बांग्लादेश का टाइगर स्टेशनरी का ये विज्ञापन, जिसने भारतीय खिलाड़ियों की हार का उड़ाया मजाक
नई दिल्ली:
बांग्लादेश के एक अख़बार 'प्रथम आलो' के एक विज्ञापन ने भारतीय क्रिकेट की दुनिया में अलग तरह की हलचल मचा दी है। इस विज्ञापन में लिखा है,
'टाइगर स्टेशनरी बांग्लादेश में बनाया गया
"मुस्ताफ़िज़ुर कटर" यहां मिलता है,
हमने इस्तेमाल किया है, आप भी करें'
कमाल ये है कि स्टेशनरी दुकानों में मिलनेवाले इस कटर से भारतीय खिलाड़ियों के सर आधे मुंडा दिए गए हैं। भारतीय फ़ैन्स इसे चाहें तो मज़ाक में ले सकते हैं और चाहें तो बुरा भी मान सकते हैं। इस विज्ञापन के पीछे हाल ही में ख़त्म हुई एक टेस्ट और तीन वनडे की भारत-बांग्लादेश क्रिकेट सीरीज़ है, जिसमें भारत को ऐतिहासिक हार का सामना करना पड़ा था।
बांग्लादेश की इस जीत में उनके 19 साल के बांए हाथ के गेंदबाज़ मुस्ताफ़िज़ुर रहमान की बेहद अहम भूमिका रही थी। टीम इंडिया और उसके फ़ैन्स लंबे समय तक 19 साल के बांए हाथ के तेज़ गेंदबाज़ मुस्ताफ़िज़ुर रहमान को नहीं भूलेंगे।
बांग्लादेश की जीत में 13 विकेट लेकर 'मैन ऑफ़ द सीरीज़' बनने वाले मुस्ताफ़िज़ुर अब बांग्लादेश के सुपरस्टार बन गए हैं। बांग्लादेश के कई विज्ञापनों में मुस्ताफिज़ुर छाये हुए हैं।
इसे कहते हैं सिर मुंडाते ही ओले पड़ना। बांग्लादेश के विज्ञापन में सिर मुंडाते खिलाड़ियों के लिए भी ये टीस की ही बात होगी। भारतीय चयनकर्ताओं ने खुलकर माना है कि उन्हें भी भारतीय हार का दर्द है। बांग्लादेश से हारने के बाद लाखों भारतीय फ़ैन्स ने भी टीम की आलोचना की है और अब बांग्लादेश में भी उस हार को लेकर मज़ाक हो रहा है।
टीम इंडिया के फ़ैन्स में अगर इस बात को लेकर नाराज़गी है, तो मौक़ा-मौक़ा विज्ञापन को याद कीज़िए। इन विज्ञापनों के ज़रिए पाकिस्तान, बांग्लादेश और दक्षिण-अफ़्रीका जैसे देशों के लिए भी मज़ाक भरे विज्ञापन बनाए गए थे। फिर 'बच्चा अब बच्चा नहीं रहा' तो भारत-बांग्लादेश सीरीज़ से ठीक पहले चलाए गए थे।
अंग्रेज़ी की एक कहावत है- 'What goes around comes around' यानी 'व्यंग्य या मज़ाक के तीर छूटेंगे तो वापस भी लौटेंगे'।
इसलिए इसे चाहें तो आप अच्छे मज़ाक में लें या फ़िर अपने किए का आईना समझें- अहम ये है कि दावों का खेल कम खेलें और असली खेल अच्छा खेलें तो ही आप सुरक्षित हैं, वरना जैसी करनी वैसी भरनी।
'टाइगर स्टेशनरी बांग्लादेश में बनाया गया
"मुस्ताफ़िज़ुर कटर" यहां मिलता है,
हमने इस्तेमाल किया है, आप भी करें'
कमाल ये है कि स्टेशनरी दुकानों में मिलनेवाले इस कटर से भारतीय खिलाड़ियों के सर आधे मुंडा दिए गए हैं। भारतीय फ़ैन्स इसे चाहें तो मज़ाक में ले सकते हैं और चाहें तो बुरा भी मान सकते हैं। इस विज्ञापन के पीछे हाल ही में ख़त्म हुई एक टेस्ट और तीन वनडे की भारत-बांग्लादेश क्रिकेट सीरीज़ है, जिसमें भारत को ऐतिहासिक हार का सामना करना पड़ा था।
बांग्लादेश की इस जीत में उनके 19 साल के बांए हाथ के गेंदबाज़ मुस्ताफ़िज़ुर रहमान की बेहद अहम भूमिका रही थी। टीम इंडिया और उसके फ़ैन्स लंबे समय तक 19 साल के बांए हाथ के तेज़ गेंदबाज़ मुस्ताफ़िज़ुर रहमान को नहीं भूलेंगे।
बांग्लादेश की जीत में 13 विकेट लेकर 'मैन ऑफ़ द सीरीज़' बनने वाले मुस्ताफ़िज़ुर अब बांग्लादेश के सुपरस्टार बन गए हैं। बांग्लादेश के कई विज्ञापनों में मुस्ताफिज़ुर छाये हुए हैं।
इसे कहते हैं सिर मुंडाते ही ओले पड़ना। बांग्लादेश के विज्ञापन में सिर मुंडाते खिलाड़ियों के लिए भी ये टीस की ही बात होगी। भारतीय चयनकर्ताओं ने खुलकर माना है कि उन्हें भी भारतीय हार का दर्द है। बांग्लादेश से हारने के बाद लाखों भारतीय फ़ैन्स ने भी टीम की आलोचना की है और अब बांग्लादेश में भी उस हार को लेकर मज़ाक हो रहा है।
टीम इंडिया के फ़ैन्स में अगर इस बात को लेकर नाराज़गी है, तो मौक़ा-मौक़ा विज्ञापन को याद कीज़िए। इन विज्ञापनों के ज़रिए पाकिस्तान, बांग्लादेश और दक्षिण-अफ़्रीका जैसे देशों के लिए भी मज़ाक भरे विज्ञापन बनाए गए थे। फिर 'बच्चा अब बच्चा नहीं रहा' तो भारत-बांग्लादेश सीरीज़ से ठीक पहले चलाए गए थे।
अंग्रेज़ी की एक कहावत है- 'What goes around comes around' यानी 'व्यंग्य या मज़ाक के तीर छूटेंगे तो वापस भी लौटेंगे'।
इसलिए इसे चाहें तो आप अच्छे मज़ाक में लें या फ़िर अपने किए का आईना समझें- अहम ये है कि दावों का खेल कम खेलें और असली खेल अच्छा खेलें तो ही आप सुरक्षित हैं, वरना जैसी करनी वैसी भरनी।
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