मार्टिन क्रो का नाम क्रिकेट प्रेमी शायद ही कभी भूल पाएं. न्यूज़ीलैंड के इस डायनमिक बल्लेबाज़ को क्रिकेट की दुनिया भरे ही सम्मान से देखती रही है। अपनी कप्तानी में इन्होंने 1992 में न्यूज़ीलैंड को सेमीफ़ाइनल में जिस अंदाज में पहुंचाया था, उसकी मिसाल आज भी दी जाती है।
चाहे शुरुआती ओवरों में तूफानी बल्लेबाज़ी का सिलसिला हो (क्रो ने ये काम अपने साथी क्रिकेटर मार्क ग्रेटबैच से कराया था) या फिर स्पिन से ओपनिंग गेंदबाज़ी कराने का काम (दीपक पटेल को वर्ल्ड कप में आजमाना) ये सब क्रो ने 1992 में किया था। उनके प्रयोगों के बाद ही वनडे क्रिकेट की दुनिया फटाफट से मरामार क्रिकेट तक पहुंची।
यही मार्टिन क्रो इन दिनों जीवन और मौत की लड़ाई लड़ रहे हैं। रेयर किस्म के ब्लड कैंसर के चलते क्रो गंभीर रूप से बीमार हैं। उन्होंने वर्ल्ड कप फ़ाइनल से ठीक पहले अपने एक कॉलम में लिखा है कि ये उनका आख़िरी क्रिकेट मैच हो सकता है। मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड में वह अपनी टीम का मनोबल बढ़ाने के लिए मौजूद रहेंगे।
इएसपीएन क्रिकइंफो वेबसाइट के अपने स्तंभ में क्रो ने लिखा है- मेरा जीवन अब मुझे ज्यादा मैच देखने और उसे इंज्वाए करने की इजाजत नहीं देगा। हो सकता है ये मेरा अंतिम मैच साबित हो, लेकिन ये मुझे खुशी खुशी स्वीकार है।
52 साल के मार्टिन क्रो के कॉलम ने पूरी कीवी टीम को फ़ाइनल मुक़ाबले से पहले एक तरह से मौका दिया है कि वे अपने लीजेंडरी खिलाड़ी को सबसे बड़ा तोहफा दें, ऐसा तोहफा जो खुद क्रो 1992 में कीवी क्रिकेट को नहीं दे पाए थे।
उनके कॉलम को पढ़ने के बाद कीवी टीम के कप्तान ब्रैंडन मैक्कलम ने फ़ाइनल मुक़ाबले से ठीक पहले अपने दिग्ग्ज खिलाड़ी के योगदान का सम्मान के साथ जिक्र किया है।
मैक्कलम ने कहा, 'उनके साथ जो हो रहा है, वह दुखद है। हम उम्मीद करते हैं कि वे अपने बचे हुए समय में शांति से रह पाएंगे।
मैक्कलम ने यह भी बताया है कि गंभीर बीमारी का सामना कर रहे क्रो किस तरह से टीम की जरूरत को समझते हुए कीवी टीम के अभ्यास में शामिल रहे।
इस दौरान उन्होंने रॉस टेलर और मार्टिन गुप्टिल की बल्लेबाज़ी को निखारने में काफी मदद की। मार्टिन इन दोनों बल्लेबाज़ों को अपने बेटा मानते हैं और कहते रहे हैं कि ये दो वैसे बेटे हैं जो मेरे पास नहीं हुए।
जाहिर है, ऐसे मार्टिन क्रो के लिए फ़ाइनल मुक़ाबला देखना भी मुश्किल भरा अनुभव होने वाला है। शारीरिक तौर पर भी और मानसिक तौर पर भी, लेकिन इन चुनौतियों से जो घबरा जाए वो मार्टिन क्रो तो नहीं हो सकता।
मार्टिन क्रो ने कहा है, मेरी हालात नर्वस पैरेंट्स जैसी है, लेकिन मैं अपने आंसूओं पर काबू रखूंगा। यह मेरे और कीवी क्रिकेट के लिए क्रिकेटिंग हाईलाइट साबित होने वाला है।
ऐसे में निश्चित तौर पर मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड में ब्रैंडन मैक्कलम के नेतृत्व में उतरने वाली टीम अपने इस लीजेंडरी क्रिकेट के लिए ही इतिहास बनाना चाहेगी।
मार्टिन क्रो अपने दौर के वर्ल्ड क्लास बल्लेबाज़ रहे जिन्होंने 77 टेस्ट मैचों में 45 से ज्यादा की औसत से 5444 और 143 वनडे मैचों में 38 से ज्यादा की औसत से 4704 रन बनाए। ये रन क्रो की प्रतिभा को नहीं दर्शाते, लेकिन जिन्होंने क्रो को खेलते हुए देखा होगा उन्हें इसका बखूबी एहसास होगा कि क्रो जैसा क्रिकेटर सदियों में ही नजर आता है।
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