स्पॉट फिक्सिंग मामले में बरी श्रीसंत की फाइल फोटो
नई दिल्ली:
दिल्ली पुलिस ने साल 2013 के आईपीएल छह के सनसनीखेज स्पॉट फिक्सिंग मामले में क्रिकेटरों एस श्रीसंत, अजित चंदीला और अंकित चव्हाण सहित सभी आरोपियों को दोषमुक्त करने के निचली अदालत के फैसले को चुनौती देते हुए दिल्ली हाईकोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की।
दिल्ली पुलिस ने पुनर्विचार याचिका में कहा कि निचली अदालत ने मकोका से जुड़े कानून की गलत व्याख्या की और उसका आदेश सही नहीं है। इस पुनर्विचार याचिका में कहा गया है, 'अगर विशेष न्यायाधीश द्वारा दिए गए कारण मान लिए जाते हैं तो गिरोह के लिए अपने सहयोगियों के जरिये दिल्ली से बाहर बैठकर संगठित अपराध करना बहुत आसान होगा या दिल्ली की सीमाओं के भीतर अपराध करने के बाद दिल्ली के बाहर आश्रय लेना या संपत्ति अर्जित करना बहुत आसान होगा।'
याचिका में कहा गया कि इसलिए विशेष अदालत इस तथ्य पर गौर करने में नाकाम रही कि 'संगठित अपराध' की प्रकृति के दायरे में अंतरराज्यीय अपराध भी आते हैं। निचली अदालत ने सभी आरोपियों को आरोपमुक्त करते हुए कहा था कि यह मामला 'निरंतर गैरकानूनी गतिविधि' में शामिल होने के लिए मकोका कानून की धारा दो (01) (डी) के तहत दी गई अनिवार्य जरूरत को पूरा नहीं करता।
दिल्ली पुलिस ने 53 पन्नों की अपनी पुनर्विचार याचिका में हालांकि कहा कि अदालत मकोका कानून की भावना और महत्व को बरकरार रखने में असफल रही।
दिल्ली पुलिस ने पुनर्विचार याचिका में कहा कि निचली अदालत ने मकोका से जुड़े कानून की गलत व्याख्या की और उसका आदेश सही नहीं है। इस पुनर्विचार याचिका में कहा गया है, 'अगर विशेष न्यायाधीश द्वारा दिए गए कारण मान लिए जाते हैं तो गिरोह के लिए अपने सहयोगियों के जरिये दिल्ली से बाहर बैठकर संगठित अपराध करना बहुत आसान होगा या दिल्ली की सीमाओं के भीतर अपराध करने के बाद दिल्ली के बाहर आश्रय लेना या संपत्ति अर्जित करना बहुत आसान होगा।'
याचिका में कहा गया कि इसलिए विशेष अदालत इस तथ्य पर गौर करने में नाकाम रही कि 'संगठित अपराध' की प्रकृति के दायरे में अंतरराज्यीय अपराध भी आते हैं। निचली अदालत ने सभी आरोपियों को आरोपमुक्त करते हुए कहा था कि यह मामला 'निरंतर गैरकानूनी गतिविधि' में शामिल होने के लिए मकोका कानून की धारा दो (01) (डी) के तहत दी गई अनिवार्य जरूरत को पूरा नहीं करता।
दिल्ली पुलिस ने 53 पन्नों की अपनी पुनर्विचार याचिका में हालांकि कहा कि अदालत मकोका कानून की भावना और महत्व को बरकरार रखने में असफल रही।
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