के सहारे नहीं जिया जा सकता। उसने समझदारी भरा फैसला लिया है।
यह पूछने पर कि क्या टेस्ट प्रारूप में भारत को सचिन की अधिक जरूरत है, उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि उसे वही करना चाहिए, जो उसके लिए सर्वश्रेष्ठ हो। वह जिस भी प्रारूप में अच्छा खेलेगा, भारतीय टीम का ही भला होगा।
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