रणजी ट्रॉफी की फोटो
नई दिल्ली:
चल रहा रणजी ट्रॉफी सेशन धीरे-धीरे अपने समाप्ति की ओर बढ़ रहा है, लेकिन घरेलू क्रिकेटर परेशान हैं. गुजारा कैसे चल रहा है? शायद भगवान भरोसे! बड़ी हैरानी की बात है कि दुनिया के सबसे धनी भारतीय क्रिकेटर कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) की तरफ से इन खिलाड़ियों को पिछले दो सेशन की अपनी मैच फीस नहीं मिली है.अपने संविधान के अनुसार बीसीसीआई अपनी कुल सालाना कमाई का 10.6 फीसदी हिस्सा घरेलू क्रिकेटरों को देता है. बता दें कि देश भर में करीब 500 फर्स्ट क्लास क्रिकेटर घरेलू टूर्नामेंटों में हर साल हिस्सा लेते हैं.
जहां ज्यादातर खिलाड़ियों को अपने राज्य एसोसिएशन से मिलने वाला सालाना कमाई हिस्सा मिल गया है, वहीं बीसीसीआई द्वारा दिए जाने वाले 10.6 फीसदी हिस्से से मैच फीस उन्हें नहीं ही मिली है. बता दें कि एक घरेलू क्रिकेटर एक सेशन में औसतन 12-15 लाख रुपये की कमाई करता है. अब आप सोच सकते हैं कि ये खिलाड़ी किस स्थिति और मनोदशा से गुजर रहे होंगे. हां यह जरूर है कि कोई भी क्रिकेटर बोर्ड की संभावित कार्रवाई के चलते खुलकर मीडिया में कुछ नहीं बोलना चाहता. वैसे चलिए हम आपको बताते हैं क इन घरेलू क्रिकेटरों को बीसीसीआई से अपने पिछले दो सेशन की फीस न मिलने के क्या कारण हैं.
यह भी पढ़ें: इस नाराजगी के कारण वेंकटेश प्रसाद ने छोड़ा बीसीसीआई का साथ, अब यहां कोच बने
1. लोढ़ा कमेटी के नियमों के लागू कराने को लेकर लेकर सीओए और राज्य एसोसिएशनों के बीच टकराव
2. सीओए कर रहा है नई भुगतान प्रणाली पर काम
3. सीओए के कार्यभार संभाने के बाद से एक भी आम बैठक का आयोजन नहीं
4. बैठक न होने के कारण खाते क्लीयर नहीं हो सके हैं. एजीएम के आयोजन के बाद ही पैसा मिलना संभव
5. एजीएम का आयोजन किसी को नहीं पता, कब होगा
सूत्रों की मानें तो देश भर की करीब पच्चीस क्रिकेट एसोसिशनों के खिलाड़ियों को बीसीसीआई की तरफ से अपनी मैच फीस का पैसा नहीं मिला है. आपको फिर से बात दें कि बोर्ड अपने संविधान के अनुसार अपनी सालाना कमाई का 26 फीसदी खिलाड़ियों को बांटता है. 26 में से 13 फीसदी रकम अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटरों को दी जाती है, तो 10.6 फीसद कमाई घरेलू क्रिकेटरों और बचा हुआ 2.4 प्रतिशत पैसा महिला और जूनियर क्रिकेटरों पर खर्च किया जाता है.
VIDEO: सेंचुरियन के शतकवीर विराट कोहली.
कुल मिलाकर अब गेंद सीओए के पाले में है. जितनी जल्द एजीएम का आयोजन होगा, उतनी ही तेजी से खातों का क्लियरेंस होगा. अब सीओए के चेयरमैन विनोद राय घरेलू क्रिकेटरों के इस दर्द को कितनी गंभीरता से लेते हैं, यह देखने वाली बात होगी.
Karnataka celebrate their third #VijayHazare Trophy win after beating Saurashtra in the 2017-18 #Final @paytm pic.twitter.com/8wwdOJAbJC
— BCCI Domestic (@BCCIdomestic) February 27, 2018
जहां ज्यादातर खिलाड़ियों को अपने राज्य एसोसिएशन से मिलने वाला सालाना कमाई हिस्सा मिल गया है, वहीं बीसीसीआई द्वारा दिए जाने वाले 10.6 फीसदी हिस्से से मैच फीस उन्हें नहीं ही मिली है. बता दें कि एक घरेलू क्रिकेटर एक सेशन में औसतन 12-15 लाख रुपये की कमाई करता है. अब आप सोच सकते हैं कि ये खिलाड़ी किस स्थिति और मनोदशा से गुजर रहे होंगे. हां यह जरूर है कि कोई भी क्रिकेटर बोर्ड की संभावित कार्रवाई के चलते खुलकर मीडिया में कुछ नहीं बोलना चाहता. वैसे चलिए हम आपको बताते हैं क इन घरेलू क्रिकेटरों को बीसीसीआई से अपने पिछले दो सेशन की फीस न मिलने के क्या कारण हैं.
यह भी पढ़ें: इस नाराजगी के कारण वेंकटेश प्रसाद ने छोड़ा बीसीसीआई का साथ, अब यहां कोच बने
Here's how the teams are stacked in @paytm #DeodharTrophy 2017-18 - pic.twitter.com/PNKvjw8bVl
— BCCI Domestic (@BCCIdomestic) March 6, 2018
1. लोढ़ा कमेटी के नियमों के लागू कराने को लेकर लेकर सीओए और राज्य एसोसिएशनों के बीच टकराव
2. सीओए कर रहा है नई भुगतान प्रणाली पर काम
3. सीओए के कार्यभार संभाने के बाद से एक भी आम बैठक का आयोजन नहीं
4. बैठक न होने के कारण खाते क्लीयर नहीं हो सके हैं. एजीएम के आयोजन के बाद ही पैसा मिलना संभव
5. एजीएम का आयोजन किसी को नहीं पता, कब होगा
सूत्रों की मानें तो देश भर की करीब पच्चीस क्रिकेट एसोसिशनों के खिलाड़ियों को बीसीसीआई की तरफ से अपनी मैच फीस का पैसा नहीं मिला है. आपको फिर से बात दें कि बोर्ड अपने संविधान के अनुसार अपनी सालाना कमाई का 26 फीसदी खिलाड़ियों को बांटता है. 26 में से 13 फीसदी रकम अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटरों को दी जाती है, तो 10.6 फीसद कमाई घरेलू क्रिकेटरों और बचा हुआ 2.4 प्रतिशत पैसा महिला और जूनियर क्रिकेटरों पर खर्च किया जाता है.
VIDEO: सेंचुरियन के शतकवीर विराट कोहली.
कुल मिलाकर अब गेंद सीओए के पाले में है. जितनी जल्द एजीएम का आयोजन होगा, उतनी ही तेजी से खातों का क्लियरेंस होगा. अब सीओए के चेयरमैन विनोद राय घरेलू क्रिकेटरों के इस दर्द को कितनी गंभीरता से लेते हैं, यह देखने वाली बात होगी.