दो बार आईपीएल जीत चुकी कोलकाता नाइटराइडर्स के सितारे बुलंदी पर हैं। चैम्पियंस लीग में भी टीम ने अब तक खेले दोनों मैचों में शानदार जीत दर्ज की है। अगर आईपीएल की जीत को भी जोड़ लें तो टीम अब तक लगातार 11 मैच जीत चुकी है। अगर टीम पर्थ स्कॉर्चर्स के ख़िलाफ़ जीत हासिल करती है तो ये उनकी लगातार 12वीं जीत होगी।
कोलकाता की हर जीत में उसके ओपनर्स का रोल काफ़ी अहम रहा है। चेन्नई के ख़िलाफ़ रॉबिन उथप्पा के ना होने से नाइटराइडर्स को सही शुरुआत नहीं मिली, लेकिन आख़िरी में आंद्रे रसेल और रायन टेन डेस्काटे ने धमाकेदार बल्लेबाज़ी कर टीम की जीत पक्की कर दी। पर्थ के ख़िलाफ़ भी सही शुरुआत की ज़िम्मेदारी कोलकाता के ओपनर्स रॉबिन उथप्पा और कप्तान गौतम गंभीर पर होगी।
टीम के तूफ़ानी बल्लेबाज़ यूसुफ़ पठान के बल्ले का जलवा फ़ैन्स को अब तक देखने को नहीं मिला है। ज़ाहिर है फ़ैन्स के साथ−साथ टीम के कप्तान गौतम गंभीर को भी सीनियर पठान की आतिशी पारी का इंतज़ार होगा।
गेंदबाज़ी में टीम के पास T20 के कई माहिर गेंदबाज़ हैं, लेकिन टीम सुनील नरेन पर काफ़ी ज्यादा निर्भर रही है। नरेन ने चेन्नई के ख़िलाफ़ एक विकेट और लाहौर लायन्स के ख़िलाफ़ 3 विकेट झटके और दोनों मौक़े पर रनों की रफ्तार पर लगाम लगाए रखा। नाइटराइडर्स को अगर इस साल दूसरा ख़िताब जीतना है तो नरेन के साथ टीम के बाक़ी गेंदबाज़ों को भी कमाल दिखाना होगा।
वहीं ऑस्ट्रेलियाई टीम पर्थ स्कॉर्चर्स में मैच विनर खिलाड़ियों की कमी है। मिचेल मार्श ने डॉल्फ़िंस के साथ मुक़ाबले में आख़िरी दो गेंदों पर छक्के जड़ कर अपनी काबलियत ज़रूर साबित कर दी।
स्कॉर्चर्स का चैम्पियंस लीग में तीसरा साल है, लेकिन किसी भी सीज़न में वह लीग स्टेज़ से आगे नहीं बढ़ सकी। अगर टीम को टूर्नामेंट में आगे जाना है, तो मार्श के अलावा बाक़ी खिलाड़ियों को ज़िम्मेदारी उठानी होगी।
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